संपत पाल: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (श्रेणी:व्यक्तिगत परिचय; Adding category Category:व्यक्ति परिचय (को हटा दिया गया हैं।))
Line 50: Line 50:
{{बिग बॉस}}
{{बिग बॉस}}
[[Category:सामाजिक कार्यकर्ता]]
[[Category:सामाजिक कार्यकर्ता]]
[[Category:व्यक्तिगत परिचय]]
[[Category:चरित कोश]]
[[Category:चरित कोश]]
[[Category:व्यक्ति परिचय]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

Revision as of 07:02, 29 November 2012

चित्र:Warning-sign.gif यह पन्ना भारतकोश की विचाराधीन निष्पक्षता सूची में है। यदि भारतकोश के लिए यह पन्ना उपयोगी है तो इसे मिटाया नहीं जायेगा। इस पन्ने को पुन: "निष्पक्ष संपादन" की आवश्यकता है देखें:- अस्वीकरण और भारतकोश मानक और नीति
संपत पाल
पूरा नाम संपत पाल देवी
जन्म 1960
जन्म भूमि बांदा, उत्तर प्रदेश
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि गुलाबी गैंग की स्थापना एवं बिग बॉस सीजन 6 में प्रतियोगी
भाषा हिन्दी, बुन्देलखंडी
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
अद्यतन‎ 12:06, 25 नवम्बर 2011 (IST)

संपत पाल देवी (अंग्रेज़ी: Sampat Pal Devi ) एक सामाजिक कार्यकर्ता तथा गुलाबी गैंग नामक संस्था की संस्थापक है। सुप्रसिद्ध रियलिटी शो 'बिग बॉस' सीज़न 6 की प्रतियोगी भी रह चुकी हैं।

जीवन परिचय

संपत पाल का जन्म उत्तर प्रदेश में वर्ष 1960 में बांदा के बैसकी गांव के एक ग़रीब परिवार में हुआ। संपत पाल की 12 साल की उम्र में एक सब्ज़ी बेचने वाले से शादी हो गई थी। शादी के चार साल बाद गौना होने के बाद संपत अपने ससुराल चित्रकूट ज़िले के रौलीपुर-कल्याणपुर आ गई थी। ससुराल में संपत के शुरुआती साल संघर्ष से भरे हुए थे। उनका सामाजिक सफ़र तब शुरु हुआ जब उन्होंने गांव के एक हरिजन परिवार को अपने घर से पीने के लिए पानी दे दिया था जिस कारण उन्हें गांव से निकाल दिया गया, लेकिन संपत कमज़ोर नहीं पड़ी और गांव छोड़ परिवार के साथ बांदा के कैरी गांव में बस गई। संपत के अनुसार क़रीब दस साल पहले जब उन्होंने अपने पड़ोस में रहने वाली एक महिला के साथ उसके पति को मार-पीट करते हुए देखा तो उन्होंने उसे रोकने की कोशिश की और तब उस व्यक्ति ने इसे अपना पारिवारिक मामला बता कर उन्हें बीच-बचाव करने से रोक दिया था। इस घटना के बाद संपत ने पांच महिलाओं को एकजुट कर उस व्यक्ति को खेतों में पीट डाला और यहीं से उनके 'गुलाबी गैंग' की नींव रखी गई। संपत ने फ़िर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा, जहां कहीं भी उन्होंने किसी तरह की ज़्यादती होते देखी तो वहां दल-बल के साथ पहुंच गईं और ग़रीबों, औरतों, पिछड़ों, पीड़ितों, बेरोज़गारों के लिए लडाई लड़नी शुरु कर दी। वर्ष 2006 में संपत एक बार फ़िर चर्चा में आईं जब उन्होंने दुराचार के एक मामले में अतर्रा के तत्कालीन थानाध्यक्ष को बंधक बना लिया था। मऊ थाने में अवैध खनन के आरोप में पकड़े गए मज़दूरों को छोड़ने की मांग को लेकर तहसील परिसर में धरने पर बैठी गुलाबी गैंग की महिलाओं पर जब पुलिस ने बलप्रयोग किया तब गुलाबी गैंग की महिलाओं ने एसडीएम और सीओ को दौड़ा-दौड़ा कर ना सिर्फ मारा बल्कि उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया। इन घटनाओं के बाद राज्य के पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह ने गुलाबी गैंग को नक्सली संगठन करार देते हुए संपत पाल सहित कई महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन तब तक संपत काफ़ी आगे निकल चुकीं थी। वर्ष 2011 में अंतरराष्ट्रीय 'द गार्जियन' पत्रिका ने संपत पाल को दुनिया की सौ प्रभावशाली प्रेरक महिलाओं की सूची में शामिल किया, जिसके बाद कई देसी-विदेशी संस्थाओं ने उनपर डॉक्यूमेंट्री फ़िल्में तक बना डाली. फ्रांस की एक पत्रिका 'ओह' ने वर्ष 2008 में संपत पाल के जीवन पर आधारित एक पुस्तक भी प्रकाशित की जिसका नाम था 'मॉय संपत पाल, चेफ द गैंग इन सारी रोज़' जिसका मतलब है 'मैं संपत पाल- गुलाबी साड़ी में गैंग की मुखिया' है।[1]

गुलाबी गैंग

बुंदेलखंड के बांदा और आसपास के इलाके में गुलाबी गैंग का अपना अलग ही रुतबा हैं। पीड़ितों की मदद में अफसरों की पिटाई से लेकर उनका जुलूस तक निकाल देना इस गैंग के लिए आम बात है। इस गैंग की मुखिया संपत पाल की पहचान हाथ में लाठी और गुलाबी साड़ी है। वैसे तो बांदा-चित्रकूट इलाके की पहचान लंबे अरसे से डकैत प्रभावित इलाके के तौर पर है। ददुआ से लेकर ठोकिया ने आम आदमी को अपनी छाया में जीने को मजबूर किया है, मगर गुलाबी गैंग इनके ठीक उलट है। यह गैंग लोगों की हमदर्द के तौर पर अपनी पहचान बना चुकी है। अपने नाम के उलट ये कोई गैंग नहीं बल्कि हमेशा गुलाबी कपड़ों में महिला अधिकारों के लिए संघर्ष करती महिलाओं का एक ग्रुप है जिसकी मुखिया हैं सम्पत पाल। ये ग्रुप उन पतियों की पिटाई भी करता है, जो अपनी पत्नियों का उत्पीड़न करते हैं। पत्नियों द्वारा शिकायत करने पर यह गैंग कार्रवाई करता है। संपत की पहचान गुलाबी गैंग की मुखिया के तौर पर देश के विभिन्न हिस्सों के साथ कई दूसरे देशों में भी है। बांदा जिले के कैरी गांव की संपत का विवाह रौली कल्याणपुर गांव के मुन्ना लाल पाल से हुआ। मुन्ना की चाय की दुकान थी। गैंग के नामकरण की भी अजीब कहानी है। संपत पाल व उसके साथियों ने महिलाओं के लिए साड़ी का कारोबार शुरू किया। एक बार गुलाबी साड़ी आई जिसे उन्होंने 125 रुपए प्रति साड़ी के हिसाब से सदस्यों को दिया और जब उन साड़ियों को पहनकर महिलाएं समूह में निकलीं तो उन्हें गुलाबी गैंग का नाम मिल गया।

गुलाब गैंग फ़िल्म

गुलाबी गैंग कोई पंजीकृत संस्था तक नहीं लेकिन सम्पत पाल की ख्याति बॉलीवुड तक इतनी फैली गई कि गुलाबी गैंग पर आधारित एक फ़िल्म बन रही है। पिंक साड़ी के नाम की इस फ़िल्म में माधुरी दीक्षित काम करेंगी और इसे अगले साल 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर रिलीज करने की योजना है। इस फ़िल्म में माधुरी दीक्षित जैसी बड़ी कलाकार संपत की भूमिका निभा रही हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 'फर्श से अर्श तक' संपतपाल का रोमांचक सफ़र (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) बीबीसी हिंदी। अभिगमन तिथि: 29 नवम्बर, 2012।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख