कितनी रोटी -अशोक चक्रधर: Difference between revisions

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बुढ़ऊ बोला—
बुढ़ऊ बोला—
गलत !
ग़लत !
बिलकुल ग़लत कहा,
बिलकुल ग़लत कहा,
पहली रोटी
पहली रोटी

Revision as of 14:19, 1 October 2012

कितनी रोटी -अशोक चक्रधर
कवि अशोक चक्रधर
देश भारत
पृष्ठ: 165
भाषा हिन्दी
विषय कविताएँ
अशोक चक्रधर की रचनाएँ


गांव में अकाल था,
बुरा हाल था।
एक बुढ़ऊ ने समय बिताने को,
यों ही पूछा मन बहलाने को—
ख़ाली पेट पर
कितनी रोटी खा सकते हो
गंगानाथ ?

गंगानाथ बोला—
सात !

बुढ़ऊ बोला—
ग़लत !
बिलकुल ग़लत कहा,
पहली रोटी
खाने के बाद
पेट खाली कहां रहा।
गंगानाथ,
यही तो मलाल है,
इस समय तो
सिर्फ़ एक रोटी का सवाल है।

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