अग्निधर्म -कन्हैयालाल नंदन: Difference between revisions
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अंगारे को तुमने छुआ | अंगारे को तुमने छुआ और हाथ में फफोला नहीं हुआ। | ||
और हाथ में फफोला नहीं | इतनी सी बात पर अंगारे पर तोहमत मत लगाओ॥ | ||
इतनी सी बात पर | |||
अंगारे पर तोहमत मत | |||
जरा तह तक जाओ | जरा तह तक जाओ, आग भी कभी-कभी आपद्धर्म निभाती है। | ||
आग भी कभी-कभी | और जलने वाले की क्षमता देखकर जलाती है॥ | ||
आपद्धर्म निभाती | |||
और जलने वाले की क्षमता देखकर जलाती | |||
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Latest revision as of 05:30, 14 December 2011
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अंगारे को तुमने छुआ और हाथ में फफोला नहीं हुआ। |
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