ईति: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
(4 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 1: Line 1:
{{शब्द संदर्भ लघु
{{शब्द संदर्भ नया
|हिन्दी=बाधा, विघ्न, विपत्ति, उपद्रव, दंगा, विदेश-यात्रा, प्रवास फ़सल को हानि पहुँचाने वाले उपद्रव-अतिवृष्टि, अनावृष्टि, अग्निकांड और चूहों, पक्षियों, टिड्डियों तथा विदेशी आक्रमण से हानि
|अर्थ=बाधा, विघ्न, विपत्ति, उपद्रव, दंगा, विदेश-यात्रा, प्रवास फ़सल को हानि पहुँचाने वाले उपद्रव-अतिवृष्टि, अनावृष्टि, अग्निकांड और चूहों, पक्षियों, टिड्डियों तथा विदेशी आक्रमण से हानि।
|व्याकरण=स्त्रीलिंग
|व्याकरण=[[स्त्रीलिंग]]
|उदाहरण=कीन्हि मातु मिस काल कुचाली। '''ईति''' भीति जस पाकत साली।
|उदाहरण=कीन्हि मातु मिस काल कुचाली। '''ईति''' भीति जस पाकत साली। केहि बिधि होइ राम अभिषेकू। मोहि अवकलत उपाउ न एकू॥                                   हिन्दी अर्थ- (भरतजी सोचते हैं कि) माता के मिस से काल ने कुचाल की है। जैसे धान के पकते समय '''ईति''' का भय  उपस्थित होता। अब श्री रामचन्द्रजी का राज्याभिषेक किस प्रकार हो, मुझे तो एक भी उपाय नहीं सूझ पड़ता<ref>{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/religion/religion/hindu/ramcharitmanas/Ayodyakand/39.htm |title=चौपाई |accessmonthday=[[30 अप्रैल]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=एच टी एम |publisher=वेबदुनिया |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
केहि बिधि होइ [[राम]] अभिषेकू। मोहि अवकलत उपाउ न एकू॥
|विशेष=ईति खेती को हानि पहुँचानेवाले उपद्रव होते हैं। इन्हें छह प्रकार का बताया गया है :-
|विशेष=उदाहरण में दिए हिन्दी अर्थ: (भरतजी सोचते हैं कि) माता के मिस से काल ने कुचाल की है। जैसे धान के पकते समय '''ईति''' का भय  उपस्थित होता। अब श्री रामचन्द्रजी का राज्याभिषेक किस प्रकार हो, मुझे तो एक भी उपाय नहीं सूझ पड़ता<ref>{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/religion/religion/hindu/ramcharitmanas/Ayodyakand/39.htm |title=चौपाई |accessmonthday=[[30 अप्रैल]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=एच टी एम |publisher=वेबदुनिया |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
<blockquote>अतिवृष्टिरनावृष्टि: शलभा मूषका: शुका:।</blockquote>
<blockquote>प्रत्यासन्नाश्च राजान: षडेता ईतय: स्मृता:।।</blockquote>
अर्थात्‌ अतिवृष्टि, अनावृष्टि, टिड्डी पड़ना, चूहे लगना, पक्षियों की अधिकता तथा दूसरे राजा की चढ़ाई।
 
भारतीय विश्वास के अनुसार अच्छे राजा के राज्य में ईति भय नहीं सताता। तुलसीदास ने इसका उल्लेख किया है:
<blockquote>दसरथ राज न ईति भय नहिं दुख दुरित दुकाल।</blockquote>
<blockquote>प्रमुदित प्रजा प्रसन्न सब सब सुख सदा सुकाल।।<ref>(तुलसी ग्रंथा.पृ. 68)</ref></blockquote>
 
सूरदास ने कुराज में ईतिभय की संभावना दिखाई है :
<blockquote>अब राधे नाहिनै ब्रजनीति।</blockquote>
<blockquote>सखि बिनु मिलै तो ना बनि ऐहै कठिन कुराजराज की ईति।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=26 |url=}}</ref></blockquote>
|विलोम=
|विलोम=
|पर्यायवाची=
|पर्यायवाची=
|संस्कृत=ई+क्तिन्
|संस्कृत=ई+क्तिन्
|अन्य ग्रंथ=
|अन्य ग्रंथ='''ईति'''र्डिम्बप्रवासयो: उदयेऽधिगमे प्राप्ति। त्रेता त्वग्नित्रये युगे वीणाभेदेऽपि महती॥
|संबंधित शब्द=
|संबंधित शब्द=
|संबंधित लेख=
|सभी लेख=
}}
}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
[[Category:हिन्दी विश्वकोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 08:10, 29 June 2018


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. चौपाई (हिन्दी) (एच टी एम) वेबदुनिया। अभिगमन तिथि: 30 अप्रैल, 2011
  2. (तुलसी ग्रंथा.पृ. 68)
  3. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 26 |