अति जीवन -अजेय: Difference between revisions

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! अजेय् की रचनाएँ
! अजेय की रचनाएँ
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Revision as of 06:03, 10 April 2012

अति जीवन -अजेय
कवि अजेय
जन्म स्थान (सुमनम, केलंग, हिमाचल प्रदेश)
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
अजेय की रचनाएँ

अति जीवन
(जंगल में ज़िन्दा रहने के अभिलाषियों के लिए)

घात लगा-लगा कर तुम उसकी ताकत जाँचते रहना
पूरी तसल्ली के बाद ही झपटना उस पर
उसे दबोचने के बाद फिर शुरू हो जाना
एक मुलायम सिरे से-
भीतर तक गड़ा देना तुम अपने तीखे दांत
भींच लेना पूरी ताकत से जबड़े
चूस लेना सारा का सारा लहू
रसायन
रंग और रफ्तार
जिनसे बनता है जीवन ।

मत सोचना भूल कर भी
कि उसका दूसरा सिरा
जो पहुँच नहीं सकता तुम तक
तुम पर लानतें भेजता होगा।

परवाह ही नहीं करनी है
उन लानतों और प्रहारों की
जो तुम तक नहीं पहुँच सकती।

तुम अपने पैने पंजों में जकड़ लेना उसका धक-धक हृदय
ज़रा भी ममता न ले आना मन में
निचोड़ कर सारी ऊर्जा-
पेशियों, वसा और मज्जा की
चाट डालना एकाग्रचित्त हो, धीरज धर
चबा चबा कर
खींच लेना पूरी ताकत के साथ
उसका सम्पूर्ण प्राणतत्व अपने भीतर
विचलित हुए बिना ...............
क्षण भर भी।

लेकिन रहना सतर्क
कान रखना खुले और नासापुट भी
कहीं कोई अनजानी आहट
कोई अजनबी झौंका
या तुम्हारा सजातीय ही कोई
झपट कर छीन न ले जाए तुम्हारा यह शिकार।

बस यही एक नियम है
ज़िन्दा रहने का
इस जंगल में।

1986


टीका टिप्पणी और संदर्भ

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