वशिष्ठ त्रिपाठी: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
|||
Line 1: | Line 1: | ||
[[चित्र:Vashistha-Tripathi.jpg|thumb|250px|वशिष्ठ त्रिपाठी]] | |||
'''वशिष्ठ त्रिपाठी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Vashistha Tripathi'') [[संस्कृत]] के प्रकांड विद्वान हैं। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति व न्यायशास्त्र के उद्भट् विद्वान प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी को 'न्याय विद्या के वशिष्ठ', 'ज्ञान-दान का दधीचि' भी कहा जा सकता है। 81 वर्ष की उम्र में भी वह बिना मोल नि:स्वार्थ ज्ञान-दान में जुटे हैं। उन्हें [[भारत सरकार]] द्वारा [[पद्म भूषण]], [[2022]] से सम्मानित किया गया है।<br /> | '''वशिष्ठ त्रिपाठी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Vashistha Tripathi'') [[संस्कृत]] के प्रकांड विद्वान हैं। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति व न्यायशास्त्र के उद्भट् विद्वान प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी को 'न्याय विद्या के वशिष्ठ', 'ज्ञान-दान का दधीचि' भी कहा जा सकता है। 81 वर्ष की उम्र में भी वह बिना मोल नि:स्वार्थ ज्ञान-दान में जुटे हैं। उन्हें [[भारत सरकार]] द्वारा [[पद्म भूषण]], [[2022]] से सम्मानित किया गया है।<br /> | ||
<br /> | <br /> |
Latest revision as of 08:15, 5 February 2022
thumb|250px|वशिष्ठ त्रिपाठी
वशिष्ठ त्रिपाठी (अंग्रेज़ी: Vashistha Tripathi) संस्कृत के प्रकांड विद्वान हैं। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति व न्यायशास्त्र के उद्भट् विद्वान प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी को 'न्याय विद्या के वशिष्ठ', 'ज्ञान-दान का दधीचि' भी कहा जा सकता है। 81 वर्ष की उम्र में भी वह बिना मोल नि:स्वार्थ ज्ञान-दान में जुटे हैं। उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण, 2022 से सम्मानित किया गया है।
- मूलत : देवरिया जिले के निवासी राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी की शिक्षा-दीक्षा बनारस में हुई।
- वर्ष 1961 में संस्कृत विश्वविद्यालय से आचार्य की उपाधि हासिल की। विश्वविद्यालय से उस समय न्याय विद्या से 'आचार्य' करने वाले एकमात्र छात्र प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी ही थे।
- न्याय व वैशेषिक विभाग से वर्ष 2001 में रिटायर वशिष्ठ त्रिपाठी 81 वर्ष की आयु में भी छह-सात घंटे रोज पढ़ाते हैं। विभिन्न विवि व कालेजों के अध्यापक उनके पास सीखने-समझने के लिए आते रहते हैं। उनके पढ़ाए छात्र बीएचयू सहित प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में कार्यरत हैं।
- वशिष्ठ त्रिपाठी ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से न्यायावैशेषिक शास्त्राचार्य की शिक्षा हासिल की है। इसके बाद वह वाराणसी के ही कई महाविद्यालयों में सह प्राचार्य, न्याय प्रवक्ता, न्याय प्राध्यापक, दर्शन विभाग के अध्यक्ष रहे। वहीं बाद में संपूर्णांनंद संस्कृत विश्वविद्यालय में न्याय प्रवक्ता और न्याय वैशेषिक विद्वान के रूप में जाने गए।
- वशिष्ठ त्रिपाठी को 2004 में 'राष्ट्रपति सम्मान' मिला। इसके साथ ही दो दर्जन प्रतिष्ठित सम्मानों से भी नवाजा जा चुका है।
|
|
|
|
|