भृंग: Difference between revisions

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भृड़्‍ग (भृंग)- [स. भृ+गन्, कित्, नुट्‍-आगम] पु. 1. भ्रमर। भौंरा। 2. भृंगराज(पौधा)। भैंगरा। 3. भृंगराज पक्षी। 4. लम्प्ट मनुष्य। 5. सुवर्ण का घट/पात्र। 6. एक कीड़ा जो किसी कीड़े को पकड़कर उसे मिट्टी से ढँक देता है और फिर उस पर बैठकर अपनी आवाज आदि से कीड़े को अपने समान ही बना लेता है। (छन्द.) एक समवर्णिक छ्न्द जिसके प्रत्येक चरण में क्रमश: 6 नगण और गुरु-लघु के योग से 20 वर्ण होते हैं तथा 6-6-8 पर यति होति है।
{{शब्द संदर्भ नया
|अर्थ=भ्रमर, भौंरा, भृंगराज (पौधा), भँगरा, भृंगराज पक्षी, लम्पट मनुष्य, सुवर्ण का घट/पात्र।  
|व्याकरण=[[पुल्लिंग]], एक समवर्णिक छ्न्द जिसके प्रत्येक चरण में क्रमश: 6 नगण और गुरु-लघु के योग से 20 वर्ण होते हैं तथा 6-6-8 पर यति होती है।
|उदाहरण=मैं प्यासा भृंग जनम भर का<br />
फिर मेरी प्यास बुझाए क्या,<br />
दुनिया का प्यार रसम भर का ।<br />
मैं प्यासा भृंग जनम भर का ।। -गोपाल सिंह नेपाली
|विशेष=एक कीड़ा जो किसी कीड़े को पकड़कर उसे [[मिट्टी]] से ढँक देता है और फिर उस पर बैठकर अपनी आवाज़ आदि से कीड़े को अपने समान ही बना लेता है।  
|विलोम=
|पर्यायवाची=
|संस्कृत=[(धातु) भृ+गन्, कित्, नुट्‍-आगम]
|अन्य ग्रंथ=
|संबंधित शब्द=भृंगक
|संबंधित लेख=
|सभी लेख=
}}
 
[[category:शब्द संदर्भ कोश]]
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Latest revision as of 08:28, 29 September 2015