अलाउद्दीन बहमन शाह द्वितीय: Difference between revisions

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अलाउद्दीन बहमन शाह द्वितीय दक्षिण के [[बहमनी वंश]] का दसवाँ सुल्तान था। उसने 1435 से 1457 ई. तक राज्य किया और अपने पड़ोसी [[विजयनगर साम्राज्य|विजयनगर]] राज्य के राजा [[देवराय द्वितीय]] से युद्ध ठानकर उसे संधि करने को बाध्य किया। अलाउद्दीन द्वितीय इस्लाम का उत्साही प्रचारक था और अपने सहधर्मी मुसलमानों के प्रति कृपालु था। उसने बहुत से मदरसे, मस्जिदें और वक्फ क़ायम किये। उसने अपनी राजधानी [[बीदर]] में एक अच्छा शफ़ाख़ाना बनवाया। उसके शासन काल में दक्खिनी मुसलमानों, जिन्हें हब्शियों का समर्थन प्राप्त था, और जो ज्यादातर सुन्नी थे, और विलायती मुसलमानों में, जो शिया थे, भयंकर प्रतिद्वन्द्विता पैदा हो गयी, जिसके कारण सुल्तानों के समर्थन से बहुत से विलायती मुसलमानों—सैयदों और मुग़लों को पूना के निकट चकन के क़िले में मौत के घाट उतार दिया गया।
'''अलाउद्दीन बहमन शाह द्वितीय''' दक्षिण के [[बहमनी वंश]] का दसवाँ सुल्तान था। उसने 1435 से 1457 ई. तक राज्य किया और अपने पड़ोसी [[विजयनगर साम्राज्य|विजयनगर]] राज्य के राजा [[देवराय द्वितीय]] से युद्ध ठानकर उसे संधि करने को बाध्य किया।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=51|url=}}</ref>
 
*अलाउद्दीन द्वितीय [[इस्लाम]] का उत्साही प्रचारक था और अपने सहधर्मी मुसलमानों के प्रति कृपालु था।
*उसने बहुत-से मदरसे, मस्जिदें और वक्फ क़ायम किये। उसने अपनी राजधानी [[बीदर]] में एक अच्छा शफ़ाख़ाना बनवाया।
*अलाउद्दीन बहमन शाह द्वितीय के शासन काल में दक्खिनी मुसलमानों, जिन्हें हब्शियों का समर्थन प्राप्त था, और जो ज़्यादातर [[सुन्नी]] थे, और विलायती मुसलमानों में, जो शिया थे, भयंकर प्रतिद्वन्द्विता पैदा हो गयी, जिसके कारण सुल्तानों के समर्थन से बहुत-से विलायती मुसलमानों-सैयदों और मुग़लों को [[पूना]] के निकट चकन के क़िले में मौत के घाट उतार दिया गया।
 
 
{{शासन क्रम |शीर्षक=[[बहमनी वंश]] |पूर्वाधिकारी=[[अहमदशाह बहमनी]] |उत्तराधिकारी=[[हुमायूँ शाह बहमनी]]}}
 
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Latest revision as of 06:41, 7 January 2020

अलाउद्दीन बहमन शाह द्वितीय दक्षिण के बहमनी वंश का दसवाँ सुल्तान था। उसने 1435 से 1457 ई. तक राज्य किया और अपने पड़ोसी विजयनगर राज्य के राजा देवराय द्वितीय से युद्ध ठानकर उसे संधि करने को बाध्य किया।[1]

  • अलाउद्दीन द्वितीय इस्लाम का उत्साही प्रचारक था और अपने सहधर्मी मुसलमानों के प्रति कृपालु था।
  • उसने बहुत-से मदरसे, मस्जिदें और वक्फ क़ायम किये। उसने अपनी राजधानी बीदर में एक अच्छा शफ़ाख़ाना बनवाया।
  • अलाउद्दीन बहमन शाह द्वितीय के शासन काल में दक्खिनी मुसलमानों, जिन्हें हब्शियों का समर्थन प्राप्त था, और जो ज़्यादातर सुन्नी थे, और विलायती मुसलमानों में, जो शिया थे, भयंकर प्रतिद्वन्द्विता पैदा हो गयी, जिसके कारण सुल्तानों के समर्थन से बहुत-से विलायती मुसलमानों-सैयदों और मुग़लों को पूना के निकट चकन के क़िले में मौत के घाट उतार दिया गया।



बहमनी वंश
65px|link=| पूर्वाधिकारी
अहमदशाह बहमनी
अलाउद्दीन बहमन शाह द्वितीय उत्तराधिकारी
हुमायूँ शाह बहमनी
65px|link=|


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 51 |

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