सिंह विष्णु: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==") |
प्रीति चौधरी (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
'''सिंह विष्णु''' (575-600 ई.) के समय में [[पल्लव वंश|पल्लव]] इतिहास का नया अध्याय आरम्भ हुआ। सिंह विष्णु के दरबार में [[संस्कृत]] का महान कवि [[भारवि]] रहता था। | |||
*सिंह विष्णु को '''सिंह विष्णुयोत्तर युग''' एवं '''अवनिसिंह''' भी कहा जाता था। | *सिंह विष्णु को '''सिंह विष्णुयोत्तर युग''' एवं '''अवनिसिंह''' भी कहा जाता था। | ||
*कशाक्कुडि लेख के अनुसार इसने कलभों, [[मालव|मालवों]], [[चोल वंश|चोलो]], [[पाण्ड्य साम्राज्य|पाण्ड्यों]], केरलों तथा सिंहल के शासकों के साथ युद्ध किया। | *कशाक्कुडि लेख के अनुसार इसने कलभों, [[मालव|मालवों]], [[चोल वंश|चोलो]], [[पाण्ड्य साम्राज्य|पाण्ड्यों]], केरलों तथा सिंहल के शासकों के साथ युद्ध किया। | ||
*उसने चोलों को परास्त कर [[कावेरी नदी]] के मुहाने तक अपने राज्य को विस्तृत कर लिया और चोलमण्डल की विजय के बाद ही उसने '''अवनि सिंह''' तथा '''शिंगविष्णु पेरुमार''' की उपाधि धारण की। | *उसने चोलों को परास्त कर [[कावेरी नदी]] के मुहाने तक अपने राज्य को विस्तृत कर लिया और चोलमण्डल की विजय के बाद ही उसने '''अवनि सिंह''' तथा '''शिंगविष्णु पेरुमार''' की उपाधि धारण की। | ||
*भारवि [[वैष्णव धर्म]] का अनुयायी था। उसके समय में ही [[मामल्लपुरम]] के आदिवराह गुहा मंदिर का निर्माण किया गया। | *भारवि [[वैष्णव धर्म]] का अनुयायी था। उसके समय में ही [[मामल्लपुरम]] के आदिवराह गुहा मंदिर का निर्माण किया गया। | ||
*इस मंदिर में सिंह विष्णु एवं उसकी दो रानियों की प्रतिमा भी स्थापित की गई है। | *इस मंदिर में सिंह विष्णु एवं उसकी दो रानियों की प्रतिमा भी स्थापित की गई है। |
Revision as of 05:36, 14 April 2012
सिंह विष्णु (575-600 ई.) के समय में पल्लव इतिहास का नया अध्याय आरम्भ हुआ। सिंह विष्णु के दरबार में संस्कृत का महान कवि भारवि रहता था।
- सिंह विष्णु को सिंह विष्णुयोत्तर युग एवं अवनिसिंह भी कहा जाता था।
- कशाक्कुडि लेख के अनुसार इसने कलभों, मालवों, चोलो, पाण्ड्यों, केरलों तथा सिंहल के शासकों के साथ युद्ध किया।
- उसने चोलों को परास्त कर कावेरी नदी के मुहाने तक अपने राज्य को विस्तृत कर लिया और चोलमण्डल की विजय के बाद ही उसने अवनि सिंह तथा शिंगविष्णु पेरुमार की उपाधि धारण की।
- भारवि वैष्णव धर्म का अनुयायी था। उसके समय में ही मामल्लपुरम के आदिवराह गुहा मंदिर का निर्माण किया गया।
- इस मंदिर में सिंह विष्णु एवं उसकी दो रानियों की प्रतिमा भी स्थापित की गई है।
|
|
|
|
|