इब्न बतूता: Difference between revisions
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*इब्न बतूता 1333 ई. में सुल्तान [[मुहम्मद तुग़लक़]] के राज्यकाल में [[भारत]] आया। | *इब्न बतूता 1333 ई. में सुल्तान [[मुहम्मद तुग़लक़]] के राज्यकाल में [[भारत]] आया। | ||
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*1342 ई. में सुल्तान के राजदूत के रूप में [[चीन]] जाने तक वह इस पद पर बना रहा। उसने अपनी भारत यात्रा का बहुमूल्य वर्णन लिखा है, जिससे सुल्तान मुहम्मद तुग़लक़ के जीवन और काल के बारे में महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ प्राप्त होती हैं। | *1342 ई. में सुल्तान के राजदूत के रूप में [[चीन]] जाने तक वह इस पद पर बना रहा। उसने अपनी भारत यात्रा का बहुमूल्य वर्णन लिखा है, जिससे सुल्तान मुहम्मद तुग़लक़ के जीवन और काल के बारे में महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ प्राप्त होती हैं। | ||
*उसका वर्णन अतिशयोक्तियों से भरा होने पर भी सामान्य रीति से विश्वसनीय है। | *उसका वर्णन अतिशयोक्तियों से भरा होने पर भी सामान्य रीति से विश्वसनीय है। |
Revision as of 13:48, 4 September 2011
- इब्न बतूता एक विद्वान अफ़्रीकी यात्री था, जिसका जन्म 24 फ़रवरी 1304 ई. को उत्तर अफ्रीका के मोरक्को प्रदेश के प्रसिद्ध नगर तांजियर में हुआ था।
- इब्न बतूता का पूरा नाम था मुहम्मद बिन अब्दुल्ला इब्न बतूता था।
- इब्न बतूता 1333 ई. में सुल्तान मुहम्मद तुग़लक़ के राज्यकाल में भारत आया।
- सुल्तान ने इसका स्वागत किया और उसे दिल्ली का प्रधान क़ाज़ी नियुक्त कर दिया।
- 1342 ई. में सुल्तान के राजदूत के रूप में चीन जाने तक वह इस पद पर बना रहा। उसने अपनी भारत यात्रा का बहुमूल्य वर्णन लिखा है, जिससे सुल्तान मुहम्मद तुग़लक़ के जीवन और काल के बारे में महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ प्राप्त होती हैं।
- उसका वर्णन अतिशयोक्तियों से भरा होने पर भी सामान्य रीति से विश्वसनीय है।
- इब्न बतूता ने सुल्तान द्वारा जिन कारणों से राजधानी को दिल्ली से हटाकर दौलताबाद ले जाने का आदेश दिया गया और जिस रीति से दिल्ली को पूरी तरह से ख़ाली कराया गया, उसका जो वर्णन लिखा है, उसे उदाहरण स्वरूप प्रस्तुत किया जा सकता है।
- इब्न बतूता का बाकी जीवन अपने देश में हो बीता।
- 1377 (779 हिजरी) में इब्न बतूता की मृत्यु हुई।
- इब्न बतूता के भ्रमणवृत्तांत को 'तुहफ़तअल नज्ज़ार फ़ी गरायब अल अमसार व अजायब अल अफ़सार' का नाम दिया गया।
- इब्न बतूता की एक प्रति पेरिस के राष्ट्रीय पुस्तकालय में सुरक्षित हैं।
- इब्न बतूता के यात्रावृत्तांत में तत्कालीन भारतीय इतिहास की अत्यंत उपयोगी सामग्री मिलती है।
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