हलीशहर: Difference between revisions

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Revision as of 09:10, 19 November 2012

हलीशहर कंचनपल्ली से दो मील दूर चैतन्य महाप्रभु के गुरू ईश्वरीपुरी का जन्म स्थान है।

  • बंगला के प्रसिद्ध कवि मुकुंदराम कविकंकण ने इस स्थान का नाम कुमारहट्टा भी लिखा है।
  • चैतन्यदेव यहां तीर्थयात्रा के लिये आये थे।
  • चैतन्य के शिष्य श्रीवास पंडित यहीं के निवासी थे।
  • चैतन्यदेव के विषय में पदावली लिखकर प्रसिद्ध हो जाने वाले कवि वासुदेव घोष का भी हलीशहर या कुमारहट्टा से सम्बंध था।
  • कुमारहट्टा ने वैष्णव सम्प्रदाय के साथ ही साथ शाक्तमत का काफी प्रचार था।
  • काली के प्रसिद्ध कवि रामप्रसाद सेन भी यहीं के रहने वाले कहे जाते हैं।
  • यहां रामप्रसाद के सिद्धि प्राप्त करने का स्थल, पंचवट आज भी सुरक्षित है।
  • रामप्रसाद की काली-विषयक सुंदर भावमयी कविता आज भी बंगाल में बड़े प्रेम से गाईं जाती हैं


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टीका टिप्पणी और संदर्भ


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