गौड़ीय मठ श्री केशव जी मथुरा: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 6: | Line 6: | ||
*यहीं पर पाश्चात्य जगत में श्रीचैतन्य महाप्रभु द्वारा प्रचारित श्री हरिनाम–संकीर्तन की धूम मचाने वाले तथा विश्व की अनेक भाषाओं में [[गीता|श्रीमद्भगवद्गीता]], [[भागवत पुराण|श्रीमद्भागवत]] आदि अनेक ग्रन्थों का विपुल रूप में प्रकाशन और वितरण करने वाले श्री अभयचरण भक्ति वेदान्त जी ने ऊँ विष्णुपाद श्रीश्रीमद्भक्तिप्रज्ञान केशव गोस्वामी महाराज से त्रिदण्ड–संन्यास वेश ग्रहण किया था, तब से उनका सन्यास का नाम–त्रिदण्डिस्वामी श्रीश्रीमद्भक्तिवेदान्त स्वामी महाराज हुआ । | *यहीं पर पाश्चात्य जगत में श्रीचैतन्य महाप्रभु द्वारा प्रचारित श्री हरिनाम–संकीर्तन की धूम मचाने वाले तथा विश्व की अनेक भाषाओं में [[गीता|श्रीमद्भगवद्गीता]], [[भागवत पुराण|श्रीमद्भागवत]] आदि अनेक ग्रन्थों का विपुल रूप में प्रकाशन और वितरण करने वाले श्री अभयचरण भक्ति वेदान्त जी ने ऊँ विष्णुपाद श्रीश्रीमद्भक्तिप्रज्ञान केशव गोस्वामी महाराज से त्रिदण्ड–संन्यास वेश ग्रहण किया था, तब से उनका सन्यास का नाम–त्रिदण्डिस्वामी श्रीश्रीमद्भक्तिवेदान्त स्वामी महाराज हुआ । | ||
*त्रिदण्डिस्वामी श्रीमद्भक्तिवेदान्त नारायण महाराज ने उक्त अनुष्ठान का पौरोहित्य किया था । | *त्रिदण्डिस्वामी श्रीमद्भक्तिवेदान्त नारायण महाराज ने उक्त अनुष्ठान का पौरोहित्य किया था । | ||
*इसके अनन्तर शिव ताल और [[कंकाली देवी मन्दिर|कंकाली देवी]] का दर्शन है । | *इसके अनन्तर शिव ताल और [[कंकाली देवी मन्दिर मथुरा|कंकाली देवी]] का दर्शन है । | ||
{| width="100%" | {| width="100%" | ||
| | | |
Revision as of 09:16, 31 May 2010
[[चित्र:Gaudiya-Math-Mathura.jpg|गौड़ीय मठ, मथुरा
Gaudiya Math, Mathura|thumb]]
- श्री रंगेश्वर महादेव और कंस टीला के पास ही परिक्रमा मार्ग पर दाहिनी ओर तथा मथुरा–आगरा राजमार्ग पर बायीं ओर श्री केशवजी गौड़ीय मठ वर्तमान समय में एक प्रसिद्ध दर्शनीय स्थान है ।
- आचार्य केशरी ऊँ विष्णुपाद श्री श्रीमद्भक्तिप्रज्ञान केशव गोस्वामी महाराज ने मथुरा के देवाधिदेव भगवान श्री केशव जी के नाम पर इस मठ का नामकरण 'श्रीकेशवजी गौड़ीय मठ' किया था ।
- प्रारम्भ से ही त्रिदण्डिस्वामी श्रीमद्भक्तिवेदान्त नारायण महाराज को इस मठ का मठ रक्षक नियुक्त किया गया था; जिससे भारत के हिन्दी–भाषी क्षेत्रों में श्रीचैतन्य महाप्रभु द्वारा आचरित और प्रचारित शुद्ध भक्ति का प्रचार हो सके ।
- कुछ ही दिनों में यहीं से राष्ट्रभाषा हिन्दी में मासिक 'श्रीभागवत–पत्रिका', जैवधर्म, श्रीशिक्षाष्टक, श्रीमन्महाप्रभु की शिक्षा, उपदेशामृत, श्रीमन:शिक्षा, श्रीमद्भगवगद्रीता आदि ग्रन्थों का प्रकाशन हुआ और अभी भी नये–नये भक्ति– ग्रन्थों का प्रकाशन हो रहा है ।
- यहीं पर पाश्चात्य जगत में श्रीचैतन्य महाप्रभु द्वारा प्रचारित श्री हरिनाम–संकीर्तन की धूम मचाने वाले तथा विश्व की अनेक भाषाओं में श्रीमद्भगवद्गीता, श्रीमद्भागवत आदि अनेक ग्रन्थों का विपुल रूप में प्रकाशन और वितरण करने वाले श्री अभयचरण भक्ति वेदान्त जी ने ऊँ विष्णुपाद श्रीश्रीमद्भक्तिप्रज्ञान केशव गोस्वामी महाराज से त्रिदण्ड–संन्यास वेश ग्रहण किया था, तब से उनका सन्यास का नाम–त्रिदण्डिस्वामी श्रीश्रीमद्भक्तिवेदान्त स्वामी महाराज हुआ ।
- त्रिदण्डिस्वामी श्रीमद्भक्तिवेदान्त नारायण महाराज ने उक्त अनुष्ठान का पौरोहित्य किया था ।
- इसके अनन्तर शिव ताल और कंकाली देवी का दर्शन है ।
सम्बंधित लिंक |