तुम झूम झूम गाओ -गोपालदास नीरज: Difference between revisions

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<poem>तुम झूम झूम गाओ, रोते नयन हंसाओ,
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तुम झूम झूम गाओ, रोते नयन हंसाओ,
मैं हर नगर डगर के कांटे बुहार दूंगा।
मैं हर नगर डगर के कांटे बुहार दूंगा।


भटकी हुई पवन है,
भटकी हुई पवन है,
सहमी हुई किरन है,
सहमी हुई किरन है,
न पता नहीं सुबह का,
न पता कहीं सुबह का,
हर ओर तम गहन है,
हर ओर तम गहन है,
तुम द्वार द्वार जाओ, परदे उघार आओ,
तुम द्वार द्वार जाओ, परदे उघार आओ,
मैं सूर्य-चांद सारे भू पर उतार दूंगा।
मैं सूर्य - चांद सारे भू पर उतार दूंगा।
तुम झूम झूम गाओ।
तुम झूम झूम गाओ।


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व्याकुल हरेक चितवन,
व्याकुल हरेक चितवन,
घायल हरेक काजल,
घायल हरेक काजल,
तुम सेज-सेज जाओ, सपने नए सजाओ,
तुम सेज - सेज जाओ, सपने नए सजाओ,
मैं हर कली अली के पी को पुकार दूंगा।
मैं हर कली अली के पी को पुकार दूंगा।
तुम झूम झूम गाओ।
तुम झूम झूम गाओ।


विधवा हरेक डाली,
विधवा हरेक डाली,
हर एक नीड़ खाली,
हर एक नीड़ ख़ाली,
गाती न कहीं कोयल,
गाती न कहीं कोयल,
दिखता न कहीं माली,
दिखता न कहीं माली,
तुम बाग जाओ, हर फूल को जगाओ,
तुम बाग़ जाओ, हर फूल को जगाओ,
मैं धूल को उड़ाकर सबको बहार दूंगा।
मैं धूल को उड़ाकर सबको बहार दूंगा।
तुम झूम झूम गाओ।
तुम झूम झूम गाओ।
Line 62: Line 63:
दुनिया बदल रही है,
दुनिया बदल रही है,
तुम खेत खेत जाओ, दो बीज डाल आओ,
तुम खेत खेत जाओ, दो बीज डाल आओ,
इतिहास से हुई मैं गलती सुधार दूंगा।
इतिहास से हुई मैं ग़लती सुधार दूंगा।
तुम झूम-झूम गाओ।  
तुम झूम झूम गाओ।  





Latest revision as of 12:45, 16 February 2012

तुम झूम झूम गाओ -गोपालदास नीरज
कवि गोपालदास नीरज
जन्म 4 जनवरी, 1925
मुख्य रचनाएँ दर्द दिया है, प्राण गीत, आसावरी, गीत जो गाए नहीं, बादर बरस गयो, दो गीत, नदी किनारे, नीरज की पाती, लहर पुकारे, मुक्तकी, गीत-अगीत, विभावरी, संघर्ष, अंतरध्वनी, बादलों से सलाम लेता हूँ, कुछ दोहे नीरज के
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
गोपालदास नीरज की रचनाएँ

तुम झूम झूम गाओ, रोते नयन हंसाओ,
मैं हर नगर डगर के कांटे बुहार दूंगा।

भटकी हुई पवन है,
सहमी हुई किरन है,
न पता कहीं सुबह का,
हर ओर तम गहन है,
तुम द्वार द्वार जाओ, परदे उघार आओ,
मैं सूर्य - चांद सारे भू पर उतार दूंगा।
तुम झूम झूम गाओ।

गीला हरेक आंचल,
टूटी हरेक पायल,
व्याकुल हरेक चितवन,
घायल हरेक काजल,
तुम सेज - सेज जाओ, सपने नए सजाओ,
मैं हर कली अली के पी को पुकार दूंगा।
तुम झूम झूम गाओ।

विधवा हरेक डाली,
हर एक नीड़ ख़ाली,
गाती न कहीं कोयल,
दिखता न कहीं माली,
तुम बाग़ जाओ, हर फूल को जगाओ,
मैं धूल को उड़ाकर सबको बहार दूंगा।
तुम झूम झूम गाओ।

मिट्टी उजल रही है,
धरती संभल रही है,
इन्सान जग रहा है,
दुनिया बदल रही है,
तुम खेत खेत जाओ, दो बीज डाल आओ,
इतिहास से हुई मैं ग़लती सुधार दूंगा।
तुम झूम झूम गाओ।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख