राजस्थान स्तेपी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replacement - "शृंखला" to "श्रृंखला")
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
Line 4: Line 4:
प्राचीन काल में इस क्षेत्र पर क्रमश: [[मौर्य वंश|मौर्य]], [[गुप्त वंश|गुप्त]] व [[गुर्जर प्रतिहार वंश|गुर्जर-प्रतिहार वंशों]] का शासन रहा था। बाद में [[मुग़ल|मुग़लों]] के नियंत्रण में आने से पहले इस पर [[राजपूत]] राजवंशों ने शासन किया।<ref name="aa">{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारत ज्ञानकोश, खण्ड-5|लेखक=इंदु रामचंदानी|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली और पॉप्युलर प्रकाशन, मुम्बई|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=71|url=}}</ref>
प्राचीन काल में इस क्षेत्र पर क्रमश: [[मौर्य वंश|मौर्य]], [[गुप्त वंश|गुप्त]] व [[गुर्जर प्रतिहार वंश|गुर्जर-प्रतिहार वंशों]] का शासन रहा था। बाद में [[मुग़ल|मुग़लों]] के नियंत्रण में आने से पहले इस पर [[राजपूत]] राजवंशों ने शासन किया।<ref name="aa">{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारत ज्ञानकोश, खण्ड-5|लेखक=इंदु रामचंदानी|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली और पॉप्युलर प्रकाशन, मुम्बई|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=71|url=}}</ref>
====विस्तार====
====विस्तार====
[[जोधपुर]] के समीप [[विंध्य पर्वतमाला|विंध्य पर्वत शृंखला]] के समान आधार शैल है; आगे दक्षिण में मालानी ज्वालामुखीय और जालोर सिवाना ग्रेनाइट चट्टानें मिलती हैं। यह क्षेत्र पूर्वोत्तर में [[अरावली पर्वत शृंखला]] से दक्षिण-पूर्व में [[लूनी नदी]] बेसिन की ओर ढलान लिए हुए है, जहां बलुआ सतह के ऊपर चट्टानों पर हवा द्वारा अपरदन के प्रमाण देखे जा सकते है।
[[जोधपुर]] के समीप [[विंध्य पर्वतमाला|विंध्य पर्वत श्रृंखला]] के समान आधार शैल है; आगे दक्षिण में मालानी ज्वालामुखीय और जालोर सिवाना ग्रेनाइट चट्टानें मिलती हैं। यह क्षेत्र पूर्वोत्तर में [[अरावली पर्वत श्रृंखला]] से दक्षिण-पूर्व में [[लूनी नदी]] बेसिन की ओर ढलान लिए हुए है, जहां बलुआ सतह के ऊपर चट्टानों पर हवा द्वारा अपरदन के प्रमाण देखे जा सकते है।
==वनस्पति व झीलें==
==वनस्पति व झीलें==
इस स्तेपी में अनेक प्राकृतिक नालियां हैं। ज़्यादातर इलाक़े कांटेदार झाड़ियों, बबूल और ताड़ के वृक्षों से आच्छादित हैं। लूनी यहां की एकमात्र प्रमुख नदी है। अंतर्देशीय अपवाह प्रणाली से डिडवाना, कच्छमन, डिगना और [[सांभर झील जयपुर|सांभर]] जैसी कई [[झील|झीलें]] बन गई हैं।<ref name="aa"/>
इस स्तेपी में अनेक प्राकृतिक नालियां हैं। ज़्यादातर इलाक़े कांटेदार झाड़ियों, बबूल और ताड़ के वृक्षों से आच्छादित हैं। [[लूनी नदी|लूनी]] यहां की एकमात्र प्रमुख नदी है। अंतर्देशीय अपवाह प्रणाली से डिडवाना, कच्छमन, डिगना और [[सांभर झील जयपुर|सांभर]] जैसी कई [[झील|झीलें]] बन गई हैं।<ref name="aa"/>
====कृषि तथा पशुपालन====
====कृषि तथा पशुपालन====
यहाँ बलुआ मिट्टी में घुलनधील लवण का ऊंचा प्रतिशत रहता है। यहाँ [[गाय]]-बैल, भेड़-बकरी और ऊंट पशुपालन तथा [[कृषि]] आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण हैं। अनाज, दलहन, [[तिलहन]], [[कपास]] और [[गन्ना|गन्ने]] की खेती होती है।
यहाँ बलुआ मिट्टी में घुलनधील लवण का ऊंचा प्रतिशत रहता है। यहाँ [[गाय]]-बैल, भेड़-बकरी और ऊंट पशुपालन तथा [[कृषि]] आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण हैं। अनाज, दलहन, [[तिलहन]], [[कपास]] और [[गन्ना|गन्ने]] की खेती होती है।

Latest revision as of 11:51, 9 February 2021

राजस्थान स्तेपी रेगिस्तानी क्षेत्र है, जो पश्चिमोत्तर भारत के पश्चिम-मध्य राजस्थान राज्य का भाग है। इसका क्षेत्रफल 1,42,000 वर्ग कि.मी. है। जोधपुर, गंगानगर, चुरू और झुंझुनू यहां के महत्त्वपूर्ण नगर है।

इतिहास

प्राचीन काल में इस क्षेत्र पर क्रमश: मौर्य, गुप्तगुर्जर-प्रतिहार वंशों का शासन रहा था। बाद में मुग़लों के नियंत्रण में आने से पहले इस पर राजपूत राजवंशों ने शासन किया।[1]

विस्तार

जोधपुर के समीप विंध्य पर्वत श्रृंखला के समान आधार शैल है; आगे दक्षिण में मालानी ज्वालामुखीय और जालोर सिवाना ग्रेनाइट चट्टानें मिलती हैं। यह क्षेत्र पूर्वोत्तर में अरावली पर्वत श्रृंखला से दक्षिण-पूर्व में लूनी नदी बेसिन की ओर ढलान लिए हुए है, जहां बलुआ सतह के ऊपर चट्टानों पर हवा द्वारा अपरदन के प्रमाण देखे जा सकते है।

वनस्पति व झीलें

इस स्तेपी में अनेक प्राकृतिक नालियां हैं। ज़्यादातर इलाक़े कांटेदार झाड़ियों, बबूल और ताड़ के वृक्षों से आच्छादित हैं। लूनी यहां की एकमात्र प्रमुख नदी है। अंतर्देशीय अपवाह प्रणाली से डिडवाना, कच्छमन, डिगना और सांभर जैसी कई झीलें बन गई हैं।[1]

कृषि तथा पशुपालन

यहाँ बलुआ मिट्टी में घुलनधील लवण का ऊंचा प्रतिशत रहता है। यहाँ गाय-बैल, भेड़-बकरी और ऊंट पशुपालन तथा कृषि आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण हैं। अनाज, दलहन, तिलहन, कपास और गन्ने की खेती होती है।

खनिज संपदा

इस क्षेत्र को कभी-कभी सूखा और टिड्डियों के झुडों के आक्रमण झेलने पड़ते हैं। खनिज संपदा में यह समृद्ध है और यहां जिप्सम, चांदी के अयस्क तथा फ़ेल्सपार का खनन होता है। सांभर सॉल्ट लेक के समीप एक सल्फ़र प्लांट स्थित है। यहां कंबल, ऊनी वस्त्र, चीनी, सीमेंट, कीटनाशक और रंजक का निर्माण होता है।


  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 भारत ज्ञानकोश, खण्ड-5 |लेखक: इंदु रामचंदानी |प्रकाशक: एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली और पॉप्युलर प्रकाशन, मुम्बई |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 71 |

संबंधित लेख