समाचार पत्र: Difference between revisions

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'''समाचार पत्र''' अथवा '''अख़बार''' ([[अंग्रेज़ी]]:Newspaper) समाज और देश में हो रही घटनाओं पर आधारित एक प्रकाशन है। इसमें मुख्यत: ताजी घटनाएँ, खेल-कूद, व्यक्तित्व, राजनीति, विज्ञापन की जानकारियाँ सस्ते [[काग़ज़]] पर छपी होती है। समाचार पत्र संचार के साधनों में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। ये काग़ज़ पर शब्दों से बने वाक्यों को लिखकर या छापकर तैयार होते  हैं। समाचार पत्र प्रायः दैनिक होते हैं लेकिन कुछ समाचार पत्र साप्ताहिक, मासिक एवं छमाही भी होते हैं। अधिकतर समाचारपत्र स्थानीय भाषाओं में और स्थानीय विषयों पर केन्द्रित होते हैं।
'''समाचार पत्र''' अथवा '''अख़बार''' ([[अंग्रेज़ी]]:Newspaper) समाज और देश में हो रही घटनाओं पर आधारित एक प्रकाशन है। इसमें मुख्यत: ताजी घटनाएँ, खेल-कूद, व्यक्तित्व, राजनीति, विज्ञापन की जानकारियाँ सस्ते [[काग़ज़]] पर छपी होती है। समाचार पत्र संचार के साधनों में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। ये काग़ज़ पर शब्दों से बने वाक्यों को लिखकर या छापकर तैयार होते  हैं। समाचार पत्र प्रायः दैनिक होते हैं लेकिन कुछ समाचार पत्र साप्ताहिक, मासिक एवं छमाही भी होते हैं। अधिकतर समाचारपत्र स्थानीय भाषाओं में और स्थानीय विषयों पर केन्द्रित होते हैं।
==समाचार पत्रों का इतिहास==
==इतिहास और योगदान==
भारत में ब्रिटिश शासन के एक पूर्व अधिकारी के द्वारा अखबारों की शुरुआत मानी जाती है, लेकिन उसका स्वरूप अखबारों की तरह नहीं था। वह केवल एक पन्ने का सूचनात्मक पर्चा था। पूर्णरूपेण अखबार बंगाल से 'बंगाल गजट' के नाम से वायसराय हिक्की द्वारा निकाला गया था। आरंभ में [[अंग्रेज़|अंग्रेजों]] ने अपने फायदे के लिए अखबारों का इस्तेमाल किया, चूँकि सारे अखबार अंग्रेज़ी में ही निकल रहे थे, इसलिए बहुसंख्यक लोगों तक खबरें और सूचनाएँ पहुँच नहीं पाती थीं। जो खबरें बाहर निकलकर आती थीं। उन्हें काफी तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया जाता था, ताकि अंग्रेज़ी सरकार के अत्याचारों की खबरें दबी रह जाएँ। अंग्रेज़ सिपाही किसी भी क्षेत्र में घुसकर मनमाना व्यवहार करते थे। वो जिस भी क्षेत्र से गुजरते, वहाँ अपना आतंक फैलाते रहते थे। उनके खिलाफ न तो मुकदमे होते और न ही उन्हें कोई दंड ही दिया जाता था। इन नारकीय परिस्थितियों को झेलते हुए भी लोग खामोश थे। इस दौरान भारत में ‘द हिंदुस्तान टाइम्स’, ‘नेशनल हेराल्ड', 'पायनियर', 'मुंबई-मिरर' जैसे अखबार अंग्रेज़ी में निकलते थे, जिसमें उन अत्याचारों का दूर-दूर तक उल्लेख नहीं रहता था। इन अंग्रेज़ी पत्रों के अतिरिक्त [[बंगला भाषा|बंगला]], [[उर्दू भाषा|उर्दू]] आदि में पत्रों का प्रकाशन तो होता रहा, लेकिन उसका दायरा सीमित था। उसे कोई बंगाली पढ़ने वाला या उर्दू जानने वाला ही समझ सकता था। ऐसे में पहली बार 30 मई, 1826 को [[हिन्दी]] का प्रथम पत्र ‘उदंत मार्तंड’ का पहला अंक प्रकाशित हुआ।<ref>{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/miscellaneous/special07/idday/0708/12/1070812061_1.htm |title=जब अखबार बने आजादी का हथियार |accessmonthday=1 सितम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=वेब दुनिया हिन्दी |language=हिन्दी }} </ref>
==भारत में समाचार पत्रों का इतिहास==
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[[भारत]] में समाचार पत्रों का इतिहास यूरोपीय लोगों के भारत में प्रवेश के साथ ही प्रारम्भ होता है। सर्वप्रथम भारत में प्रिंटिग प्रेस लाने का श्रेय [[पुर्तग़ाली|पुर्तग़ालियों]] को दिया जाता है। 1557 ई. में [[गोवा]] के कुछ पादरी लोगों ने भारत की पहली पुस्तक छापी। 1684 ई. में [[अंग्रेज़]] [[ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] ने भी भारत की पहली पुस्तक की छपाई की थी। 1684 ई. में ही कम्पनी ने भारत में प्रथम प्रिंटिग प्रेस (मुद्रणालय) की स्थापना की।  
[[भारत]] में समाचार पत्रों का इतिहास यूरोपीय लोगों के भारत में प्रवेश के साथ ही प्रारम्भ होता है। सर्वप्रथम भारत में प्रिंटिग प्रेस लाने का श्रेय [[पुर्तग़ाली|पुर्तग़ालियों]] को दिया जाता है। 1557 ई. में [[गोवा]] के कुछ पादरी लोगों ने भारत की पहली पुस्तक छापी। 1684 ई. में [[अंग्रेज़]] [[ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] ने भी भारत की पहली पुस्तक की छपाई की थी। 1684 ई. में ही कम्पनी ने भारत में प्रथम प्रिंटिग प्रेस (मुद्रणालय) की स्थापना की।  
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* [[युवा शक्ति विचार]]
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* [[देशबन्धु]]
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://www.wan-press.org/article2821.html Newspapers: A Brief History]
*[http://www.wan-press.org/article2821.html Newspapers: A Brief History]

Revision as of 12:30, 1 September 2012

समाचार पत्र अथवा अख़बार (अंग्रेज़ी:Newspaper) समाज और देश में हो रही घटनाओं पर आधारित एक प्रकाशन है। इसमें मुख्यत: ताजी घटनाएँ, खेल-कूद, व्यक्तित्व, राजनीति, विज्ञापन की जानकारियाँ सस्ते काग़ज़ पर छपी होती है। समाचार पत्र संचार के साधनों में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। ये काग़ज़ पर शब्दों से बने वाक्यों को लिखकर या छापकर तैयार होते हैं। समाचार पत्र प्रायः दैनिक होते हैं लेकिन कुछ समाचार पत्र साप्ताहिक, मासिक एवं छमाही भी होते हैं। अधिकतर समाचारपत्र स्थानीय भाषाओं में और स्थानीय विषयों पर केन्द्रित होते हैं।

इतिहास और योगदान

भारत में ब्रिटिश शासन के एक पूर्व अधिकारी के द्वारा अखबारों की शुरुआत मानी जाती है, लेकिन उसका स्वरूप अखबारों की तरह नहीं था। वह केवल एक पन्ने का सूचनात्मक पर्चा था। पूर्णरूपेण अखबार बंगाल से 'बंगाल गजट' के नाम से वायसराय हिक्की द्वारा निकाला गया था। आरंभ में अंग्रेजों ने अपने फायदे के लिए अखबारों का इस्तेमाल किया, चूँकि सारे अखबार अंग्रेज़ी में ही निकल रहे थे, इसलिए बहुसंख्यक लोगों तक खबरें और सूचनाएँ पहुँच नहीं पाती थीं। जो खबरें बाहर निकलकर आती थीं। उन्हें काफी तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया जाता था, ताकि अंग्रेज़ी सरकार के अत्याचारों की खबरें दबी रह जाएँ। अंग्रेज़ सिपाही किसी भी क्षेत्र में घुसकर मनमाना व्यवहार करते थे। वो जिस भी क्षेत्र से गुजरते, वहाँ अपना आतंक फैलाते रहते थे। उनके खिलाफ न तो मुकदमे होते और न ही उन्हें कोई दंड ही दिया जाता था। इन नारकीय परिस्थितियों को झेलते हुए भी लोग खामोश थे। इस दौरान भारत में ‘द हिंदुस्तान टाइम्स’, ‘नेशनल हेराल्ड', 'पायनियर', 'मुंबई-मिरर' जैसे अखबार अंग्रेज़ी में निकलते थे, जिसमें उन अत्याचारों का दूर-दूर तक उल्लेख नहीं रहता था। इन अंग्रेज़ी पत्रों के अतिरिक्त बंगला, उर्दू आदि में पत्रों का प्रकाशन तो होता रहा, लेकिन उसका दायरा सीमित था। उसे कोई बंगाली पढ़ने वाला या उर्दू जानने वाला ही समझ सकता था। ऐसे में पहली बार 30 मई, 1826 को हिन्दी का प्रथम पत्र ‘उदंत मार्तंड’ का पहला अंक प्रकाशित हुआ।[1]

भारत में समाचार पत्रों का इतिहास

  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य

भारत में समाचार पत्रों का इतिहास यूरोपीय लोगों के भारत में प्रवेश के साथ ही प्रारम्भ होता है। सर्वप्रथम भारत में प्रिंटिग प्रेस लाने का श्रेय पुर्तग़ालियों को दिया जाता है। 1557 ई. में गोवा के कुछ पादरी लोगों ने भारत की पहली पुस्तक छापी। 1684 ई. में अंग्रेज़ ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने भी भारत की पहली पुस्तक की छपाई की थी। 1684 ई. में ही कम्पनी ने भारत में प्रथम प्रिंटिग प्रेस (मुद्रणालय) की स्थापना की।

विशेष बिन्दु

  • पहला भारतीय अंग्रेज़ी समाचार पत्र 1816 ई. में कलकत्ता में गंगाधर भट्टाचार्य द्वारा 'बंगाल गजट' नाम से निकाला गया। यह साप्ताहिक समाचार पत्र था।
  • 1818 ई. में मार्शमैन के नेतृत्व में बंगाली भाषा में 'दिग्दर्शन' मासिक पत्र प्रकाशित हुआ, लेकिन यह पत्र अल्पकालिक सिद्ध हुआ। इसी समय मार्शमैन के संपादन में एक और साप्ताहिक समाचार पत्र 'समाचार दर्पण' प्रकाशित किया गया।
  • 1821 ई. में बंगाली भाषा में साप्ताहिक समाचार पत्र 'संवाद कौमुदी' का प्रकाशन हुआ। इस समाचार पत्र का प्रबन्ध राजा राममोहन राय के हाथों में था।
  • भारत का प्रथम हिन्दी समाचार पत्र 'उदंत मार्तण्ड' था।

हिन्दी समाचार पत्र


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. जब अखबार बने आजादी का हथियार (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) वेब दुनिया हिन्दी। अभिगमन तिथि: 1 सितम्बर, 2012।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

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