सियाचिन हिमनद: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''सियाचिन हिमनद''' अथवा 'सियाचिन ग्लेशियर' अथवा 'सिया...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
m (Text replacement - "कब्जा" to "क़ब्ज़ा")
 
(2 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 1: Line 1:
'''सियाचिन हिमनद''' अथवा 'सियाचिन ग्लेशियर' अथवा 'सियाचिन हिमानी' [[हिमालय]] की पूर्वी [[कराकोरम पर्वत श्रेणी|काराकोरम पर्वतमाला]] में भारत-पाक नियंत्रण रेखा के पास लगभग स्थित एक ग्लेशियर है। यह काराकोरम के पांच बड़े हिमनदों में सबसे बड़ा और ध्रुवीय क्षेत्रों के बाहर विश्व का दूसरा सबसे बड़ा हिमनद है।
'''सियाचिन हिमनद''' अथवा 'सियाचिन ग्लेशियर' अथवा 'सियाचिन हिमानी' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Siachen Glacier'') [[हिमालय]] की पूर्वी [[कराकोरम पर्वत श्रेणी|काराकोरम पर्वतमाला]] में भारत-पाक नियंत्रण रेखा के पास लगभग स्थित एक ग्लेशियर है। यह काराकोरम के पांच बड़े हिमनदों में सबसे बड़ा और ध्रुवीय क्षेत्रों के बाहर विश्व का दूसरा सबसे बड़ा हिमनद है।
==स्थिति तथा नियंत्रण==
==स्थिति तथा नियंत्रण==
समुद्र तल से इसकी ऊँचाई इसके स्रोत 'इंदिरा कोल' पर लगभग 5,753 मीटर और अंतिम छोर पर 3,620 मीटर है। सियाचिन हिमानी पर [[1984]] से [[भारत]] का नियंत्रण रहा है और भारत इसे अपने [[जम्मू और कश्मीर]] राज्य के लद्दाख़ खण्ड के लेह ज़िले के अधीन प्रशासित करता है। पाकिस्तान ने इस क्षेत्र से भारत के नियंत्रण का अन्त करने के लिये कई विफल प्रयत्न किये हैं और वर्तमान में भी सियाचिन विवाद जारी है।
समुद्र तल से इसकी ऊँचाई इसके स्रोत 'इंदिरा कोल' पर लगभग 5,753 मीटर और अंतिम छोर पर 3,620 मीटर है। सियाचिन हिमानी पर [[1984]] से [[भारत]] का नियंत्रण रहा है और भारत इसे अपने [[जम्मू और कश्मीर]] राज्य के लद्दाख़ खण्ड के लेह ज़िले के अधीन प्रशासित करता है। पाकिस्तान ने इस क्षेत्र से भारत के नियंत्रण का अन्त करने के लिये कई विफल प्रयत्न किये हैं और वर्तमान में भी सियाचिन विवाद जारी है।
==सियाचिन विवाद==
==सियाचिन विवाद==
समुद्र तल से काफ़ी ऊंचाई पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर के एक तरफ पाकिस्तान की सीमा है तो दूसरी तरफ [[चीन]] की सीमा। अक्साई चीन इस इलाके में है। दोनों देशों पर नजर रखने के हिसाब से यह क्षेत्र भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है। [[1984]] में पाकिस्तान सियाचिन पर कब्जे की तैयारी में था, लेकिन सही समय पर इसकी जानकारी होने के बाद [[भारतीय सेना]] ने 'ऑपरेशन मेघदूत' चलाया। [[13 अप्रैल]], 1984 को सियाचिन ग्लेशियर पर भारत ने कब्जा कर लिया। इससे पहले इस क्षेत्र में सिर्फ पर्वतारोही आते थे। अब यहां सेना के अलावा किसी दूसरे के आने की मनाही है। [[2003]] में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम संधि हो गई। उस समय से इस क्षेत्र में फायरिंग और गोलाबारी होनी बंद है।
समुद्र तल से काफ़ी ऊंचाई पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर के एक तरफ पाकिस्तान की सीमा है तो दूसरी तरफ [[चीन]] की सीमा। अक्साई चीन इस इलाके में है। दोनों देशों पर नजर रखने के हिसाब से यह क्षेत्र भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है। [[1984]] में पाकिस्तान सियाचिन पर कब्जे की तैयारी में था, लेकिन सही समय पर इसकी जानकारी होने के बाद [[भारतीय सेना]] ने 'ऑपरेशन मेघदूत' चलाया। [[13 अप्रैल]], 1984 को सियाचिन ग्लेशियर पर भारत ने क़ब्ज़ा कर लिया। इससे पहले इस क्षेत्र में सिर्फ पर्वतारोही आते थे। अब यहां सेना के अलावा किसी दूसरे के आने की मनाही है। [[2003]] में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम संधि हो गई। उस समय से इस क्षेत्र में फायरिंग और गोलाबारी होनी बंद है।
==विवाद का कारण==
==विवाद का कारण==
सन [[1972]] के 'शिमला समझौते' में इस इलाके को बेजान और बंजर करार दिया गया था यानि यह इलाका इंसानों के रहने के लायक नहीं है। इस समझौते में यह नहीं बताया गया था कि [[भारत]] और पाकिस्तान की सीमा सियाचिन में कहां होगी। उसके बाद से इस क्षेत्र पर पाकिस्तान ने अपना अधिकार जताना शुरू कर दिया। इस ग्लेशियर के ऊपरी भाग पर फिलहाल भारत और निचले भाग पर पाकिस्तान का कब्जा है।
सन [[1972]] के 'शिमला समझौते' में इस इलाके को बेजान और बंजर करार दिया गया था यानि यह इलाका इंसानों के रहने के लायक नहीं है। इस समझौते में यह नहीं बताया गया था कि [[भारत]] और पाकिस्तान की सीमा सियाचिन में कहां होगी। उसके बाद से इस क्षेत्र पर पाकिस्तान ने अपना अधिकार जताना शुरू कर दिया। इस ग्लेशियर के ऊपरी भाग पर फिलहाल भारत और निचले भाग पर पाकिस्तान का क़ब्ज़ा है।
==जवानों का दुश्मन==
==जवानों का दुश्मन==
भारत और पाकिस्तान दोनों देश के जितने सैनिक यहां आपसी लड़ाई के कारण नहीं मारे गए हैं, उससे भी कहीं ज्यादा सैनिक यहां [[ऑक्सीजन]] की कमी और हिमस्खलन के कारण मारे गए हैं। यहां ज्यादातर समय [[शून्य]] से भी 50 डिग्री नीचे [[तापमान]] रहता है। एक अनुमान के मुताबिक अब तक दोनों देशों को मिलाकर 2500 जवानों को यहां अपनी जान गंवानी पड़ी है। एक वेबसाइट के आंकड़ों की माने तो [[2012]] में पाकिस्तान के गयारी बेस कैंप में हिमस्खलन के कारण 124 सैनिक और 11 नागरिकों की मौत हो गई थी।
भारत और पाकिस्तान दोनों देश के जितने सैनिक यहां आपसी लड़ाई के कारण नहीं मारे गए हैं, उससे भी कहीं ज्यादा सैनिक यहां [[ऑक्सीजन]] की कमी और हिमस्खलन के कारण मारे गए हैं। यहां ज्यादातर समय [[शून्य]] से भी 50 डिग्री नीचे [[तापमान]] रहता है। एक अनुमान के मुताबिक़ अब तक दोनों देशों को मिलाकर 2500 जवानों को यहां अपनी जान गंवानी पड़ी है। एक वेबसाइट के आंकड़ों की माने तो [[2012]] में पाकिस्तान के गयारी बेस कैंप में हिमस्खलन के कारण 124 सैनिक और 11 नागरिकों की मौत हो गई थी।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

Latest revision as of 14:10, 9 May 2021

सियाचिन हिमनद अथवा 'सियाचिन ग्लेशियर' अथवा 'सियाचिन हिमानी' (अंग्रेज़ी: Siachen Glacier) हिमालय की पूर्वी काराकोरम पर्वतमाला में भारत-पाक नियंत्रण रेखा के पास लगभग स्थित एक ग्लेशियर है। यह काराकोरम के पांच बड़े हिमनदों में सबसे बड़ा और ध्रुवीय क्षेत्रों के बाहर विश्व का दूसरा सबसे बड़ा हिमनद है।

स्थिति तथा नियंत्रण

समुद्र तल से इसकी ऊँचाई इसके स्रोत 'इंदिरा कोल' पर लगभग 5,753 मीटर और अंतिम छोर पर 3,620 मीटर है। सियाचिन हिमानी पर 1984 से भारत का नियंत्रण रहा है और भारत इसे अपने जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख़ खण्ड के लेह ज़िले के अधीन प्रशासित करता है। पाकिस्तान ने इस क्षेत्र से भारत के नियंत्रण का अन्त करने के लिये कई विफल प्रयत्न किये हैं और वर्तमान में भी सियाचिन विवाद जारी है।

सियाचिन विवाद

समुद्र तल से काफ़ी ऊंचाई पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर के एक तरफ पाकिस्तान की सीमा है तो दूसरी तरफ चीन की सीमा। अक्साई चीन इस इलाके में है। दोनों देशों पर नजर रखने के हिसाब से यह क्षेत्र भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है। 1984 में पाकिस्तान सियाचिन पर कब्जे की तैयारी में था, लेकिन सही समय पर इसकी जानकारी होने के बाद भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन मेघदूत' चलाया। 13 अप्रैल, 1984 को सियाचिन ग्लेशियर पर भारत ने क़ब्ज़ा कर लिया। इससे पहले इस क्षेत्र में सिर्फ पर्वतारोही आते थे। अब यहां सेना के अलावा किसी दूसरे के आने की मनाही है। 2003 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम संधि हो गई। उस समय से इस क्षेत्र में फायरिंग और गोलाबारी होनी बंद है।

विवाद का कारण

सन 1972 के 'शिमला समझौते' में इस इलाके को बेजान और बंजर करार दिया गया था यानि यह इलाका इंसानों के रहने के लायक नहीं है। इस समझौते में यह नहीं बताया गया था कि भारत और पाकिस्तान की सीमा सियाचिन में कहां होगी। उसके बाद से इस क्षेत्र पर पाकिस्तान ने अपना अधिकार जताना शुरू कर दिया। इस ग्लेशियर के ऊपरी भाग पर फिलहाल भारत और निचले भाग पर पाकिस्तान का क़ब्ज़ा है।

जवानों का दुश्मन

भारत और पाकिस्तान दोनों देश के जितने सैनिक यहां आपसी लड़ाई के कारण नहीं मारे गए हैं, उससे भी कहीं ज्यादा सैनिक यहां ऑक्सीजन की कमी और हिमस्खलन के कारण मारे गए हैं। यहां ज्यादातर समय शून्य से भी 50 डिग्री नीचे तापमान रहता है। एक अनुमान के मुताबिक़ अब तक दोनों देशों को मिलाकर 2500 जवानों को यहां अपनी जान गंवानी पड़ी है। एक वेबसाइट के आंकड़ों की माने तो 2012 में पाकिस्तान के गयारी बेस कैंप में हिमस्खलन के कारण 124 सैनिक और 11 नागरिकों की मौत हो गई थी।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख