कंस मेला: Difference between revisions
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*भगवान [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] द्वारा कंस को मारने के उपलक्ष्य में [[मथुरा]] में यह मेला आयोजित होता है । | *भगवान [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] द्वारा कंस को मारने के उपलक्ष्य में [[मथुरा]] में यह मेला आयोजित होता है । | ||
*इस दिन चतुर्वेदी युवक अपनी–अपनी लाठियों से सुसज्जित होकर कंस टीले तक जाते हैं । वहां [[कंस]] के पुतले को नष्ट करके उसके मस्तक को लाकर कंसखार पर नष्ट करते हैं, तदुपरांत [[विश्राम घाट]] पर प्रभु को विश्राम देकर पूजन आरती का कार्य सम्पादन करके, कंस वध के दिन की स्मृति को परम्परागत रूप से साकार करते हैं। | *इस दिन चतुर्वेदी युवक अपनी–अपनी लाठियों से सुसज्जित होकर कंस टीले तक जाते हैं । वहां [[कंस]] के पुतले को नष्ट करके उसके मस्तक को लाकर कंसखार पर नष्ट करते हैं, तदुपरांत [[विश्राम घाट मथुरा|विश्राम घाट]] पर प्रभु को विश्राम देकर पूजन आरती का कार्य सम्पादन करके, कंस वध के दिन की स्मृति को परम्परागत रूप से साकार करते हैं। | ||
*इस मेले में मथुरावासी उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं । | *इस मेले में मथुरावासी उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं । | ||
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Revision as of 04:40, 17 April 2010
कंस मेला / Kansa Fair
[[चित्र:Kansa-Fair-2.jpg|कंस मेला, मथुरा
Kans Mela, Mathura|thumb|250px]]
- कंस टीले पर आयोजित होने वाला यह मेला ब्रज का विशेष आकर्षण हैं ।
- भगवान श्रीकृष्ण द्वारा कंस को मारने के उपलक्ष्य में मथुरा में यह मेला आयोजित होता है ।
- इस दिन चतुर्वेदी युवक अपनी–अपनी लाठियों से सुसज्जित होकर कंस टीले तक जाते हैं । वहां कंस के पुतले को नष्ट करके उसके मस्तक को लाकर कंसखार पर नष्ट करते हैं, तदुपरांत विश्राम घाट पर प्रभु को विश्राम देकर पूजन आरती का कार्य सम्पादन करके, कंस वध के दिन की स्मृति को परम्परागत रूप से साकार करते हैं।
- इस मेले में मथुरावासी उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं ।