कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 35: Difference between revisions
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{'[[ग्वालियर घराना]]' के जन्मदाता कौन माने जाते हैं? | {'[[ग्वालियर घराना]]' के जन्मदाता कौन माने जाते हैं? | ||
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+[[कत्थक]] | +[[कत्थक]] | ||
-[[मणिपुरी नृत्य|मणिपुरी]] | -[[मणिपुरी नृत्य|मणिपुरी]] | ||
||[[चित्र:Birju-Maharaj.jpg|right|100px|बिरजू महाराज]][[कत्थक]] की शैली का जन्म [[ब्राह्मण]] पुजारियों द्वारा [[हिन्दू|हिन्दुओं]] की पारम्परिक पुन: गणना में निहित है, जिन्हें 'कथिक' कहते थे, जो नाटकीय | ||[[चित्र:Birju-Maharaj.jpg|right|100px|बिरजू महाराज]][[कत्थक]] की शैली का जन्म [[ब्राह्मण]] पुजारियों द्वारा [[हिन्दू|हिन्दुओं]] की पारम्परिक पुन: गणना में निहित है, जिन्हें 'कथिक' कहते थे, जो नाटकीय अंदाज़में हाव भावों का उपयोग करते थे। क्रमश: इसमें कथा कहने की शैली और अधिक विकसित हुई तथा एक [[नृत्य कला|नृत्य]] रूप बन गया। इस नृत्य को 'नटवरी नृत्य' के नाम से भी जाना जाता है। उत्तर [[भारत]] में [[मुग़ल|मुग़लों]] के आने पर इस नृत्य को शाही दरबार में ले जाया गया और इसका विकास एक परिष्कृत कलारूप में हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कत्थक]] | ||
{'[[तेराताली नृत्य|तेराताली]]' [[लोकनृत्य]] किस राज्य से सम्बन्धित है? | {'[[तेराताली नृत्य|तेराताली]]' [[लोकनृत्य]] किस राज्य से सम्बन्धित है? | ||
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-[[मध्य प्रदेश]] से | -[[मध्य प्रदेश]] से | ||
-[[तमिलनाडु]] से | -[[तमिलनाडु]] से | ||
||[[चित्र:Pushkar-Lake-Ajmer.jpg|right|120px|पुष्कर झील, राजस्थान]][[राजस्थान]] में ख्याल, रम्मत, रासधारी, [[नृत्य कला|नृत्य]], भवाई, ढाला-मारु, तुर्रा-कलंगी या माच तथा आदिवासी [[गवरी नृत्य|गवरी]], [[घूमर नृत्य|घूमर]], [[अग्नि नृत्य]], [[कोटा राजस्थान|कोटा]] का [[चकरी नृत्य]], डीडवाणा पोकरण के '[[तेराताली नृत्य]]', [[मारवाड़]] की [[कच्छी घोड़ी नृत्य|कच्ची घोड़ी का नृत्य]], पाबूजी की फड़ तथा [[कठपुतली]] प्रदर्शन के नाम उल्लेखनीय हैं। पाबूजी की फड़ चित्रांकित पर्दे के सहारे प्रदर्शनात्मक विधि द्वारा गाया जाने वाला गेय-नाट्य है। लोक बादणें में नगाड़ा [[ढोल]]-ढ़ोलक, मादल, [[रावण हत्था]], पूंगी, बसली, [[सारंगी]], तदूरा, तासा, थाली, [[झाँझ]] पत्तर तथा खड़ताल आदि हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राजस्थान]] | ||[[चित्र:Pushkar-Lake-Ajmer.jpg|right|120px|पुष्कर झील, राजस्थान]][[राजस्थान]] में ख्याल, रम्मत, रासधारी, [[नृत्य कला|नृत्य]], [[भवाई नृत्य|भवाई]], ढाला-मारु, तुर्रा-कलंगी या माच तथा आदिवासी [[गवरी नृत्य|गवरी]], [[घूमर नृत्य|घूमर]], [[अग्नि नृत्य]], [[कोटा राजस्थान|कोटा]] का [[चकरी नृत्य]], डीडवाणा पोकरण के '[[तेराताली नृत्य]]', [[मारवाड़]] की [[कच्छी घोड़ी नृत्य|कच्ची घोड़ी का नृत्य]], [[पाबूजी की फड़]] तथा [[कठपुतली]] प्रदर्शन के नाम उल्लेखनीय हैं। पाबूजी की फड़ चित्रांकित पर्दे के सहारे प्रदर्शनात्मक विधि द्वारा गाया जाने वाला गेय-नाट्य है। लोक बादणें में नगाड़ा [[ढोल]]-ढ़ोलक, मादल, [[रावण हत्था]], पूंगी, बसली, [[सारंगी]], तदूरा, तासा, थाली, [[झाँझ]] पत्तर तथा खड़ताल आदि हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राजस्थान]] | ||
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