हिमाद्रि तुंग श्रृंग से -जयशंकर प्रसाद: Difference between revisions
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'''प्रयाणगीत<ref>प्रसिद्ध साहित्यकार [[जयशंकर प्रसाद]] के नाटक चंद्रगुप्त के छठे दृश्य में यह [[वीर रस]] का प्रेरणादायक गीत है। जो [[भारत]] में बहुत प्रसिद्ध है यह अक्सर विद्यालयों में समूह गान के रूप में गाया जाता है।</ref>''' | |||
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रुको न शूर साहसी॥ | रुको न शूर साहसी॥ | ||
अराती सैन्य सिन्धु में, सुवाढ़ वाग्नी से जलो। | अराती सैन्य सिन्धु में, सुवाढ़ वाग्नी से जलो। | ||
प्रवीर हो जयी बनो, बढ़े चलो बढ़े चलो॥ | प्रवीर हो जयी बनो, बढ़े चलो बढ़े चलो॥<ref> प्रसाद ग्रंथावली ॥प्रसाद वांङमय खंड 2॥ ; पृष्ठ सं.720</ref> | ||
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Revision as of 07:53, 20 August 2011
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प्रयाणगीत[1]
हिमाद्री तुंग श्रृंग से, |
- संदर्भ
- ↑ प्रसिद्ध साहित्यकार जयशंकर प्रसाद के नाटक चंद्रगुप्त के छठे दृश्य में यह वीर रस का प्रेरणादायक गीत है। जो भारत में बहुत प्रसिद्ध है यह अक्सर विद्यालयों में समूह गान के रूप में गाया जाता है।
- ↑ प्रसाद ग्रंथावली ॥प्रसाद वांङमय खंड 2॥ ; पृष्ठ सं.720