सूर्य तारा: Difference between revisions
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*सूर्य [[सौरमण्डल]] का प्रधान है। यह हमारी मंदाकिनी दुग्धमेखला के केन्द्र से लगभग 30,000 प्रकाशवर्ष की दूरी पर एक कोने में स्थित है। | *सूर्य [[सौरमण्डल]] का प्रधान है। यह हमारी मंदाकिनी दुग्धमेखला के केन्द्र से लगभग 30,000 प्रकाशवर्ष की दूरी पर एक कोने में स्थित है। | ||
*दुग्धमेखला मंदाकिनी के केन्द्र के चारों ओर 250 | *दुग्धमेखला मंदाकिनी के केन्द्र के चारों ओर 250 किमी./से. की [[गति]] से परिक्रमा कर रहा है। इसका परिक्रमण काल (दुग्धमेखला के केन्द्र के चारों ओर एक बार घूमने में लगा समय) 25 करोड़ वर्ष है। जिसे [[ब्रह्माण्ड]] वर्ष (Cosmos Year) कहते हैं। | ||
*सूर्य अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता है। इसका मध्य भाग 25 दिनों में व ध्रवीय भाग 35 दिनों में एक धूर्णन करता है। | *सूर्य अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता है। इसका मध्य भाग 25 दिनों में व ध्रवीय भाग 35 दिनों में एक धूर्णन करता है। | ||
*सूर्य एक [[गैस|गैसीय]] गोला है, जिसमें [[हाइड्रोजन]] 71%, [[हीलियम]] 26.5% एवं अन्य [[तत्व]] 2.5% होता है। | *सूर्य एक [[गैस|गैसीय]] गोला है, जिसमें [[हाइड्रोजन]] 71%, [[हीलियम]] 26.5% एवं अन्य [[तत्व]] 2.5% होता है। | ||
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*सौर ज्वाला को उत्तरी ध्रुव पर औरोरा बोरियलिस और दक्षिणी ध्रुव पर औरोरा औस्ट्रेलिस कहते हैं। | *सौर ज्वाला को उत्तरी ध्रुव पर औरोरा बोरियलिस और दक्षिणी ध्रुव पर औरोरा औस्ट्रेलिस कहते हैं। | ||
*सूर्य के धब्बे (चलते हुए गेसों के खोल) का तापमान आसपास के तापमान से 1500 ºC कम होता है। सूर्य के धब्बों का एक पूरा चक्र 22 वर्षों का होता है। पहले 11 वर्षों तक यह धब्बा बढ़ता है और बाद के 11 वर्षों तक यह धब्बा घटता है। जब सूर्य की सतह पर धब्बा दिखलाई देता है, उस समय पृथ्वी पर चुम्बकीय झंझावत (Magnetic Storms) उत्पन्न होते हैं। इससे चुम्बकीय सुई की दिशा बदल जाती है, एवं रेडियो, टलीविजन, बिजली चालित मशीनों में गड़बड़ी उत्पन्न हो जाती है। | *सूर्य के धब्बे (चलते हुए गेसों के खोल) का तापमान आसपास के तापमान से 1500 ºC कम होता है। सूर्य के धब्बों का एक पूरा चक्र 22 वर्षों का होता है। पहले 11 वर्षों तक यह धब्बा बढ़ता है और बाद के 11 वर्षों तक यह धब्बा घटता है। जब सूर्य की सतह पर धब्बा दिखलाई देता है, उस समय पृथ्वी पर चुम्बकीय झंझावत (Magnetic Storms) उत्पन्न होते हैं। इससे चुम्बकीय सुई की दिशा बदल जाती है, एवं रेडियो, टलीविजन, बिजली चालित मशीनों में गड़बड़ी उत्पन्न हो जाती है। | ||
*सूर्य का व्यास 13 लाख 92 हज़ार | *सूर्य का व्यास 13 लाख 92 हज़ार किमी. है, जो पृथ्वी के व्यास का लगभग 110 गुना है। | ||
*सूर्य पृथ्वी से 13 लाख गुना बड़ा है, और पृथ्वी को सूर्यताप का 2 अरबवाँ भाग मिलता है। | *सूर्य पृथ्वी से 13 लाख गुना बड़ा है, और पृथ्वी को सूर्यताप का 2 अरबवाँ भाग मिलता है। | ||
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- सूर्य सौरमण्डल का प्रधान है। यह हमारी मंदाकिनी दुग्धमेखला के केन्द्र से लगभग 30,000 प्रकाशवर्ष की दूरी पर एक कोने में स्थित है।
- दुग्धमेखला मंदाकिनी के केन्द्र के चारों ओर 250 किमी./से. की गति से परिक्रमा कर रहा है। इसका परिक्रमण काल (दुग्धमेखला के केन्द्र के चारों ओर एक बार घूमने में लगा समय) 25 करोड़ वर्ष है। जिसे ब्रह्माण्ड वर्ष (Cosmos Year) कहते हैं।
- सूर्य अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता है। इसका मध्य भाग 25 दिनों में व ध्रवीय भाग 35 दिनों में एक धूर्णन करता है।
- सूर्य एक गैसीय गोला है, जिसमें हाइड्रोजन 71%, हीलियम 26.5% एवं अन्य तत्व 2.5% होता है।
- सूर्य का केन्द्रीय भाग क्रोड (Core) कहलाता है, जिसका ताप 1.5×107 ºC होता है तथा सूर्य के बाहरी सतह का तापमान 6000 डिग्री c है।
- हैंस बेथ (Hans Bethe) ने बताया कि 107 ºC ताप पर सूर्य के केन्द्र पर चारों हाइड्रोजन नाभिक मिलकर एक हीलियम नाभिक का निर्माण करता है। अर्थात् सूर्य के केन्द्र पर नाभिकीय संलयन होता है जो सूर्य की ऊर्जा का स्रोत है।
- सूर्य की दीप्तीमान सतह को प्रकाश मण्डल (Photo sphere) कहते हैं। प्रकाश मण्डल के किनारे प्रकाशमान नहीं होते, क्योंकि सूर्य का वायुमण्डल प्रकाश का अवशोषण कर लेता है। इसे वर्ण मण्डल (Chromosphere) कहते हैं। यह काले रंग का होता है।
- सूर्यग्रहण के समय दिखाई देने वाले भाग को सूर्य–किरीट (corona) कहते हैं। सूर्य–किरीट एक्स–रे उत्सर्जित करता है। इसे सूर्य का मुकुट कहा जाता है। पूर्ण सूर्य–ग्रहण के समय सूर्य किरीट से प्रकाश की प्राप्ति होती है।
- सूर्य की उम्र—5 बिलियन वर्ष है।
- भविष्य में सूर्य के द्वारा ऊर्जा देते रहने का समय 1011 प्रकाशवर्ष है।
- सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने में 8 मिन्ट 16.6 सेकेण्ड का समय लगता है।
- सौर ज्वाला को उत्तरी ध्रुव पर औरोरा बोरियलिस और दक्षिणी ध्रुव पर औरोरा औस्ट्रेलिस कहते हैं।
- सूर्य के धब्बे (चलते हुए गेसों के खोल) का तापमान आसपास के तापमान से 1500 ºC कम होता है। सूर्य के धब्बों का एक पूरा चक्र 22 वर्षों का होता है। पहले 11 वर्षों तक यह धब्बा बढ़ता है और बाद के 11 वर्षों तक यह धब्बा घटता है। जब सूर्य की सतह पर धब्बा दिखलाई देता है, उस समय पृथ्वी पर चुम्बकीय झंझावत (Magnetic Storms) उत्पन्न होते हैं। इससे चुम्बकीय सुई की दिशा बदल जाती है, एवं रेडियो, टलीविजन, बिजली चालित मशीनों में गड़बड़ी उत्पन्न हो जाती है।
- सूर्य का व्यास 13 लाख 92 हज़ार किमी. है, जो पृथ्वी के व्यास का लगभग 110 गुना है।
- सूर्य पृथ्वी से 13 लाख गुना बड़ा है, और पृथ्वी को सूर्यताप का 2 अरबवाँ भाग मिलता है।