कच्ची पक्की का फ़र्क़ -सरदार पटेल: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय |चित्र=Sardar-Vallabh-Bhai-Patel.jpg |चित...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
m (Text replacement - "किस्सा" to "क़िस्सा ")
 
(3 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 29: Line 29:
}}
}}
<poem style="background:#fbf8df; padding:15px; font-size:14px; border:1px solid #003333; border-radius:5px">
<poem style="background:#fbf8df; padding:15px; font-size:14px; border:1px solid #003333; border-radius:5px">
उत्तर भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों आज भी यह परंपरा है कि घर पर किसी विशिष्ठ आगंतुक के आने पर रोटी सब्जी दाल चावल जैसा सामान्य भोजन न बनाकर अतिथि के सम्मान में पूरी कचैरी आदि विशेष भोजन बनाया जाती है इसे आम बोलचाल में पक्की रसोई कहा जाता है। कच्ची और पक्की रसोई से जुडा एक रोचक संस्मरण पिछले दिनों विनोवा जी के सहयोगी श्री गौतम बजाज जी के सौजन्य से सुनने को मिला जब वे हरदोई सी एस एन कालेज मे एक विचार गोष्ठी को सम्बोधित करने आये थे। उन्होंने यह किस्सा कुछ इस प्रकार बताया:-
उत्तर भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी यह परंपरा है कि घर पर किसी विशिष्ट आगंतुक के आने पर रोटी सब्जी दाल चावल जैसा सामान्य भोजन न बनाकर अतिथि के सम्मान में पूरी कचौरी आदि विशेष भोजन बनाया जाता है। इसे आम बोलचाल में पक्की रसोई कहा जाता है। कच्ची और पक्की रसोई से जुड़ा एक रोचक संस्मरण [[विनोबा भावे|विनोबा जी]] के सहयोगी गौतम बजाज के सौजन्य से सुनने को मिला जब वे [[हरदोई]] सी. एस. एन. कालेज में एक विचार गोष्ठी को सम्बोधित करने आये थे। उन्होंने यह क़िस्सा  कुछ इस प्रकार बताया:-


सरदार पटेल एक बार संत विनोवा जी के आश्रम गये जहां उन्हे भोजन भी ग्रहण करना था । आश्रम की रसोई में उत्तर भारत के किसी गांव से आया कोई साधक भोजन व्यवस्था से जुडा था। सरदार पटेल को आश्रम का विशिष्ठ अतिथि जानकर उनके सम्मान में साधक ने सरदार जी से पूछा लिये कि आप के लिये रसोई पक्की अथवा कच्ची । सरदार पटेल इसका अर्थ न समझ सके तो साधक से इसका अभिप्राय पूछा तो साधक ने अपने आशय को कुछ और स्पष्ठ करते हुये कहा कि वे कच्चा खाना खायेगे अथवा पक्का यह सुनकर सरदार जी ने तपाक से उत्तर दिया कि कच्चा क्यों खायेंगे पक्का ही खायेगे । खाना बनने के बाद जब पटेल जी की थाली में पूरी कचैरी जैसी चीजें आयीं तो सरदार पटेल ने सादी रोटी और दाल मांगी तो वह साधक उनके सामने आकर खडा हो गया और उन्हें बताया गया कि उन्ही के निर्देशन पर ही तो पक्की रसोई बनायी गयी थी। इस घटना के बाद ही पटेल उत्तर भारत की कच्ची और पक्की रसोई के अंतर को समझ पाये।
[[सरदार पटेल]] एक बार संत विनोवा जी के आश्रम गये जहां उन्हें भोजन भी ग्रहण करना था। आश्रम की रसोई में [[उत्तर भारत]] के किसी गांव से आया कोई साधक भोजन व्यवस्था से जुड़ा था। सरदार पटेल को आश्रम का विशिष्ठ अतिथि जानकर उनके सम्मान में साधक ने सरदार जी से पूछा लिये कि आप के लिये रसोई पक्की अथवा कच्ची। सरदार पटेल इसका अर्थ न समझ सके तो साधक से इसका अभिप्राय पूछा तो साधक ने अपने आशय को कुछ और स्पष्ठ करते हुये कहा कि वे कच्चा खाना खायेगे अथवा पक्का यह सुनकर सरदार जी ने तपाक से उत्तर दिया कि कच्चा क्यों खायेंगे पक्का ही खायेंगे। खाना बनने के बाद जब पटेल जी की थाली में पूरी कचौरी जैसी चीजें आयीं तो सरदार पटेल ने सादी रोटी और दाल मांगी तो वह साधक उनके सामने आकर खड़ा हो गया और उन्हें बताया गया कि उन्हीं के निर्देशन पर ही तो पक्की रसोई बनायी गयी थी। इस घटना के बाद ही पटेल उत्तर भारत की कच्ची और पक्की रसोई के फ़र्क़ को समझ पाये।


;[[सरदार पटेल]] से जुडे अन्य प्रसंग पढ़ने के लिए [[सरदार पटेल के प्रेरक प्रसंग]] पर जाएँ  
;[[सरदार पटेल]] से जुड़े अन्य प्रसंग पढ़ने के लिए [[सरदार पटेल के प्रेरक प्रसंग]] पर जाएँ  
</poem>
</poem>
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{| width="100%"
|-
|
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
[[Category:अशोक कुमार शुक्ला]][[Category:समकालीन साहित्य]][[Category:पद्य साहित्य]][[Category:काव्य कोश]][[Category:साहित्य कोश]]
{{प्रेरक प्रसंग}}
[[Category:कविता संग्रह]]
[[Category:अशोक कुमार शुक्ला]][[Category:सरदार पटेल]][[Category:समकालीन साहित्य]][[Category:प्रेरक प्रसंग]]
[[Category:पुस्तक कोश]]
[[Category:साहित्य कोश]]
|}
__INDEX__
__INDEX__
<noinclude>[[Category:प्रेरक प्रसंग]]</noinclude>
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

Latest revision as of 13:59, 9 May 2021

कच्ची पक्की का फ़र्क़ -सरदार पटेल
विवरण सरदार पटेल
भाषा हिंदी
देश भारत
मूल शीर्षक प्रेरक प्रसंग
उप शीर्षक सरदार पटेल के प्रेरक प्रसंग
संकलनकर्ता अशोक कुमार शुक्ला

उत्तर भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी यह परंपरा है कि घर पर किसी विशिष्ट आगंतुक के आने पर रोटी सब्जी दाल चावल जैसा सामान्य भोजन न बनाकर अतिथि के सम्मान में पूरी कचौरी आदि विशेष भोजन बनाया जाता है। इसे आम बोलचाल में पक्की रसोई कहा जाता है। कच्ची और पक्की रसोई से जुड़ा एक रोचक संस्मरण विनोबा जी के सहयोगी गौतम बजाज के सौजन्य से सुनने को मिला जब वे हरदोई सी. एस. एन. कालेज में एक विचार गोष्ठी को सम्बोधित करने आये थे। उन्होंने यह क़िस्सा कुछ इस प्रकार बताया:-

सरदार पटेल एक बार संत विनोवा जी के आश्रम गये जहां उन्हें भोजन भी ग्रहण करना था। आश्रम की रसोई में उत्तर भारत के किसी गांव से आया कोई साधक भोजन व्यवस्था से जुड़ा था। सरदार पटेल को आश्रम का विशिष्ठ अतिथि जानकर उनके सम्मान में साधक ने सरदार जी से पूछा लिये कि आप के लिये रसोई पक्की अथवा कच्ची। सरदार पटेल इसका अर्थ न समझ सके तो साधक से इसका अभिप्राय पूछा तो साधक ने अपने आशय को कुछ और स्पष्ठ करते हुये कहा कि वे कच्चा खाना खायेगे अथवा पक्का यह सुनकर सरदार जी ने तपाक से उत्तर दिया कि कच्चा क्यों खायेंगे पक्का ही खायेंगे। खाना बनने के बाद जब पटेल जी की थाली में पूरी कचौरी जैसी चीजें आयीं तो सरदार पटेल ने सादी रोटी और दाल मांगी तो वह साधक उनके सामने आकर खड़ा हो गया और उन्हें बताया गया कि उन्हीं के निर्देशन पर ही तो पक्की रसोई बनायी गयी थी। इस घटना के बाद ही पटेल उत्तर भारत की कच्ची और पक्की रसोई के फ़र्क़ को समझ पाये।

सरदार पटेल से जुड़े अन्य प्रसंग पढ़ने के लिए सरदार पटेल के प्रेरक प्रसंग पर जाएँ
पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख