काली माता की आरती: Difference between revisions
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सौ सौ सिंहों से तु बलशाली, दस भुजाओं वाली | | सौ सौ सिंहों से तु बलशाली, दस भुजाओं वाली | | ||
दुखिंयों के दुखडें निवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती || | दुखिंयों के दुखडें निवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती || | ||
माँ बेटे का है इस जग में, | माँ बेटे का है इस जग में, बड़ा ही निर्मल नाता | | ||
पूत कपूत सूने हैं पर, माता ना सुनी कुमाता || | पूत कपूत सूने हैं पर, माता ना सुनी कुमाता || | ||
सब पर करुणा दरसाने वाली, अमृत बरसाने वाली || | सब पर करुणा दरसाने वाली, अमृत बरसाने वाली || | ||
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चरण कमल का लिया आसरा शरण तुम्हारी आन पडे | चरण कमल का लिया आसरा शरण तुम्हारी आन पडे | ||
जब जब भीड पडी भक्तन पर, तब तब आप सहाय करे ।। ( स० ) | जब जब भीड पडी भक्तन पर, तब तब आप सहाय करे ।। ( स० ) | ||
गुरु के वार सकल जग मोहयो, | गुरु के वार सकल जग मोहयो, तरुणी रूप अनूप धरे | ||
माता होकर पुत्र खिलावे, कही भार्या भोग करे | माता होकर पुत्र खिलावे, कही भार्या भोग करे | ||
शुक्र सुखदाई सदा सहाई संत खडे जयकार करे ।। ( स० ) | शुक्र सुखदाई सदा सहाई संत खडे जयकार करे ।। ( स० ) | ||
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वार शनिचर कुकम बरणो, जब लकड पर हुकुम करे ।। ( स० ) | वार शनिचर कुकम बरणो, जब लकड पर हुकुम करे ।। ( स० ) | ||
खड्ग खप्पर त्रिशुल हाथ लिये, रक्त बीज को भस्म करे | खड्ग खप्पर त्रिशुल हाथ लिये, रक्त बीज को भस्म करे | ||
शुम्भ निशुम्भ को क्षण | शुम्भ निशुम्भ को क्षण में मारे, महिषासुर को पकड दले ।। | ||
आदित वारी आदि भवानी, जन अपने को कष्ट हरे ।। ( स० ) | आदित वारी आदि भवानी, जन अपने को कष्ट हरे ।। ( स० ) | ||
कुपित होकर दानव मारे, चण्डमुण्ड सब चूर करे | कुपित होकर दानव मारे, चण्डमुण्ड सब चूर करे | ||
जब तुम देखी दया रूप हो, पल | जब तुम देखी दया रूप हो, पल में सकंट दूर करे | ||
सौम्य स्वभाव धरयो मेरी माता, जन की अर्ज कबूल करे ।। ( स० ) | सौम्य स्वभाव धरयो मेरी माता, जन की अर्ज कबूल करे ।। ( स० ) | ||
सात बार की महिमा बरनी, सब गुण कौन बखान करे | सात बार की महिमा बरनी, सब गुण कौन बखान करे | ||
सिंह पीठ पर चढी भवानी, अटल भवन | सिंह पीठ पर चढी भवानी, अटल भवन में राज्य करे | ||
दर्शन पावे मंगल गावे, सिद्ध साधक तेरी भेट धरे ।। ( स० ) | दर्शन पावे मंगल गावे, सिद्ध साधक तेरी भेट धरे ।। ( स० ) | ||
ब्रह्मा वेद पढे तेरे द्वारे, शिव शंकर हरी ध्यान धरे | ब्रह्मा वेद पढे तेरे द्वारे, शिव शंकर हरी ध्यान धरे | ||
इन्द्र कृष्ण तेरी करे आरती, चॅवर कुबेर डुलाय रहे | इन्द्र कृष्ण तेरी करे आरती, चॅवर कुबेर डुलाय रहे | ||
जय जननी जय मातु भवानी, अटल भवन | जय जननी जय मातु भवानी, अटल भवन में राज्य करे ।। ( स० ) | ||
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, मैया जै काली कल्याण करे ।।</poem></span></blockquote> | सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, मैया जै काली कल्याण करे ।।</poem></span></blockquote> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
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Latest revision as of 12:13, 21 March 2014
[[चित्र:maha_kali.jpg|thumb|250|काली माता
Kali Mata]]
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली |
तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ||
तेरे भक्त जनों पे माता, भीर पड़ी है भारी |
दानव दल पर टूट पडो माँ, करके सिंह सवारी ||
सौ सौ सिंहों से तु बलशाली, दस भुजाओं वाली |
दुखिंयों के दुखडें निवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ||
माँ बेटे का है इस जग में, बड़ा ही निर्मल नाता |
पूत कपूत सूने हैं पर, माता ना सुनी कुमाता ||
सब पर करुणा दरसाने वाली, अमृत बरसाने वाली ||
दुखियों के दुखडे निवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ||
नहीं मांगते धन और दौलत, न चाँदी न सोना |
हम तो मांगे माँ तेरे मन में, इक छोटा सा कोना ||
सबकी बिगडी बनाने वाली, लाज बचाने वाली |
सतियों के सत को संवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ||
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली |
तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ||
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा, हाथ जोड तेरे द्वार खडे।
पान सुपारी ध्वजा नारियल ले ज्वाला तेरी भेट धरे
सुन जगदम्बे न कर विलम्बे, संतन के भडांर भरे।
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जै काली कल्याण करे ।। ( स० )
बुद्धि विधाता तू जग माता, मेरा कारज सिद्व करे।
चरण कमल का लिया आसरा शरण तुम्हारी आन पडे
जब जब भीड पडी भक्तन पर, तब तब आप सहाय करे ।। ( स० )
गुरु के वार सकल जग मोहयो, तरुणी रूप अनूप धरे
माता होकर पुत्र खिलावे, कही भार्या भोग करे
शुक्र सुखदाई सदा सहाई संत खडे जयकार करे ।। ( स० )
ब्रह्मा विष्णु महेश फल लिये भेट तेरे द्वार खडे
अटल सिहांसन बैठी मेरी माता, सिर सोने का छत्र फिरे
वार शनिचर कुकम बरणो, जब लकड पर हुकुम करे ।। ( स० )
खड्ग खप्पर त्रिशुल हाथ लिये, रक्त बीज को भस्म करे
शुम्भ निशुम्भ को क्षण में मारे, महिषासुर को पकड दले ।।
आदित वारी आदि भवानी, जन अपने को कष्ट हरे ।। ( स० )
कुपित होकर दानव मारे, चण्डमुण्ड सब चूर करे
जब तुम देखी दया रूप हो, पल में सकंट दूर करे
सौम्य स्वभाव धरयो मेरी माता, जन की अर्ज कबूल करे ।। ( स० )
सात बार की महिमा बरनी, सब गुण कौन बखान करे
सिंह पीठ पर चढी भवानी, अटल भवन में राज्य करे
दर्शन पावे मंगल गावे, सिद्ध साधक तेरी भेट धरे ।। ( स० )
ब्रह्मा वेद पढे तेरे द्वारे, शिव शंकर हरी ध्यान धरे
इन्द्र कृष्ण तेरी करे आरती, चॅवर कुबेर डुलाय रहे
जय जननी जय मातु भवानी, अटल भवन में राज्य करे ।। ( स० )
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, मैया जै काली कल्याण करे ।।