उत्तर (दिशा): Difference between revisions

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|पाठ 1=[[कुबेर]]
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Latest revision as of 12:26, 21 January 2018

उत्तर (दिशा)
विवरण उत्तर एक दिशा है। इस दिशा से चुम्बकीय तरंगों का भवन में प्रवेश होता है। चुम्बकीय तरंगें मानव शरीर में बहने वाले रक्त संचार को प्रभावित करती हैं और इसी से स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है।
देवता कुबेर
वास्तु महत्व बुध इस दिशा के स्वामी है। इस दिशा को घर में हमेशा कच्ची जमीन छुडवानी चाहिये। इससे घर में धन की देवी लक्ष्मी का आगमन होता है।
अन्य जानकारी प्राचीनकाल में दिशा निर्धारण प्रातःकाल व मध्याह्न के पश्चात एक बिन्दु पर एक छड़ी लगाकर सूर्य रश्मियों द्वारा पड़ रही छड़ी की परछाई तथा उत्तरायणदक्षिणायन काल की गणना के आधार पर किया जाता था।

उत्तर (अंग्रेज़ी:North) एक दिशा है। इस दिशा से चुम्बकीय तरंगों का भवन में प्रवेश होता है। चुम्बकीय तरंगें मानव शरीर में बहने वाले रक्त संचार को प्रभावित करती हैं और इसी से स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। अतः स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से इस दिशा का प्रभाव बहुत बढ़ जाता है। स्वास्थ्य के साथ–साथ यह धन को भी प्रभावित करती है। इस दिशा में निर्माण में कुछ विशेष बातों को ध्यान में रखना चाहिए जैसे– इस दिशा में भूमि तुलनात्मक रूप से नीची होनी चाहिए तथा बालकनी का निर्माण भी इसी दिशा में करना चाहिए। अधिक से अधिक दरवाजे और खिड़कियां इसी दिशा रखना चाहिए। बरामदा, पोर्टिकों और वाश बेसिन आदि इसी दिशा में होने चाहिए।

वास्तु शास्त्र के अनुसार

उत्तर दिशा के अधिपति हैं रावण के भाई कुबेर। कुबेर को धन का देवता भी कहा जाता है। बुध ग्रह उत्तर दिशा के स्वामी हैं। उत्तर दिशा को मातृ स्थान भी कहा गया है। उत्तर दिशा धन की दिशा मानी जाती है इसीलिए कुबेर देव को इस दिशा का देवता माना जाता है। इस दिशा को घर में हमेशा कच्ची जमीन छुडवानी चाहिये और इसे खाली भी छोड़ना चाहिये। इससे घर में धन की देवी लक्ष्मी का आगमन होता है। अगर आप घर में तिजोरी का इस्तेमाल करते हैं तो आप उसकी स्थापना भी इसी दिशा में करें। उत्तर और ईशान दिशा में घर का मुख्‍य द्वार हो तो अति उत्तम होता है। इस दिशा में शौचालय, रसोईघर बनवाने, कूड़ा-करकट डालने और इस दिशा को गंदा रखने से धन-संपत्ति का नाश होकर दुर्भाग्य का निर्माण होता है।

दिशाओं के नाम

अंग्रेज़ी संस्कृत (हिन्दी)
East पूरब, प्राची, प्राक्
West पश्चिम, प्रतीचि, अपरा
North उत्तर, उदीचि
South दक्षिण, अवाचि
North-East ईशान्य
South-East आग्नेय
North-West वायव्य
South-West नैऋत्य
Zenith ऊर्ध्व
Nadir अधो


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प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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