पायल: Difference between revisions

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[[मिस्र]] की प्राचीन सभ्यता से पायल पहनने की परंपरा चली आ रही है। हमारे देश में बच्ची का जन्म होने पर पायल भेंट करने की परंपरा भी बहुत पुरानी है। तीज-त्योहारों के अवसर पर पायल पहनना भी इसी प्राचीन परंपरा का अंग है। शादी के अवसर पर लड़की को आज भी चाँदी की बेहद वजनदार पायल दी जाती हैं।  
[[मिस्र]] की प्राचीन सभ्यता से पायल पहनने की परंपरा चली आ रही है। हमारे देश में बच्ची का जन्म होने पर पायल भेंट करने की परंपरा भी बहुत पुरानी है। तीज-त्योहारों के अवसर पर पायल पहनना भी इसी प्राचीन परंपरा का अंग है। शादी के अवसर पर लड़की को आज भी चाँदी की बेहद वजनदार पायल दी जाती हैं।  
==मान्यता==
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[[हिंदू धर्म|हिंदू]] समाज में एक ख़ास मान्यता यह भी है कि पायल सोने की नहीं बनवाई जाती है क्योंकि हिंदू [[संस्कृति]] में सोने को [[देवता|देवताओं]] का आभूषण कहा जाता है इसीलिए सोने की पायल को पैरों में पहनना अपशगुन माना जाता है। यही कारण है कि पायल ज़्यादातर चाँदी की ही बनवाई जाती हैं और चाँदी की यह पायल लड़कियों और महिलाओं के पैरों की शोभा बढ़ाती हैं।
[[हिन्दू धर्म|हिंदू]] समाज में एक ख़ास मान्यता यह भी है कि पायल सोने की नहीं बनवाई जाती है क्योंकि हिंदू [[संस्कृति]] में सोने को [[देवता|देवताओं]] का आभूषण कहा जाता है इसीलिए सोने की पायल को पैरों में पहनना अपशगुन माना जाता है। यही कारण है कि पायल ज़्यादातर चाँदी की ही बनवाई जाती हैं और चाँदी की यह पायल लड़कियों और महिलाओं के पैरों की शोभा बढ़ाती हैं।


==परिवर्तन==
==परिवर्तन==

Revision as of 12:02, 15 February 2011

thumb|250px|पायल

महिलाओं के सोलह श्रृंगारों में एक श्रृंगार पायल भी है। इन श्रृंगारों में पायल की अहम भूमिका है। स्त्रियों के श्रृंगार में पायलों का वैदिककाल से ही विशेष स्थान रहा है। घुँघरूओं से सजी छम-छम करती ख़ूबसूरत पायलें हमेशा से ही स्त्री के पैरों की शोभा रही हैं। यहाँ तक कि कवियों ने भी पायलों की रुन-झुन व उसकी छम-छम के ऊपर अनेक कविताएँ रच डालीं।

पायल पहनना महिलाओं के लिए काफ़ी महत्वपूर्ण माना गया है। पायल पहनने का रिवाज हमारे देश में सदियों से है। आजकल यह रिवाज फैशन की दौड़ में भी आगे निकल गया है। इसीलिए बाज़ार में पायल के एक से बढ़कर एक डिज़ाइन मौज़ूद हैं।

फैशन का अहम हिस्सा

महिलाओं को हमेशा से ही गहने पहनना बहुत प्रिय लगता है। विभिन्न प्रकार के आभूषण पुराने समय से ही चलन में हैं महिलाएँ जिनको पहनकर अपने सौंदर्य को और अधिक निखारने का प्रयास करती हैं। लेकिन विभिन्न प्रकार के ये आभूषण बदलते चलन और फैशन की दौड़ में भी आगे निकल रहे हैं।

पायल पहनने की परंपरा

मिस्र की प्राचीन सभ्यता से पायल पहनने की परंपरा चली आ रही है। हमारे देश में बच्ची का जन्म होने पर पायल भेंट करने की परंपरा भी बहुत पुरानी है। तीज-त्योहारों के अवसर पर पायल पहनना भी इसी प्राचीन परंपरा का अंग है। शादी के अवसर पर लड़की को आज भी चाँदी की बेहद वजनदार पायल दी जाती हैं।

मान्यता

हिंदू समाज में एक ख़ास मान्यता यह भी है कि पायल सोने की नहीं बनवाई जाती है क्योंकि हिंदू संस्कृति में सोने को देवताओं का आभूषण कहा जाता है इसीलिए सोने की पायल को पैरों में पहनना अपशगुन माना जाता है। यही कारण है कि पायल ज़्यादातर चाँदी की ही बनवाई जाती हैं और चाँदी की यह पायल लड़कियों और महिलाओं के पैरों की शोभा बढ़ाती हैं।

परिवर्तन

महिलाओं के सौंदर्य में चार चाँद लगाने वाली ये पायलें अब एक नये परिवर्तन के साथ फैशन में आ गई हैं। जहाँ पहले युवतियाँ पायलों को अपने दोनों पैरों में पहनती थीं, वहीं अब वे इसे जींस व कैप्री के साथ एक पैर में पहन रही हैं। पायल के चलन में कई तरह के परिवर्तन आए हैं। चाँदी के अलावा भी कई तरह की पायल इन दिनों बाज़ार में आ रही हैं, जैसे प्लास्टिक और वुडन पायल युवतियों के बीच खासी लोकप्रिय हैं। thumb|250px|पायल इस चलन में दाएँ या बाएँ किसी भी पैर में पायल पहन सकते हैं। फॉर्मल और कैजुअल दोनों तरह के अवसरों के लिए अलग-अलग तरह के डिज़ाइन में पायल बाज़ार में उपलब्ध हैं। आजकल घुँघरू वाली पायल का चलन पहले की अपेक्षा कम हो चुका है।

संकेत

प्राचीन काल में महिलाओं को पायल एक संकेत मात्र के लिए पहनाई जाती थी। जब घर के सभी सदस्य एक साथ बैठे होते थे तब यदि कोई पायल पहनी महिला उस जगह आती थी तो उसकी छम-छम आवाज़ से सभी को अंदाजा हो जाता कि कोई महिला उनकी ओर आ रही है। जिससे वे सभी व्यवस्थित रूप से आने वाली महिला का स्वागत कर सके, उसे सम्मान दे सके।

प्रभाव

पायल की छम-छम अन्य लोगों के लिए एक इशारा ही है, इसकी आवाज़ से सभी को यह एहसास हो जाता है कि कोई महिला उनके आसपास है अत: वे शालीन और सभ्य व्यवहार करें। महिला के सामने किसी तरह की कोई अभद्रता ना हो जाए। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए लड़कियों के पायल पहनने की परंपरा लागू की गई। साथ ही पायल की आवाज़ से घर में नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव कम हो जाता है और दैवीय शक्तियाँ सक्रिय रहती हैं।

पुराने समय में विवाह के बाद पति के घर में बहु के आने के लिए पूरी स्वतंत्रता नहीं रहती थी। वह किसी से खुलकर बात नहीं कर पाती थी। ऐसे में जब वह घर में किसी स्थान पर आती-जाती तो बिना उसके बताए भी पायल की छम-छम से सभी सदस्य समझ जाते थे कि उनकी बहु वहाँ आ रही है।

फायदेमंद

पायल की धातु हमेशा पैरों से रगड़ाती रहती है जो स्त्रियों की हड्डियों के लिए काफ़ी फायदेमंद है। इससे उनके पैरों की हड्डी को मज़बूती मिलती है। साथ ही पायल पहनने से स्त्रियों का आकर्षण कहीं अधिक बढ़ जाता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ