मालिनीथान: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - " जमीन" to " ज़मीन") |
||
Line 1: | Line 1: | ||
[[चित्र:Malinithan-Arunachal-Pradesh.jpg|thumb|250px|कलाकृति, मालिनीथान]] | [[चित्र:Malinithan-Arunachal-Pradesh.jpg|thumb|250px|कलाकृति, मालिनीथान]] | ||
'''मालिनीथान''' [[अरुणाचल प्रदेश]] राज्य के [[पश्चिम सियांग ज़िला|पश्चिमी सियांग ज़िले]] में | '''मालिनीथान''' [[अरुणाचल प्रदेश]] राज्य के [[पश्चिम सियांग ज़िला|पश्चिमी सियांग ज़िले]] में ज़मीन से 60 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यहाँ का सबसे ख़ूबसूरत और पवित्र पर्यटन स्थल है। | ||
*मालिनीथान [[असम]] और अरूणाचल प्रदेश की सीमा के पास है। सीमा पर मेदानी क्षेत्र समाप्त हो जाते हैं और पर्वत श्रृंखलाएँ शुरू हो जाती हैं। | *मालिनीथान [[असम]] और अरूणाचल प्रदेश की सीमा के पास है। सीमा पर मेदानी क्षेत्र समाप्त हो जाते हैं और पर्वत श्रृंखलाएँ शुरू हो जाती हैं। | ||
*मालिनीथान से [[ब्रह्मपुत्र नदी]] के ख़ूबसूरत दृश्य देखे जा सकते हैं। | *मालिनीथान से [[ब्रह्मपुत्र नदी]] के ख़ूबसूरत दृश्य देखे जा सकते हैं। |
Revision as of 13:31, 1 October 2012
thumb|250px|कलाकृति, मालिनीथान मालिनीथान अरुणाचल प्रदेश राज्य के पश्चिमी सियांग ज़िले में ज़मीन से 60 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यहाँ का सबसे ख़ूबसूरत और पवित्र पर्यटन स्थल है।
- मालिनीथान असम और अरूणाचल प्रदेश की सीमा के पास है। सीमा पर मेदानी क्षेत्र समाप्त हो जाते हैं और पर्वत श्रृंखलाएँ शुरू हो जाती हैं।
- मालिनीथान से ब्रह्मपुत्र नदी के ख़ूबसूरत दृश्य देखे जा सकते हैं।
- इस पूरी पहाड़ी पर पत्थर की प्रतिमाएँ देखी जा सकती हैं। यह सभी प्रतिमाएँ बहुत ख़ूबसूरत हैं।
- इन प्रतिमाओं की खोज 1968-1971 ई. की श्रृंखलाबद्ध खुदाई के दौरान हुई थी।
- खुदाई में प्रतिमाओं के साथ ख़ूबसूरत स्तंभ और अनेक कलाकृतियाँ भी मिली हैं।
- इन ख़ूबसूरत स्तंभ और कलाकृतियों को देखने के लिए पर्यटक यहाँ बड़ी संख्या में आते है।
- पर्यटकों के अलावा तीर्थयात्रियों में भी मालिनीथान बहुत लोकप्रिय है। यहाँ पूजा करने के लिए देश-विदेश से हजारों तीर्थयात्री भी आते हैं।
कथा
मालिनीथान के साथ श्री कृष्ण की कथा जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणी ने द्वारका जाते समय यहीं पर विश्राम किया था। उनके विश्राम के समय भगवान शिव और उनकी पत्नी पार्वती ने उनका स्वागत फूलों के हार से किया था। तब भगवान कृष्ण ने उनको मालिनी नाम दिया था। तब से इस स्थान को मालिनीथान और मालिनीस्थान के नाम से जाना जाता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख