भारतीय किसान संघ: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
Line 1: Line 1:
{{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय
|चित्र=Bhartiya-kisan-sangh.jpg
|चित्र का नाम=भारतीय किसान संघ का प्रतीक चिह्न
|विवरण=भारतीय किसानों का संघ है जिसका लक्ष्य भारतीय किसानों का समग्र विकास है।
|शीर्षक 1=संस्थापक
|पाठ 1= [[दत्तोपन्त ठेंगडी]]
|शीर्षक 2=स्थापना
|पाठ 2=[[4 मार्च]] [[1979]]
|शीर्षक 3=उद्देश्य
|पाठ 3=किसानों को उन्हीं के आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक प्रगति के लिये संगठित करना।
|शीर्षक 5=संपर्क
|पाठ 5= भारतीय किसान संघ<br />
43, दीनदयाल उपाध्याय मार्ग, <br />
[[नई दिल्ली]]- 110002<br />
दूरभाष- 011-23210048
|शीर्षक 4=ब्रीद
|पाठ 4=‘कृषि मित् कृषस्व:’ (सिर्फ खेती ही करो)
|शीर्षक 6=
|पाठ 6=
|शीर्षक 7=
|पाठ 7=
|शीर्षक 8=
|पाठ 8=
|शीर्षक 9=
|पाठ 9=
|शीर्षक 10=
|पाठ 10=
|संबंधित लेख=
|अन्य जानकारी=
|बाहरी कड़ियाँ=[http://hn.kisansangh.org/default.aspx आधिकारिक वेबसाइट]
|अद्यतन={{अद्यतन|20:32, 18 जून 2014 (IST)}}
}}
'''भारतीय किसान संघ''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Bharatiya Kisan Sangh'') भारतीय किसानों का संघ है जिसका लक्ष्य भारतीय किसानों का समग्र विकास है। इसके संस्थापक [[दत्तोपन्त ठेंगडी]] थे। ‘किसानों की, किसानों के लिये, किसानों द्वारा चलाये जानेवाली संघटना के रूप में भारतीय किसान संघ आज सारे विश्‍व में परिचित है। यह [[भारत]] की सबसे बडी किसान संघटना के रूप में भी जानी जाती है। भारतीय किसानों का विकास करने के लिए उनका संघठन जरूरी है, यह बात जान कर देश के एक ज्येष्ठ तत्त्वचिंतक, मजदूर नेता दत्तोपंत ठेंगडी ने इसकी स्थापना की थी। सभी राजकीय संघटनाओं से अलिप्त रहकर और राजकीय अभिलाषाओं से परे होकर भारतीय किसान संघ पिछले तीन दशकों से निःस्वार्थ रूप से अपने ध्येय की ओर अग्रसर है।
'''भारतीय किसान संघ''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Bharatiya Kisan Sangh'') भारतीय किसानों का संघ है जिसका लक्ष्य भारतीय किसानों का समग्र विकास है। इसके संस्थापक [[दत्तोपन्त ठेंगडी]] थे। ‘किसानों की, किसानों के लिये, किसानों द्वारा चलाये जानेवाली संघटना के रूप में भारतीय किसान संघ आज सारे विश्‍व में परिचित है। यह [[भारत]] की सबसे बडी किसान संघटना के रूप में भी जानी जाती है। भारतीय किसानों का विकास करने के लिए उनका संघठन जरूरी है, यह बात जान कर देश के एक ज्येष्ठ तत्त्वचिंतक, मजदूर नेता दत्तोपंत ठेंगडी ने इसकी स्थापना की थी। सभी राजकीय संघटनाओं से अलिप्त रहकर और राजकीय अभिलाषाओं से परे होकर भारतीय किसान संघ पिछले तीन दशकों से निःस्वार्थ रूप से अपने ध्येय की ओर अग्रसर है।
==स्थापना==
==स्थापना==
Line 17: Line 49:
* नये, विकसित जलसिंचन तंत्र तथा पानी की बचत करने वाले उपकरणों को विकसित करना और किसानों के हित में उनका प्रचार करना।<ref name="BKS"/>
* नये, विकसित जलसिंचन तंत्र तथा पानी की बचत करने वाले उपकरणों को विकसित करना और किसानों के हित में उनका प्रचार करना।<ref name="BKS"/>
====आंदोलनात्मक आधार====  
====आंदोलनात्मक आधार====  
[[चित्र:Dattopant-thangadi.jpg|thumb|भारतीय किसान संघ के संस्थापक [[दत्तोपन्त ठेंगडी]]]]
लोकतंत्र में किसानों का सम्मान कायम रखते हुए, व्यवस्था के खिलाफ सृजनात्मक संघर्ष के लिए, अहिंसात्मक आंदोलन और प्रदर्शन एक प्रभावी माध्यम है। इसी विचार से भारतीय किसान संघ ने संविधान की प्रतिष्ठा और लोकतंत्र की परंपरा को संजोते हुए किसानों की समस्याओं पर काफी आंदोलन किये; कुछ आंदोलन आज भी शुरू है। बहुतांश आंदोलनों में भारतीय किसान संघ को सफलता भी हासिल हुई है। कई बार ऐसा भी हुआ है कि, भारतीय किसान संघ ने किसानों के हित में अपनी भूमिका जाहिर की और उसे सार विश्‍व से स्वीकृति मिली है; उसकी सराहना हुई है।
लोकतंत्र में किसानों का सम्मान कायम रखते हुए, व्यवस्था के खिलाफ सृजनात्मक संघर्ष के लिए, अहिंसात्मक आंदोलन और प्रदर्शन एक प्रभावी माध्यम है। इसी विचार से भारतीय किसान संघ ने संविधान की प्रतिष्ठा और लोकतंत्र की परंपरा को संजोते हुए किसानों की समस्याओं पर काफी आंदोलन किये; कुछ आंदोलन आज भी शुरू है। बहुतांश आंदोलनों में भारतीय किसान संघ को सफलता भी हासिल हुई है। कई बार ऐसा भी हुआ है कि, भारतीय किसान संघ ने किसानों के हित में अपनी भूमिका जाहिर की और उसे सार विश्‍व से स्वीकृति मिली है; उसकी सराहना हुई है।
==ध्वज==
==ध्वज==

Revision as of 15:02, 18 June 2014

भारतीय किसान संघ
विवरण भारतीय किसानों का संघ है जिसका लक्ष्य भारतीय किसानों का समग्र विकास है।
संस्थापक दत्तोपन्त ठेंगडी
स्थापना 4 मार्च 1979
उद्देश्य किसानों को उन्हीं के आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक प्रगति के लिये संगठित करना।
ब्रीद ‘कृषि मित् कृषस्व:’ (सिर्फ खेती ही करो)
संपर्क भारतीय किसान संघ

43, दीनदयाल उपाध्याय मार्ग,
नई दिल्ली- 110002
दूरभाष- 011-23210048

बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
अद्यतन‎

भारतीय किसान संघ (अंग्रेज़ी:Bharatiya Kisan Sangh) भारतीय किसानों का संघ है जिसका लक्ष्य भारतीय किसानों का समग्र विकास है। इसके संस्थापक दत्तोपन्त ठेंगडी थे। ‘किसानों की, किसानों के लिये, किसानों द्वारा चलाये जानेवाली संघटना के रूप में भारतीय किसान संघ आज सारे विश्‍व में परिचित है। यह भारत की सबसे बडी किसान संघटना के रूप में भी जानी जाती है। भारतीय किसानों का विकास करने के लिए उनका संघठन जरूरी है, यह बात जान कर देश के एक ज्येष्ठ तत्त्वचिंतक, मजदूर नेता दत्तोपंत ठेंगडी ने इसकी स्थापना की थी। सभी राजकीय संघटनाओं से अलिप्त रहकर और राजकीय अभिलाषाओं से परे होकर भारतीय किसान संघ पिछले तीन दशकों से निःस्वार्थ रूप से अपने ध्येय की ओर अग्रसर है।

स्थापना

भारतीय किसान संघ की स्थापना भारत के राष्ट्रवादी ट्रेड यूनियन नेता दत्तोपन्त ठेंगडी ने की थी। दत्तोपंतजी ठेंगडी ने संपूर्ण देश की यात्रा की और सभी राज्यों के किसानों की समस्याएँ जान लीं। उन्होंने सारे देश में से 650 से अधिक किसान प्रतिनिधियों का चयन किया और राजस्थान के कोटा शहर में एक अधिवेशन आयोजित कर 4 मार्च 1979 में भारतीय किसान संघ के स्थापना की घोषणा की। संघटनात्मक, रचनात्मक और आंदोलनात्मक भूमिका निभाते हुए आज भारतीय किसान संघ देश के किसानों तथा कृषि मजदूरों की आवाज उठाने वाली और साथ ही ग्राम विकास की प्रक्रिया में सहयोग देने वाली एक प्रमुख संघटना बन चुकी है।[1]

लक्ष्य और उद्देश्य

भारत एक कृषिप्रधान देश है। किसान और कृषि पर आधारित उद्योग अपने देश की अर्थनीति का मुख्य आधार है। किसान और कृषि के बगैर भारत की कल्पना भी नहीं की जा सकती। परंतु जहाँ एकतरफ पूरे विश्‍व में कृषि क्षेत्र का चौतरफा विकास हो रहा है, वहीं भारत में किसान असहाय बना हुआ है। अपनी लूट की जा रही है, ऐसी भावना यहाँ के किसानों के मन में निर्माण हो रही है। इस विषमता को दूर करने के लिए देश में कई संस्थाएँ, संघटन प्रयत्नरत है, पर उनमें कई तो किसी व्यक्ति/व्यक्तिओं या किसी ना किसी राजनीतिक पार्टी के प्रचारक के रूप में कार्य कर रहीं हैं। इस प्रकार की संस्थाएँ या संगठन उनके स्वार्थ के लिए या व्यक्तिगत महत्त्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए किसानों का उपयोग करते हैं, यह विडंबना है। यह देखते हुए किसानों में देश के प्रति उनके दायित्व के साथ साथ उनके अधिकारों के लिए जागृति लाने के लिए एक अराजनैतिक संगठन की जरूरत महसूस होने लगी थी। यही बात जान कर देश के एक ज्येष्ठ तत्त्वचिंतक, मजदूर नेता दत्तोपंतजी ठेंगडी ने भारतीय किसान संघ जो अराजनैतिक व राष्ट्रवादी संगठन है, की स्थापना की।[1]

  • किसानों को उन्हीं के आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक प्रगति के लिये संगठित करना। कृषि के साथ विविध गृह उद्योगों द्वारा आय के पूरक स्रोत उपलब्ध कर उन्नत जीवनमान की ओर उन्हें अग्रसर करना।
  • कृषि तंत्रज्ञान में नये खोजों के कारण होने वाले परिवर्तनों की, सुधारों की समय समय पर जानकारी देकर किसानों को उनका स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित करना।
  • परंपरागत भारतीय कृषि पद्धति का महत्त्व जताकर उसका स्वीकार और संवर्धन करने के लिये और उसी प्रकार पर्यावरण की सुरक्षा ध्यान में रखते हुए भूमि की उपज क्षमता, पानी की उपलब्धता, बीज, पशुधन, पौधे आदि के संबंध में समय समय पर आने वाले आधुनिक बदलाओं का स्वीकार करने के लिये उन्हे प्रोत्साहन देना।
  • शतकों से भारत में प्रचलित परंपरागत कृषि पद्धति की जानकारी, उसका उपयोग, उसमें किये गए प्रयोग, परिवर्तन, संशोधन आदि जानकारी इकठ्ठा करना और अन्य किसानों को यह जानकारी प्राप्त हो इसके लिये उसे प्रकाशित करना, और साथ ही पेटंट लिये जाने के प्रयासों से उसका बचाव करना।
  • किसानों को आने वाली कठनाईयाँ और उनकी समस्याओं पर चर्चा, संगोष्ठी, आयोजित करना, उसी सिलसिले में विविध अभ्यास गुटों का निर्माण करना, किसानों की अभ्यास यात्राएँ, उनके उत्पादों के प्रदर्शन आयोजित करना। इस प्रकार के आयोजनों के लिये प्रोत्साहन देना और मदद भी करना।
  • कृषि और किसानों के लिये राष्ट्रीय और आंतरराष्ट्रीय स्तर पर समान उद्देश्य और समान कार्यक्रम के तहत काम करने वाली विविध संस्थाओं को इकठ्ठा लाना और उन्हें उनके कार्य के लिए सहायता करना।
  • विविध मजदूर संगठन, सहकारी और शैक्षणिक संस्थाएँ, उसी प्रकार आर्थिक, सामाजिक औेर सांस्कृतिक संगठनाओं से भी मदद लेना।
  • भारतीय गोवंश की विविध प्रजातियों का रक्षण और संवर्धन करना। उसी प्रकार कृषि कार्य में सहाय्यभूत होने वाले अन्य जीवों का भी रक्षण और संवर्धन करना।
  • किसान और कृषि मजदूरों में और उसी प्रकार गांव के अन्य कारीगरों में सहायता और सौहार्द्र बढाना और उस जरिये गांव में सकारात्मक और खुशहाल वातावरण निर्माण करना।
  • अधोरेखित और उसी प्रकार किसानों के हित में अन्य विविध उद्दिष्टों के पूर्ति के लिये विविध उपक्रमों का आयोजन करना।
  • भूमि, जल और ऊर्जा स्रोतों का व्यवस्थापन तथा पर्यावरण संरक्षण के संबंध में सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के साथ हॉंथ बटाकर किसानों के लिए विविध प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन करना।
  • नये, विकसित जलसिंचन तंत्र तथा पानी की बचत करने वाले उपकरणों को विकसित करना और किसानों के हित में उनका प्रचार करना।[1]

आंदोलनात्मक आधार

[[चित्र:Dattopant-thangadi.jpg|thumb|भारतीय किसान संघ के संस्थापक दत्तोपन्त ठेंगडी]] लोकतंत्र में किसानों का सम्मान कायम रखते हुए, व्यवस्था के खिलाफ सृजनात्मक संघर्ष के लिए, अहिंसात्मक आंदोलन और प्रदर्शन एक प्रभावी माध्यम है। इसी विचार से भारतीय किसान संघ ने संविधान की प्रतिष्ठा और लोकतंत्र की परंपरा को संजोते हुए किसानों की समस्याओं पर काफी आंदोलन किये; कुछ आंदोलन आज भी शुरू है। बहुतांश आंदोलनों में भारतीय किसान संघ को सफलता भी हासिल हुई है। कई बार ऐसा भी हुआ है कि, भारतीय किसान संघ ने किसानों के हित में अपनी भूमिका जाहिर की और उसे सार विश्‍व से स्वीकृति मिली है; उसकी सराहना हुई है।

ध्वज

भारतीय किसान संघ का ध्वज गेरुए रंग का है। गेरुआ रंग देश का इतिहास, परंपरा और त्यागशील जीवन पद्धति का प्रतीक है। सुबह आकाश में सूरज उदित होता है, उस उषःकाल के समय का रंग गेरुआ होता है। सूरज नियमितता का और उषःकाल उज्ज्वल भविष्य के लिए नयी सुबह का प्रतीक माना जाता है। यह रंग अग्नि का भी होता है, जो शुद्धता और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। साधु-संत-योगी भी गेरुए रंग के वस्त्र पहनते हैं, जो ज्ञान और त्याग का प्रतीक है। इसीलिए गेरुआ रंग भारत की शानदार प्राचीन संस्कृति का भी प्रतीक माना जाता है। ध्वज में समानता हो इसलिए इसका आकार आयताकृति और लंबाई-चौडाई का अनुपात 3:2 रखा गया है। इस ध्वज के मध्य भाग में भारतीय किसान संघ का चिन्ह अंकित किया गया है।[1]

ब्रीद-वाक्य

भारतीय किसान संघ का ब्रीद वाक्य है- कृषि मित कृषस्वः । इसका अर्थ होता है- खेती ही करो। भारत के चार वेदों में से प्रथम वेद ऋग्वेद के अक्षदेवन सूक्त में दिए गये एक मंत्र में से ली गयी यह पंक्ति है। इस मंत्र में मनुष्य को- जुआ मत खेलो, खेती करो, खेती से ही पैसा कमा कर उससे सम्मानपूर्वक जीवन जीओ, ऐसा बताया गया है।[1]

भारतीय किसान संघ का विस्तार

स्थापना के बाद दत्तोपंतजी ठेंगडी का कुशल नेतृत्व और निःस्वार्थ कार्यकर्ताओं के योगदान से भारतीय किसान संघ का पूरे देश में तेजी से विस्तार होने लगा। अलग अलग राज्यों के किसानों को भारतीय किसान संघ की भूमिका और कार्य भाने लगा और वे उसके साथ जुड़ने लगे और अतिशय अल्पकाल में देश के सभी राज्यों में भारतीय किसान संघ की शाखाएँ खुल चुकी थीं। उस समय तक ऐसे कई राज्य थे जहाँ के हर ज़िले में, तहसीलों में, छोटे छोटे गाँवों में भारतीय किसान संघ के कार्यकर्ता सक्रिय हो चुके थे। भारतीय किसान संघ की ग्राम समितियाँ की स्थापना हो चुकी थीं और उनके माध्यम से किसानों के कल्याण का कार्य शुरू हो गया था।

संगठनात्मक कार्य

भारतीय किसान संघ ने जहाँ एकतरफ देश के किसानों की सृजनशक्ति बढाई, उन्हें उनका हित, उनकी शक्ति का एहसास दिलाकर उनमें क्रांति के दीप जलाए, वहीं दूसरी ओर उनमें राष्ट्रप्रेम जगा कर देश के लिये कुछ करने की जिम्मेवारी का एहसास भी दिलाया। किसानों के आर्थिक स्थिति में सुधार और निश्‍चितता लाने के लिए भारतीय किसान संघ ने कई ठोस कदम उठाए। किसानों को उनके नुकसान का प्रमाण कम करने के लिये कृषि से संबंधित विविध तकनिकों का प्रशिक्षण देना, ग्राहक संरक्षण कानून अंतर्गत किसानों को उनके अधिकारों की जानकारी देना, इस प्रकार के कई उपक्रम भारतीय किसान संघ ने कार्यान्वित किये और आज भी वह काम हो रहा है। इसी के साथ साथ समान विचार, सामूहिक जिम्मेवारी और सहकार्य, परस्पर विश्‍वास के आधार पर सुखी और समृद्ध गांव विकसित करने के लिए भी भारतीय किसान संघ का कार्य चलता रहा। सही मायने में आत्मनिर्भर और समृद्ध किसान तथा खुशहाल गाँव, यही भारतीय संघ की मूल संकल्पना और तत्त्वज्ञान भी है। किसानों को देश पर होने वाले बाह्य आक्रमण और देशांतर्गत उपद्रवकारियों के उत्पातों से अवगत कराकर उन्हें देश के प्रति कर्तव्यों का एहसास दिलाया जाता है।[1]

संगठन का स्वरूप

भारतीय किसान संघ एक पंजीकृत संगठन है। देश का कोई भी किसान इसका सदस्य बन सकता है। यह सदस्यता तीन वर्ष तक होती है, उसके बाद ङ्गिर से सदस्यता प्राप्त करनी होती है। भारतीय किसान संघ के ग्राम स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक सभी कार्यकारिणियों का हर तीन वर्ष बाद निर्वाचन होता है। भारतीय किसान संघ ने कृषि की परिभाषा बहुत ही व्यापक स्वरूप में की है। प्रत्यक्ष खेती, दुग्ध व्यवसाय, ङ्गलोत्पादन, रेशम उत्पादन, मत्स्य व्यवसाय, वनीकरण और इन सारे प्रकारों से संलग्न निर्माण, प्रक्रिया, व्यापार उद्योग में कार्यरत सभी कर्मचारी और कृषि-मजदूर किसी जात, धर्म, भाषा, प्रदेश आदि किसी भी प्रकार का भेद न मानते हुए भारतीय किसान संघ के सदस्य बन सकते हैं। भारतीय किसान संघ की ग्राम समिति, विकास विभाग समिति, जिल्हा समिति, विभागीय समिति, प्रांत समिति, राज्य समिति, प्रदेश समिति और राष्ट्रीय समिति होती है, जिसके पदाधिकारियों के चयन अतिशय सौहार्द्रपूर्ण और पारिवारिक वातावरण में किया जाता है। यह समितियाँ सारे वर्ष भर विविध उपक्रम और कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं। इनमें मुख्यतः सदस्यता अभियान, विविध कार्य समितियों का निर्माण, मासिक सभाएँ, रिङ्ग्रेशर कॅम्प, विविध प्रशिक्षण शिविर, सभाएँ, गाँव का एकत्रीकरण, सम्मेलन, यात्राएँ, कृषि मेला, पशु मेला, किसान दिन, स्थापना दिवस, आदर्श ग्राम कल्पना, आनंद मेला (सोशल ङ्गीस्ट), वन-वास्तव्य, गो-पूजन, भारतमाता पूजन, पशुओं की स्पर्धा (शंकरपट आदी), ङ्गल, सब्जियॉं, ङ्गूल प्रदर्शन और स्पर्धा, विविध आंदोलन, घेराव, धरना, प्रदर्शन आदि का आयोजन किया जाता है।[1]

परिचय एक झलक

  • हमारा संगठन- भारतीय किसान संघ
  • हमारा ध्वज- अखंड भारत के मानचित्र पर हलधर की निशानी से युक्त भगवा ध्वज
  • हमारा ब्रीद- ‘कृषि मित् कृषस्व:’ (सिर्फ खेती ही करो)
  • हमारे संगठन का आधार- पारिवारिक भावना
  • हमारा स्वप्न- हर एक किसान हमारा नेता
  • हमारे कार्य का संप्रेरक- किसान का उत्थान ही राष्ट्र का उत्थान
  • हमारी मान्यता- किसानों की एकता, राष्ट्र की अखंडता
  • हम मानते हैं- सामूहिक नेतृत्व
  • हमारी विशेषता- हमारा संघठन नेता आधारित नहीं, कार्यकर्ता आधारित
  • हमारी नीति- हमारा संगठन गैर-राजनीतिक है
  • हमारी वचनबद्धता- देश के हम भंडार भरेंगे
  • हमारा अधिकार- लागत मूल्य आधारित कीमत लेंगे
  • हमारा आदर्श- भगवान बलराम
  • हमारी निष्ठा- पूरा गाँव एक परिवार है। पूरा राष्ट्र एक परिवार है। प्रत्येक किसान भाई-भाई है।
  • हमारा विश्‍वास- जो हमसे टकराएगा, हम में ही मिल जाएगा[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 1.4 1.5 1.6 1.7 भारतीय किसान संघ (हिंदी) आधिकारिक वेबसाइट। अभिगमन तिथि: 18 जून, 2014।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख