पहेली 17 नवम्बर 2018: Difference between revisions

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+[[महाकाव्य]]
+[[महाकाव्य]]
-चम्पू काव्य
-चम्पू काव्य
||[[चित्र:Kamayani.jpg|right|120px|कामायनी]]भारतीय और पाश्चात्य आलोचकों के उपर्युक्त निरूपण की तुलना करने पर स्पष्ट हो जाता है कि दोनों में ही महाकाव्य के विभिन्न तत्वों के संदर्भ में एक ही गुण पर बार-बार शब्दभेद से बल दिया गया है और वह है भव्यता एवं गरिमा, जो औदात्य से अंग हैं। वास्तव में, महाकाव्य व्यक्ति की चेतना से अनुप्राणित न होकर समस्त युग एवं राष्ट्र की चेतना से अनुप्राणित होता है। इसी कारण उसके मूल तत्व देशकाल सापेक्ष न होकर सार्वभौम होते हैं, जिनके अभाव में किसी भी देश अथवा युग की कोई रचना महाकाव्य नहीं बन सकती और जिनके सद्भाव में, परंपरागत शास्त्रीय लक्षणों की बाधा होने पर भी, किसी कृति को महाकाव्य के गौरव से वंचित करना संभव नहीं होता।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महाकाव्य]]</quiz>
||[[चित्र:Kamayani.jpg|right|120px|कामायनी]][[साहित्य]] की परिधि के अन्तर्गत महाकाव्यों का विशेष महत्त्व है। [[भारत]] में '[[रामायण]]' और महाभारत अद्यतन महाकाव्यों के उद्गम और प्रेरणा के स्रोत रहे हैं। महाकाव्य के जिन लक्षणों का निरूपण भारतीय आचार्यों ने किया, शब्दभेद से उन्हीं से मिलती जुलती विशेषताओं का उल्लेख पश्चिम के आचार्यों ने भी किया है। संस्कृत काव्यशास्त्र में महाकाव्य का प्रथम सूत्रबद्ध लक्षण आचार्य भामह ने प्रस्तुत किया और परवर्ती आचार्यों में [[दंडी]], रुद्रट तथा विश्वनाथ ने अपने अपने ढंग से इस लक्षण का विस्तार किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महाकाव्य]]</quiz>


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{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}

Latest revision as of 12:46, 25 October 2018