प्लासी युद्ध: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 1: Line 1:
'''प्लासी का प्रसिद्ध युद्ध''', [[राबर्ट क्लाइब]] के नेतृत्व में [[ईस्ट इंडिया कम्पनी]] की सेना और [[बंगाल]] के नवाब [[सिराजुद्दौला]] की सेना के बीच 23 जून, 1757 ई. को हुआ था, जिसमें क्लाइव की कूटनीति के कारण [[अंग्रेज़]] विजय हुए। इस युद्ध से अंग्रेज़ों को भारतीय राज्यों के दुर्बल सैनिक संघटन का पता चल गया। नवाब के प्रमुख सेनाध्यक्ष मीरजाफ़र तथा उसके सहयोगियों के विश्वासघात के कारण यह लड़ाई कुछ ही घंटे चल पाई-सुबह आरम्भ हुई तथा दोपहर तक समाप्त हो गई। फलत: नवाब की हार हुई। इसे एक लड़ाई न कहकर एक झड़प कहना अधिक युक्तिसंगत होगा। फिर भी इस लड़ाई के बहुत ही गम्भीर परिणाम हुए। नवाब सिराजुद्दौला, जो कि युद्धभूमि से भाग गया था, शीघ्र ही बंदी बना लिया गया और उसकी हत्या कर दी गई। विजयी अंग्रेज़ी सेना अपने कठपुतली, विश्वासघाती मीरजाफ़र को लेकर [[मुर्शिदाबाद]] की ओर बढ़ी और उसके पहुँचते ही मुर्शिदाबाद ने बिना किसी लड़ाई के आत्मसमर्पण कर दिया। मीरजाफ़र को बंगाल का नवाब घोषित कर दिया गया। मीरजाफ़र ने सारा ख़ज़ाना राबर्ट क्लाइब तथा उसके सहयोगी अंग्रेज़ों को पुरस्कृत करने में ही लुटा दिया और पूरी तरह से वह अंग्रेज़ों का आश्रित हो गया। अंग्रेज़ एक प्रकार से बंगाल के सर्वेसर्वा बन गये। बंगाल की जो दौलत उनके हाथ लगी, उसने उनको [[भारत]] और फ़्राँसीसियों पर विजय प्राप्त करने में बहुत मदद की। फ़्राँसीसियों के साथ उनका जो युद्ध हुआ, वह कर्नाटक के युद्ध के नाम से प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि पलाश अथवा ढाक के वृक्षों की बहुतायत होने से ही इस ग्राम को [[प्लासी]] कहा जाता था। यह [[भागीरथी नदी]] के वाम तट पर बसा है।
'''प्लासी का प्रसिद्ध युद्ध''', [[राबर्ट क्लाइब]] के नेतृत्व में [[ईस्ट इंडिया कम्पनी]] की सेना और [[बंगाल]] के नवाब [[सिराजुद्दौला]] की सेना के बीच 23 जून, 1757 ई. को हुआ था, जिसमें क्लाइव की कूटनीति के कारण [[अंग्रेज़]] विजय हुए। इस युद्ध से अंग्रेज़ों को भारतीय राज्यों के दुर्बल सैनिक संघटन का पता चल गया। नवाब के प्रमुख सेनाध्यक्ष [[मीर ज़ाफ़र]] तथा उसके सहयोगियों के विश्वासघात के कारण यह लड़ाई कुछ ही घंटे चल पाई-सुबह आरम्भ हुई तथा दोपहर तक समाप्त हो गई। फलत: नवाब की हार हुई। इसे एक लड़ाई न कहकर एक झड़प कहना अधिक युक्तिसंगत होगा। फिर भी इस लड़ाई के बहुत ही गम्भीर परिणाम हुए। नवाब सिराजुद्दौला, जो कि युद्धभूमि से भाग गया था, शीघ्र ही बंदी बना लिया गया और उसकी हत्या कर दी गई। विजयी अंग्रेज़ी सेना अपने कठपुतली, विश्वासघाती [[मीर ज़ाफ़र]] को लेकर [[मुर्शिदाबाद]] की ओर बढ़ी और उसके पहुँचते ही मुर्शिदाबाद ने बिना किसी लड़ाई के आत्मसमर्पण कर दिया। मीरजाफ़र को बंगाल का नवाब घोषित कर दिया गया। मीरजाफ़र ने सारा ख़ज़ाना राबर्ट क्लाइब तथा उसके सहयोगी अंग्रेज़ों को पुरस्कृत करने में ही लुटा दिया और पूरी तरह से वह अंग्रेज़ों का आश्रित हो गया। अंग्रेज़ एक प्रकार से बंगाल के सर्वेसर्वा बन गये। बंगाल की जो दौलत उनके हाथ लगी, उसने उनको [[भारत]] और फ़्राँसीसियों पर विजय प्राप्त करने में बहुत मदद की। फ़्राँसीसियों के साथ उनका जो युद्ध हुआ, वह कर्नाटक के युद्ध के नाम से प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि पलाश अथवा ढाक के वृक्षों की बहुतायत होने से ही इस ग्राम को [[प्लासी]] कहा जाता था। यह [[भागीरथी नदी]] के वाम तट पर बसा है।


{{प्रचार}}
{{प्रचार}}

Revision as of 08:19, 15 January 2011

प्लासी का प्रसिद्ध युद्ध, राबर्ट क्लाइब के नेतृत्व में ईस्ट इंडिया कम्पनी की सेना और बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला की सेना के बीच 23 जून, 1757 ई. को हुआ था, जिसमें क्लाइव की कूटनीति के कारण अंग्रेज़ विजय हुए। इस युद्ध से अंग्रेज़ों को भारतीय राज्यों के दुर्बल सैनिक संघटन का पता चल गया। नवाब के प्रमुख सेनाध्यक्ष मीर ज़ाफ़र तथा उसके सहयोगियों के विश्वासघात के कारण यह लड़ाई कुछ ही घंटे चल पाई-सुबह आरम्भ हुई तथा दोपहर तक समाप्त हो गई। फलत: नवाब की हार हुई। इसे एक लड़ाई न कहकर एक झड़प कहना अधिक युक्तिसंगत होगा। फिर भी इस लड़ाई के बहुत ही गम्भीर परिणाम हुए। नवाब सिराजुद्दौला, जो कि युद्धभूमि से भाग गया था, शीघ्र ही बंदी बना लिया गया और उसकी हत्या कर दी गई। विजयी अंग्रेज़ी सेना अपने कठपुतली, विश्वासघाती मीर ज़ाफ़र को लेकर मुर्शिदाबाद की ओर बढ़ी और उसके पहुँचते ही मुर्शिदाबाद ने बिना किसी लड़ाई के आत्मसमर्पण कर दिया। मीरजाफ़र को बंगाल का नवाब घोषित कर दिया गया। मीरजाफ़र ने सारा ख़ज़ाना राबर्ट क्लाइब तथा उसके सहयोगी अंग्रेज़ों को पुरस्कृत करने में ही लुटा दिया और पूरी तरह से वह अंग्रेज़ों का आश्रित हो गया। अंग्रेज़ एक प्रकार से बंगाल के सर्वेसर्वा बन गये। बंगाल की जो दौलत उनके हाथ लगी, उसने उनको भारत और फ़्राँसीसियों पर विजय प्राप्त करने में बहुत मदद की। फ़्राँसीसियों के साथ उनका जो युद्ध हुआ, वह कर्नाटक के युद्ध के नाम से प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि पलाश अथवा ढाक के वृक्षों की बहुतायत होने से ही इस ग्राम को प्लासी कहा जाता था। यह भागीरथी नदी के वाम तट पर बसा है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध