सपूत और कपूत -शिवदीन राम जोशी: Difference between revisions
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धर्म कर्म रहित दुष्ट पेट भरे आपका। | धर्म कर्म रहित दुष्ट पेट भरे आपका। | ||
कहता शिवदीन राम ऐसे निकाम पूत, | कहता शिवदीन राम ऐसे निकाम पूत, | ||
गुरु का न गोविन्द का | गुरु का न गोविन्द का माँ का न बाप का। | ||
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Revision as of 14:07, 2 June 2017
पूत सपूत जने जननी, पितु मात की बात को शीश चढावे। पूत सपूत निहाल करे, पर हेतु करे नित्त और भलाई। पूत सपूत जने जननी, जननी का जोबन हरन, करन अनेक कुचाल, काहूँ के न जनमें उतडा कपूत पूत, बहुत से कपूत पूत भूत सा भयंकर रूप, |
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