पहला क़दम -अशोक चक्रधर: Difference between revisions

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ये बातचीत ही तो
ये बातचीत ही तो
लड़ाई का
लड़ाई का
पहला कदम है।
पहला क़दम है।


क्या किया फ़ोटोज़ का ?
क्या किया फ़ोटोज़ का ?

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पहला क़दम -अशोक चक्रधर
कवि अशोक चक्रधर
देश भारत
पृष्ठ: 165
भाषा हिन्दी
विषय कविताएँ
अशोक चक्रधर की रचनाएँ


अब जब
विश्वभर में सबके सब,
सभ्य हैं, प्रबुद्ध हैं
तो क्यों करते युद्ध हैं ?

कैसी विडंबना कि
आधुनिक कहाते हैं,
फिर भी देश लड़ते हैं
लहू बहाते हैं।

एक सैनिक दूसरे को
बिना बात मारता है,
इससे तो अच्छी
समझौता वार्ता है।

एक दूसरे के समक्ष
बैठ जाएं दोनों पक्ष
बाचतीत से हल निकालें,
युद्ध को टालें !

क्यों अशोक जी,
आपका क्या ख़याल है ?

मैंने कहा—
यही तो मलाल है।
बातचीत से कुछ होगा
आपका भरम है,
दरअसल,
ये बातचीत ही तो
लड़ाई का
पहला क़दम है।

क्या किया फ़ोटोज़ का ?

सामने खड़ा था स्टाफ़ समूचा
आई. जी. ने रौब से पूछा—
पांच शातिर बदमाशों के
चित्र मैंने भेजे,
कुछ किया
या सिर्फ़ सहेजे ?
इलाक़े में
हो रही वारदातें,
‘क्या कर रही है पुलिस’
ये होती हैं बातें।

रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में
बढ़ रहे हैं खतरे,
और
खुलेआम घूम रहे हैं
जेबकतरे।
चोरी,
डकैती
सेंधमारी,
जेबकतरी
सिलसिला बन गया है रोज़ का,
सिर झुकाए खड़ा था
स्टाफ़ सारा,
आई. जी. ने हवा में
बेंत फटकारा-
कोई जवाब नहीं दिया,
बताइए
इस तरह
सिर मत झुकाइए।
क्या किया है
बताइए ।
वो उचक्के
पूरे शहर को मूंड रहे हैं....
एक थानेदार बोला—
सर !
तीन फ़ोटो मिल गए हैं
दो फ़ोटो ढूँढ़ रहे हैं।

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