चौंको मत मेरे दोस्त -कन्हैयालाल नंदन: Difference between revisions
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चौंको मत मेरे दोस्त | चौंको मत मेरे दोस्त | ||
अब | अब ज़मीन किसी का इंतज़ार नहीं करती। | ||
पांच साल का रहा होऊँगा मैं, | पांच साल का रहा होऊँगा मैं, | ||
जब मैंने चलती हुई रेलगाड़ी पर से | जब मैंने चलती हुई रेलगाड़ी पर से | ||
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मेरे पिताजी की आँखें चमकी थीं। | मेरे पिताजी की आँखें चमकी थीं। | ||
और वे मुस्करा कर बोले थे, बेटा! | और वे मुस्करा कर बोले थे, बेटा! | ||
पेड़ अपनी | पेड़ अपनी ज़मीन नहीं छोड़ते। | ||
और तब मेरे बालमन में एक दूसरा सवाल उछला था | और तब मेरे बालमन में एक दूसरा सवाल उछला था | ||
कि पेड़ ज़मीन को नहीं छोड़ते | कि पेड़ ज़मीन को नहीं छोड़ते | ||
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विरसे में मैंने यात्राएँ ही पाया है | विरसे में मैंने यात्राएँ ही पाया है | ||
और पिता का वचन जब-जब मुझे याद आया है | और पिता का वचन जब-जब मुझे याद आया है | ||
मैंने अपनी | मैंने अपनी ज़मीन के मोह में सहा है | ||
वापसी यात्राओं का दर्द। | वापसी यात्राओं का दर्द। | ||
और देखा | और देखा |
Latest revision as of 13:30, 1 October 2012
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चौंको मत मेरे दोस्त |
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