सिक्के की औक़ात -अशोक चक्रधर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replace - "सिक्के" to "सिक़्क़े")
Line 33: Line 33:
एक बार
एक बार
बरखुरदार!
बरखुरदार!
एक रुपए के सिक्के,
एक रुपए के सिक़्क़े,
और पाँच पैसे के सिक्के में,
और पाँच पैसे के सिक़्क़े में,
लड़ाई हो गई,
लड़ाई हो गई,
पर्स के अंदर
पर्स के अंदर

Revision as of 14:39, 11 February 2013

सिक्के की औक़ात -अशोक चक्रधर
कवि अशोक चक्रधर
जन्म 8 फ़रवरी, 1951
जन्म स्थान खुर्जा, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ बूढ़े बच्चे, भोले भाले, तमाशा, बोल-गप्पे, मंच मचान, कुछ कर न चम्पू , अपाहिज कौन , मुक्तिबोध की काव्यप्रक्रिया
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
अशोक चक्रधर की रचनाएँ


एक बार
बरखुरदार!
एक रुपए के सिक़्क़े,
और पाँच पैसे के सिक़्क़े में,
लड़ाई हो गई,
पर्स के अंदर
हाथापाई हो गई।
जब पाँच का सिक्का
दनदना गया
तो रुपया झनझना गया
पिद्दी न पिद्दी की दुम
अपने आपको
क्या समझते हो तुम!
मुझसे लड़ते हो,
औक़ात देखी है
जो अकड़ते हो!

इतना कहकर मार दिया धक्का,
सुबकते हुए बोला
पाँच का सिक्का-
हमें छोटा समझकर
दबाते हैं,
कुछ भी कह लें
दान-पुन्न के काम तो
हम ही आते हैं।