छिन्नमस्तिका मंदिर: Difference between revisions
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Revision as of 11:21, 13 April 2011
- झारखंड की राजधानी रांची से करीब 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित माँ छिन्नमस्तिका मंदिर रजरप्पा में स्थित है।
- भैरवी-भेड़ा और दामोदर नदी के संगम पर स्थित मंदिर की उत्तरी दीवार के साथ रखे शिलाखंड पर दक्षिण की ओर मुख किए माता छिन्नमस्तिके के दिव्य स्वरूप का दर्शन होता है।
- असम स्थित माँ कामाख्या मंदिर के बाद यह दूसरा सबसे बड़ा शक्तिपीठ है। यहाँ शादियाँ भी कराई जाती हैं।
- मंदिर के अन्दर शिलाखंड में माँ की तीन आँखें हैं। इनका गला सर्पमाला और मुंडमाल से शोभित है। खुले बाल, जिह्या बाहर, आभूषणों से सजी माँ नग्नावस्था में हैं। दाएं हाथ में तलवार और बाएं हाथ में अपना कटा मस्तक है। इनके दोनों ओर डाकिनी और शाकिनी खड़ी हैं, जिन्हें वह रक्तपान कर रही हैं और स्वयं भी ऐसा कर रही हैं। इनके गले से रक्त की तीन धाराएं फूटती हैं।
- मंदिर का मुख्य द्वार पूर्व की ओर है। सामने बलि स्थान है, जहाँ रोजाना बकरों की बलि चढ़ाई जाती है। यहाँ मुंडन कुंड भी है। यहाँ पापनाशिनी कुंड है, जो रोगग्रस्त भक्तों को रोगमुक्त करता है।
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