पहेली 17 मार्च 2019: Difference between revisions

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{निम्न कथनों में से कौन-सा कथन सही है?
{'[[काकोरी कांड|काकोरी ट्रेन डकैती कांड]]' के नायक कौन थे?
|type="()"}
|type="()"}
-लघु ज्वार-भाटा केवल [[अमावस्या|अमावस]] को आते हैं।
+[[राम प्रसाद बिस्मिल]]
+बृहत ज्वार-भाटा [[पूर्णिमा]] को आते हैं।
-[[भगत सिंह]]
-खाड़ियों में ज्वार-भाटा नहीं आते।
-[[बटुकेश्वर दत्त]]
-[[भारत]] के पश्चिम तट में दिन में पाँच बार ज्वार-भाटा आते हैं।
-बरकतुल्ला
||[[सूर्य ग्रह|सूर्य]] से [[चंद्र ग्रह|चन्द्र]] का अन्तर जब 169° से 180° तक होता है, तब [[शुक्ल पक्ष]] की पूर्णिमा रहती है। पूर्णिमा [[पंचांग]] के अनुसार पंद्रहवीं और शुक्ल पक्ष की अन्तिम तिथि है। पूर्णिमा ही वह तिथि है, जब समुद्रीय ज्वार-भाटा अपने चरम पर होता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पूर्णिमा]]</quiz>
||[[राम प्रसाद बिस्मिल]] के नेतृत्व में 10 लोगों ने सुनियोजित कार्रवाई के तहत यह कार्य करने की योजना बनाई। [[9 अगस्त]], [[1925]] को लखनऊ के काकोरी नामक स्थान पर देशभक्तों ने रेल विभाग की ले जाई जा रही संग्रहीत धनराशि को लूटा। उन्होंने ट्रेन के गार्ड को बंदूक की नोंक पर काबू कर लिया। गार्ड के डिब्बे में लोहे की तिज़ोरी को तोड़कर आक्रमणकारी दल चार हज़ार रुपये लेकर फरार हो गए। इस डकैती में [[अशफाक उल्ला खाँ|अशफाकउल्ला]], [[चन्द्रशेखर आज़ाद]], [[राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी|राजेन्द्र लाहिड़ी]], [[सचीन्द्र सान्याल]], [[मन्मथनाथ गुप्त]], राम प्रसाद बिस्मिल आदि शामिल थे। काकोरी षड्यंत्र मुक़दमे ने काफ़ी लोगों का ध्यान खींचा। इसके कारण देश का राजनीतिक वातावरण आवेशित हो गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[काकोरी काण्ड]], [[राम प्रसाद बिस्मिल]]</quiz>


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Latest revision as of 10:05, 20 March 2019