मदन मोहन पुंछी: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
(''''मदन मोहन पुंछी''' (अंग्रेज़ी: ''Madan Mohan Punchhi'', जन्म- 10 अक्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
No edit summary |
||
(One intermediate revision by the same user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
'''मदन मोहन पुंछी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Madan Mohan Punchhi'', जन्म- [[10 अक्टूबर]], [[1933]]; मृत्यु- [[17 जून]], [[2015]]) [[भारत]] के भूतपूर्व 28वें मुख्य न्यायाधीश थे। वह [[18 जनवरी]], [[1998]] से [[9 अक्टूबर]], [[1998]] तक मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहे। उनकी अध्यक्षता में ही '[[पुंछी आयोग]]' का गठन [[27 अप्रॅल]], [[2007]] में किया गया था।<br/> | {{सूचना बक्सा राजनीतिज्ञ | ||
|चित्र=Madan-Mohan-Punchhi.jpg | |||
|चित्र का नाम=मदन मोहन पुंछी | |||
|पूरा नाम=मदन मोहन पुंछी | |||
|अन्य नाम= | |||
|जन्म=[[10 अक्टूबर]], [[1933]] | |||
|जन्म भूमि=[[पंजाब]] | |||
|मृत्यु=[[17 जून]], [[2015]] | |||
|मृत्यु स्थान= | |||
|मृत्यु कारण= | |||
|अभिभावक= | |||
|पति/पत्नी= | |||
|संतान= | |||
|स्मारक= | |||
|क़ब्र= | |||
|नागरिकता=भारतीय | |||
|प्रसिद्धि=न्यायाधीश | |||
|पार्टी= | |||
|पद=मुख्य न्यायाधीश, भारत- [[18 जनवरी]], [[1998]] से [[9 अक्टूबर]], [[1998]] तक | |||
|कार्य काल= | |||
|शिक्षा= | |||
|भाषा= | |||
|विद्यालय=विधि संकाय, [[दिल्ली विश्वविद्यालय]] | |||
|जेल यात्रा= | |||
|पुरस्कार-उपाधि= | |||
|विशेष योगदान= | |||
|संबंधित लेख= | |||
|शीर्षक 1=पूर्वाधिकारी | |||
|पाठ 1=[[जगदीश शरण वर्मा]] | |||
|शीर्षक 2=उत्तराधिकारी | |||
|पाठ 2=[[आदर्श सेन आनंद]] | |||
|शीर्षक 3= | |||
|पाठ 3= | |||
|शीर्षक 4= | |||
|पाठ 4= | |||
|शीर्षक 5= | |||
|पाठ 5= | |||
|अन्य जानकारी= | |||
|बाहरी कड़ियाँ= | |||
|अद्यतन= | |||
}}'''मदन मोहन पुंछी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Madan Mohan Punchhi'', जन्म- [[10 अक्टूबर]], [[1933]]; मृत्यु- [[17 जून]], [[2015]]) [[भारत]] के भूतपूर्व 28वें मुख्य न्यायाधीश थे। वह [[18 जनवरी]], [[1998]] से [[9 अक्टूबर]], [[1998]] तक मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहे। उनकी अध्यक्षता में ही '[[पुंछी आयोग]]' का गठन [[27 अप्रॅल]], [[2007]] में किया गया था।<br/> | |||
*मदन मोहन पुंछी ने [[दिल्ली विश्वविद्यालय]] के विधि संकाय में क़ानून की पढ़ाई की, जिसके बाद उन्होंने [[1955]] में अपना कानूनी कॅरियर शुरू किया। | *मदन मोहन पुंछी ने [[दिल्ली विश्वविद्यालय]] के विधि संकाय में क़ानून की पढ़ाई की, जिसके बाद उन्होंने [[1955]] में अपना कानूनी कॅरियर शुरू किया। | ||
*[[अक्टूबर]] [[1979]] में वह पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए। | *[[अक्टूबर]] [[1979]] में वह पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए। | ||
*उन्हें अक्टूबर [[1989]] में भारत के [[सर्वोच्च न्यायालय]] के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया और [[जनवरी]] [[1998]] में वह [[भारत के मुख्य न्यायाधीश]] बने। | *उन्हें अक्टूबर [[1989]] में भारत के [[सर्वोच्च न्यायालय]] के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया और [[जनवरी]] [[1998]] में वह [[भारत के मुख्य न्यायाधीश]] बने। | ||
*सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें [[भारत सरकार]] द्वारा केंद्र राज्य संबंध आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था, जिसे बाद में 'पुंछी आयोग' के रूप में जाना गया, जो भारत में केंद्र-राज्य संबंधों से संबंधित मामलों से निपटता था। | *सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें [[भारत सरकार]] द्वारा केंद्र राज्य संबंध आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था, जिसे बाद में 'पुंछी आयोग' के रूप में जाना गया, जो भारत में केंद्र-राज्य संबंधों से संबंधित मामलों से निपटता था। | ||
*केद्र-राज्यों संबंधों पर अपनी संस्तुतियां देने के लिए मदन मोहन पुंछी के नेतृत्व में गठित आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी, जिसमें कुल 200 संस्तुतियां दी गई। इन संस्तुतियों में [[संविधान]] के अनुच्छेद 355 और 356 को संशोधित करने जिसके द्वारा केेंद्र संकट की स्थिति में किसी राज्य को कुछ समय के लिए अपने शासन के अंतर्गत ला सकता है, अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट की तर्ज पर देश में आंतरिक सुरक्षा के लिए एक | *केद्र-राज्यों संबंधों पर अपनी संस्तुतियां देने के लिए मदन मोहन पुंछी के नेतृत्व में गठित आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी, जिसमें कुल 200 संस्तुतियां दी गई। इन संस्तुतियों में [[संविधान]] के अनुच्छेद 355 और 356 को संशोधित करने जिसके द्वारा केेंद्र संकट की स्थिति में किसी राज्य को कुछ समय के लिए अपने शासन के अंतर्गत ला सकता है, अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट की तर्ज पर देश में आंतरिक सुरक्षा के लिए एक विभाग का गठन करने, राष्ट्रीय एकता परिषद को अधिक अधिकार प्रदान करने और सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए थोड़े समय के लिए बिना राज्य की सहमति के केेंद्र द्वारा केेंद्रीय सुरक्षा बलों को लगाने जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल थे। | ||
*पुंछी आयोग का गठन [[27 अप्रॅल]], [[2007]] में | *पुंछी आयोग का गठन [[27 अप्रॅल]], [[2007]] में न्यायाधीश मदन मोहन पुंछी के नेतृत्व में किया गया था। | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} |
Latest revision as of 05:37, 23 August 2022
मदन मोहन पुंछी
| |
पूरा नाम | मदन मोहन पुंछी |
जन्म | 10 अक्टूबर, 1933 |
जन्म भूमि | पंजाब |
मृत्यु | 17 जून, 2015 |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | न्यायाधीश |
पद | मुख्य न्यायाधीश, भारत- 18 जनवरी, 1998 से 9 अक्टूबर, 1998 तक |
विद्यालय | विधि संकाय, दिल्ली विश्वविद्यालय |
पूर्वाधिकारी | जगदीश शरण वर्मा |
उत्तराधिकारी | आदर्श सेन आनंद |
मदन मोहन पुंछी (अंग्रेज़ी: Madan Mohan Punchhi, जन्म- 10 अक्टूबर, 1933; मृत्यु- 17 जून, 2015) भारत के भूतपूर्व 28वें मुख्य न्यायाधीश थे। वह 18 जनवरी, 1998 से 9 अक्टूबर, 1998 तक मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहे। उनकी अध्यक्षता में ही 'पुंछी आयोग' का गठन 27 अप्रॅल, 2007 में किया गया था।
- मदन मोहन पुंछी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय में क़ानून की पढ़ाई की, जिसके बाद उन्होंने 1955 में अपना कानूनी कॅरियर शुरू किया।
- अक्टूबर 1979 में वह पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए।
- उन्हें अक्टूबर 1989 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया और जनवरी 1998 में वह भारत के मुख्य न्यायाधीश बने।
- सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें भारत सरकार द्वारा केंद्र राज्य संबंध आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था, जिसे बाद में 'पुंछी आयोग' के रूप में जाना गया, जो भारत में केंद्र-राज्य संबंधों से संबंधित मामलों से निपटता था।
- केद्र-राज्यों संबंधों पर अपनी संस्तुतियां देने के लिए मदन मोहन पुंछी के नेतृत्व में गठित आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी, जिसमें कुल 200 संस्तुतियां दी गई। इन संस्तुतियों में संविधान के अनुच्छेद 355 और 356 को संशोधित करने जिसके द्वारा केेंद्र संकट की स्थिति में किसी राज्य को कुछ समय के लिए अपने शासन के अंतर्गत ला सकता है, अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट की तर्ज पर देश में आंतरिक सुरक्षा के लिए एक विभाग का गठन करने, राष्ट्रीय एकता परिषद को अधिक अधिकार प्रदान करने और सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए थोड़े समय के लिए बिना राज्य की सहमति के केेंद्र द्वारा केेंद्रीय सुरक्षा बलों को लगाने जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल थे।
- पुंछी आयोग का गठन 27 अप्रॅल, 2007 में न्यायाधीश मदन मोहन पुंछी के नेतृत्व में किया गया था।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख