आब गई आदर गया -रहीम: Difference between revisions

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{{लेख क्रम3| पिछला=बिगरी बात बने नहीं -रहीम |मुख्य शीर्षक=रहीम के दोहे |अगला=खीरा सिर ते काटिये -रहीम }}
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

Latest revision as of 11:37, 4 February 2016

आब गई आदर गया, नैनन गया सनेहि।
ये तीनों तब ही गये, जबहि कहा कछु देहि॥

अर्थ

ज्यों ही कोई किसी से कुछ मांगता है त्यों ही आबरू, आदर और आंख से प्रेम चला जाता है।


left|50px|link=बिगरी बात बने नहीं -रहीम|पीछे जाएँ रहीम के दोहे right|50px|link=खीरा सिर ते काटिये -रहीम|आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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