आत्मबोध -कन्हैयालाल नंदन: Difference between revisions

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आसमान टूटा,
आसमान टूटा,
उस पर टंके हुये
उस पर टंके हुये,
ख्वाबों के सलमे-सितारे
ख्वाबों के सलमे-सितारे बिखरे।
बिखरे।
देखते-देखते दूब के दलों का रंग,
देखते-देखते दूब के दलों का रंग
पीला पड़ गया।
पीला पड़ गया।
फूलों का गुच्छा सूख कर खरखराया
फूलों का गुच्छा सूख कर खरखराया।


और, यह सब कुछ मैं ही था  
और, यह सब कुछ मैं ही था  
यह मैं
यह मैं,
बहुत देर बाद जान पाया।
बहुत देर बाद जान पाया।
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Latest revision as of 12:38, 15 December 2011

आत्मबोध -कन्हैयालाल नंदन
कवि कन्हैयालाल नंदन
जन्म 1 जुलाई, 1933
जन्म स्थान फतेहपुर ज़िले के परसदेपुर गांव, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 25 सितंबर, 2010
मृत्यु स्थान दिल्ली
मुख्य रचनाएँ लुकुआ का शाहनामा, घाट-घाट का पानी, आग के रंग आदि।
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
कन्हैयालाल नंदन की रचनाएँ

यह सब कुछ मेरी आंखों के सामने हुआ!

आसमान टूटा,
उस पर टंके हुये,
ख्वाबों के सलमे-सितारे बिखरे।
देखते-देखते दूब के दलों का रंग,
पीला पड़ गया।
फूलों का गुच्छा सूख कर खरखराया।

और, यह सब कुछ मैं ही था
यह मैं,
बहुत देर बाद जान पाया।












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