सपूत और कपूत -शिवदीन राम जोशी: Difference between revisions
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काहूँ के न जनमें उतडा कपूत पूत, | काहूँ के न जनमें उतडा कपूत पूत, | ||
मूर्ख मतिमंदन को सुसंगत ना सुहाती है। | मूर्ख मतिमंदन को सुसंगत ना सुहाती है। | ||
कुसंगत में बैठ-बैठ हंसते है हराम लूंड, | कुसंगत में बैठ-बैठ हंसते है हराम लूंड, | ||
माता पिता बांचे क्या कर्मन की पाती | माता पिता बांचे क्या कर्मन की पाती है| | ||
पूर्व जन्म संस्कार बिगडायल होने से, | पूर्व जन्म संस्कार बिगडायल होने से, | ||
बेटा बन काढे बैर जारत नित छाती है। | बेटा बन काढे बैर जारत नित छाती है। | ||
कहता शिवदीन राम राम-नाम सत्य सदा, | कहता शिवदीन राम राम-नाम सत्य सदा, | ||
संतन की कृपा से जीव बिगरी बन जाती है। | संतन की कृपा से जीव बिगरी बन जाती है। | ||
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बहुत से कपूत पूत भूत सा भयंकर रूप, | |||
मूर्खता घनेरी घोर भांडा है प्रलाप का। | |||
कपूतन का दु:ख नाम सुख का कहां है काम, | |||
राम ही बचावे ये तो मारग संताप का। | |||
आशीर्वाद लेवे नहीं लेके कछु देवे नहीं, | |||
धर्म कर्म रहित दुष्ट पेट भरे आपका। | |||
कहता शिवदीन राम ऐसे निकाम पूत, | |||
गुरू का न गोविन्द का मां का न बाप का। '''बोल्ड पाठ''' | |||
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Revision as of 17:31, 12 March 2012
पूत सपूत जने जननी, पितु मात की बात को शीश चढावे। पूत सपूत निहाल करे, पर हेतु करे नित्त और भलाई। पूत सपूत जने जननी, जननी का जोबन हरन, करन अनेक कुचाल, काहूँ के न जनमें उतडा कपूत पूत, बहुत से कपूत पूत भूत सा भयंकर रूप, |
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