हाशिए पर दुनिया -अनूप सेठी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Jagat_men_mela....' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
Line 1: Line 1:
{{स्वतंत्र लेखन नोट}}
{| style="background:transparent; float:right"
{| style="background:transparent; float:right"
|-
|-

Revision as of 14:17, 22 November 2013

चित्र:Icon-edit.gif यह लेख स्वतंत्र लेखन श्रेणी का लेख है। इस लेख में प्रयुक्त सामग्री, जैसे कि तथ्य, आँकड़े, विचार, चित्र आदि का, संपूर्ण उत्तरदायित्व इस लेख के लेखक/लेखकों का है भारतकोश का नहीं।
हाशिए पर दुनिया -अनूप सेठी
कवि अनूप सेठी
मूल शीर्षक जगत में मेला
प्रकाशक आधार प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, एस. सी. एफ. 267, सेक्‍टर 16, पंचकूला - 134113 (हरियाणा)
प्रकाशन तिथि 2002
देश भारत
पृष्ठ: 131
भाषा हिन्दी
विषय कविता
प्रकार काव्य संग्रह
अनूप सेठी की रचनाएँ

यह दुनिया उनकी है
वे नहीं जानते
यह दुनिया मेरी भी है
बार-बार मैं हाशिए पर होता हूँ
वे बीचोंबीच

सब चक्की पीसते हैँ

वक्त दोफाड़ होकर निकलता है
फड़फड़ाता हुआ और मरा हुआ
मैं फड़फड़ाते टुकड़े लेकर
हवा की तरह दौड़ता हूँ
गुस्सैल बादल की तरह गिराता हूँ

वे मरे हुए टुकड़ों की छतरियाँ तान लेते हैं

सीली ज़मीन पर ढीठ कुकुरमुत्ते
मिशनरियों की तरह
आँखों के डोडे मटकाकर बुलाते हैं
आओ सब मिल पीसें चक्कियाँ

टाँगें चौड़ाकर चलते
वे नहीं छोड़ते चौधराहट

ये दुनिया उनकी है
वे नहीं जानते
यह दुनिया मेरी भी है
                             (1989)


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख