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         '''[[गणतंत्र दिवस]]''' [[भारत]] में [[26 जनवरी]] को मनाया जाता है और यह भारत का एक राष्ट्रीय पर्व है। 26 जनवरी, 1950 को [[भारत का संविधान|भारतीय संविधान]] लागू होने के बाद सरकार के संसदीय रूप के साथ एक संप्रभुताशाली समाजवादी लोक‍तांत्रिक गणतंत्र के रूप में भारत देश सामने आया। सबसे पहली बार 21 तोपों की सलामी के साथ भारतीय [[तिरंगा|राष्‍ट्रीय ध्‍वज]] को [[राजेन्द्र प्रसाद|डॉ. राजेन्द्र प्रसाद]] ने फहराकर 26 जनवरी, 1950 को भारतीय गणतंत्र के ऐतिहासिक जन्‍म की घो‍षणा की थी। यह आयोजन हमें देश के सभी शहीदों के नि:स्‍वार्थ बलिदान की याद दिलाता है, जिन्‍होंने आज़ादी के संघर्ष में अपने जीवन बलिदान कर दिए और विदेशी आक्रमणों के विरुद्ध अनेक लड़ाइयाँ जीती। [[गणतंत्र दिवस|... और पढ़ें]]
         '''[[संसद भवन]]''' [[नई दिल्ली]] में स्थित सर्वाधिक भव्य भवनों में से एक है, जहाँ विश्व में किसी भी देश में मौजूद वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूनों की उज्ज्वल छवि मिलती है। राजधानी में आने वाले भ्रमणार्थी इस भवन को देखने ज़रूर आते हैं जैसा कि संसद के दोनों सभाएं [[लोक सभा]] और [[राज्य सभा]] इसी भवन के अहाते में स्थित हैं। संसद भवन संपदा के अंतर्गत संसद भवन, स्वागत कार्यालय भवन, संसदीय ज्ञानपीठ (संसद ग्रंथालय भवन) संसदीय सौध और इसके आस-पास के विस्तृत लॉन, जहां फ़व्वारे वाले तालाब हैं, शामिल हैं। संसद भवन की अभिकल्पना दो मशहूर वास्तुकारों - '''सर एडविन लुटय़न्स''' और '''सर हर्बर्ट बेकर''' ने तैयार की थी जो नई दिल्ली की आयोजना और निर्माण के लिए उत्तरदायी थे। संसद भवन की आधारशिला [[12 फ़रवरी]], [[1921]] को महामहिम '''द डय़ूक ऑफ कनाट''' ने रखी थी । इस भवन के निर्माण में छह [[वर्ष]] लगे और इसका उद्घाटन समारोह [[भारत]] के तत्कालीन गवर्नर जनरल [[लॉर्ड इर्विन]] ने [[18 जनवरी]], [[1927]] को आयोजित किया। इसके निर्माण पर 83 लाख रुपये की लागत आई। [[संसद भवन|... और पढ़ें]]
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एक आलेख

right|150px|link=संसद भवन|border

        संसद भवन नई दिल्ली में स्थित सर्वाधिक भव्य भवनों में से एक है, जहाँ विश्व में किसी भी देश में मौजूद वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूनों की उज्ज्वल छवि मिलती है। राजधानी में आने वाले भ्रमणार्थी इस भवन को देखने ज़रूर आते हैं जैसा कि संसद के दोनों सभाएं लोक सभा और राज्य सभा इसी भवन के अहाते में स्थित हैं। संसद भवन संपदा के अंतर्गत संसद भवन, स्वागत कार्यालय भवन, संसदीय ज्ञानपीठ (संसद ग्रंथालय भवन) संसदीय सौध और इसके आस-पास के विस्तृत लॉन, जहां फ़व्वारे वाले तालाब हैं, शामिल हैं। संसद भवन की अभिकल्पना दो मशहूर वास्तुकारों - सर एडविन लुटय़न्स और सर हर्बर्ट बेकर ने तैयार की थी जो नई दिल्ली की आयोजना और निर्माण के लिए उत्तरदायी थे। संसद भवन की आधारशिला 12 फ़रवरी, 1921 को महामहिम द डय़ूक ऑफ कनाट ने रखी थी । इस भवन के निर्माण में छह वर्ष लगे और इसका उद्घाटन समारोह भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन ने 18 जनवरी, 1927 को आयोजित किया। इसके निर्माण पर 83 लाख रुपये की लागत आई। ... और पढ़ें

पिछले आलेख राष्ट्रपति रसखान की भाषा मौर्य काल