सपूत और कपूत -शिवदीन राम जोशी: Difference between revisions
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मूर्ख मतिमंदन को सुसंगत ना सुहाती है। | मूर्ख मतिमंदन को सुसंगत ना सुहाती है। | ||
कुसंगत में बैठ-बैठ हंसते है हराम लूंड, | कुसंगत में बैठ-बैठ हंसते है हराम लूंड, | ||
माता पिता बांचे क्या कर्मन की पाती | माता पिता बांचे क्या कर्मन की पाती है। | ||
पूर्व जन्म संस्कार बिगडायल होने से, | पूर्व जन्म संस्कार बिगडायल होने से, | ||
बेटा बन काढे बैर जारत नित छाती है। | बेटा बन काढे बैर जारत नित छाती है। |
Revision as of 06:27, 13 March 2012
पूत सपूत जने जननी, पितु मात की बात को शीश चढावे। पूत सपूत निहाल करे, पर हेतु करे नित्त और भलाई। पूत सपूत जने जननी, जननी का जोबन हरन, करन अनेक कुचाल, काहूँ के न जनमें उतडा कपूत पूत, बहुत से कपूत पूत भूत सा भयंकर रूप, |
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