कुमार नरेश सिंह: Difference between revisions
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*[[1966]] में लिखी इनकी पुस्तक 'डस्ट स्ट्राम एण्ड हैंगिग मिस्ट' को आधार बनाकर ही [[पश्चिम बंगाल|बंगाल]] की प्रसिद्ध लेखिका [[महाश्वेता देवी]] ने आदिवासी जीवन पर आधारित अपना उपन्यास 'अरण्येर अधिकार' लिखा था। | *[[1966]] में लिखी इनकी पुस्तक 'डस्ट स्ट्राम एण्ड हैंगिग मिस्ट' को आधार बनाकर ही [[पश्चिम बंगाल|बंगाल]] की प्रसिद्ध लेखिका [[महाश्वेता देवी]] ने आदिवासी जीवन पर आधारित अपना उपन्यास 'अरण्येर अधिकार' लिखा था। | ||
*उनकी पुस्तक 'बिरसा मुण्डा एण्ड हिज मूवमेंण्ट, 1874-1902' उन सभी के लिए एक मार्गदर्शक है जो आदिवासी आन्दोलन पर कुछ लिखना चाहते हैं। उन्होंने मुडारी मौखिक परम्परा की समृद्ध विरासत एवं परम्परा का उजागर किया। | *उनकी पुस्तक 'बिरसा मुण्डा एण्ड हिज मूवमेंण्ट, 1874-1902' उन सभी के लिए एक मार्गदर्शक है जो आदिवासी आन्दोलन पर कुछ लिखना चाहते हैं। उन्होंने मुडारी मौखिक परम्परा की समृद्ध विरासत एवं परम्परा का उजागर किया। |
Revision as of 10:11, 15 April 2011
- 1935 में जन्मे डॉ. कुमार नरेश सिंह भारतीय प्रशासनिक सेवा में 1958 में चुने गए थे। डॉ. सिंह अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति के ऐसे विद्वान है जो किसी एक विषय में नहीं बल्कि मानव विज्ञान, समाज विज्ञान से इतिहास तक पर गहरी पकड़ इनकी ख़ासियत है।
- 1966 में लिखी इनकी पुस्तक 'डस्ट स्ट्राम एण्ड हैंगिग मिस्ट' को आधार बनाकर ही बंगाल की प्रसिद्ध लेखिका महाश्वेता देवी ने आदिवासी जीवन पर आधारित अपना उपन्यास 'अरण्येर अधिकार' लिखा था।
- उनकी पुस्तक 'बिरसा मुण्डा एण्ड हिज मूवमेंण्ट, 1874-1902' उन सभी के लिए एक मार्गदर्शक है जो आदिवासी आन्दोलन पर कुछ लिखना चाहते हैं। उन्होंने मुडारी मौखिक परम्परा की समृद्ध विरासत एवं परम्परा का उजागर किया।
- डॉ. सिंह को 20वीं शताब्दी पुरस्कार अमेरिका में मिला है तथा कैम्ब्रिज ने 'मैन आफ द ईयर' से सम्मानित किया है। दर्जनों पुरस्कारों से सम्मानित डॉ. सिंह की 1975 में छपी पुस्तक 'द इंडियन फेमिन ए स्टडी इन क्राइसिस एण्ड चेंज' ने भारतीय अकाल सूखा की समस्या को समझाने की बुनियादी दृष्टि प्रदान की। इस विषय पर कार्य करने वालों के लिए यह अत्यन्त जरूरी पुस्तक बन गई है।
- 1970 में उन्हें जवाहरलाल नेहरू फेलोशिप दिया गया। 1967 में वह भारतीय मानव सर्वेक्षण के निदेशक बनाए गए और 1977 भारतीय इतिहास कांग्रेस की आधुनिक इतिहास शाखा के अध्यक्ष भी चुने गए। उन्होंने 'द ट्राइबल सिचुएशन इन इंडिया' का सम्पादन किया।
- इनकी अन्य पुस्तकें हैं--'द ट्राइबल सोसाइटी इन इंडिया', ट्रायल ला एण्ड जस्टिस', 'ए रिपोर्ट आन द संथाल', ट्राइबल मूवमेंट इन इंडिया'।
- डॉ. ने हाफमैन लिखित 'एनसाइक्लोपीडिया आफ मुंडारिक' के अधूरे कार्य, टी से जेड तक की रचना पूरी की। इन्होंने 'लोक एवं पर्यावरण अध्ययन और विकास संस्थान' का गठन किया है। जो इतिहास, लोक साहित्य, विकास कार्यक्रम के अध्ययन का समर्पित है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ