पहेली 18 जुलाई 2017: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
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{'''बर्बाद गुलिस्तां करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी है<br />
{'''बर्बाद गुलिस्तां करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी है'''<br />
हर शाख पे उल्लू बैठें हैं अंजाम ऐ गुलिस्तां क्या होगा।'''
'''हर शाख पे उल्लू बैठें हैं अंजाम ऐ गुलिस्तां क्या होगा।'''


यह शेर किस प्रसिद्ध शायर द्वारा लिखा गया है?
यह शेर किस प्रसिद्ध शायर द्वारा लिखा गया है?

Latest revision as of 10:43, 16 June 2017

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बर्बाद गुलिस्तां करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी है
हर शाख पे उल्लू बैठें हैं अंजाम ऐ गुलिस्तां क्या होगा।

यह शेर किस प्रसिद्ध शायर द्वारा लिखा गया है?

शकील बदायूँनी
ग़ालिब
शौक़ बहराइची
निदा फ़ाज़ली



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