मेरा इतिहास नहीं है -गोपालदास नीरज: Difference between revisions

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काल बादलों से......!
काल बादलों से......!


मुझसे ज्यादा मस्त जगत में मस्ती जिसकी,
मुझसे ज़्यादा मस्त जगत् में मस्ती जिसकी,
और अधिक आजाद अछूती हस्ती किसकी,
और अधिक आज़ाद अछूती हस्ती किसकी,
मेरी बुलबुल चहका करती उस बगिया में,
मेरी बुलबुल चहका करती उस बगिया में,
जहाँ सदा पतझर, आता मधुमास नहीं है!
जहाँ सदा पतझर, आता मधुमास नहीं है!
काल बादलों से......!
काल बादलों से......!


किसमें इतनी शक्ति साथ जो कदम धर सके,
किसमें इतनी शक्ति साथ जो क़दम धर सके,
गति न पवन की भी जो मुझसे होड़ कर सके,
गति न पवन की भी जो मुझसे होड़ कर सके,
मैं ऐसे पथ का पंथी हूँ जिसको क्षण भर,
मैं ऐसे पथ का पंथी हूँ जिसको क्षण भर,

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मेरा इतिहास नहीं है -गोपालदास नीरज
कवि गोपालदास नीरज
जन्म 4 जनवरी, 1925
मुख्य रचनाएँ दर्द दिया है, प्राण गीत, आसावरी, गीत जो गाए नहीं, बादर बरस गयो, दो गीत, नदी किनारे, नीरज की पाती, लहर पुकारे, मुक्तकी, गीत-अगीत, विभावरी, संघर्ष, अंतरध्वनी, बादलों से सलाम लेता हूँ, कुछ दोहे नीरज के
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
गोपालदास नीरज की रचनाएँ

काल बादलों से धुल जाए वह मेरा इतिहास नहीं है!
गायक जग में कौन गीत जो मुझ सा गाए,
मैंने तो केवल हैं ऐसे गीत बनाए,
कंठ नहीं, गाती हैं जिनको पलकें गीली,
स्वर-सम जिनका अश्रु-मोतिया, हास नहीं है!
काल बादलों से......!

मुझसे ज़्यादा मस्त जगत् में मस्ती जिसकी,
और अधिक आज़ाद अछूती हस्ती किसकी,
मेरी बुलबुल चहका करती उस बगिया में,
जहाँ सदा पतझर, आता मधुमास नहीं है!
काल बादलों से......!

किसमें इतनी शक्ति साथ जो क़दम धर सके,
गति न पवन की भी जो मुझसे होड़ कर सके,
मैं ऐसे पथ का पंथी हूँ जिसको क्षण भर,
मंजिल पर भी रुकने का अवकाश नहीं है!
काल बादलों से......!

कौन विश्व में है जिसका मुझसे सिर ऊँचा?
अभ्रंकष यह तुंग हिमालय भी तो नीचा,
क्योंकि खुले हैं मेरे लोचन उस दुनिया में,
जहाँ धरा तो है लेकिन आकाश नहीं है!
काल बादलों से......!


टीका टिप्पणी और संदर्भ

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