प्रयोग:कविता सा.-1: Difference between revisions
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||एक मकान का अंकन रैखिक परिप्रेक्ष्य के सिद्धांत के अनुसार है। मकान का चित्रण रेखाओं के द्वारा किया जाता है जबकि धूमिक रंगों का प्रयोग वायवीय परिप्रेक्ष्य को दिखाने के लिए किया जाता है। चित्र में निकट की वस्तुओं को बड़ा एवं दूर की वस्तुओं को छोटा दिखाने के सिद्धांत को 'परिप्रेक्ष्य' कहते हैं। परिप्रेक्ष्य दो प्रकार का होता है- रेखीय तथा वायवीय। | ||एक मकान का अंकन रैखिक परिप्रेक्ष्य के सिद्धांत के अनुसार है। मकान का चित्रण रेखाओं के द्वारा किया जाता है जबकि धूमिक रंगों का प्रयोग वायवीय परिप्रेक्ष्य को दिखाने के लिए किया जाता है। चित्र में निकट की वस्तुओं को बड़ा एवं दूर की वस्तुओं को छोटा दिखाने के सिद्धांत को 'परिप्रेक्ष्य' कहते हैं। परिप्रेक्ष्य दो प्रकार का होता है- रेखीय तथा वायवीय। | ||
{ | {'मांडी' और 'झागोर' [[लोकनृत्य]] किस राज्य से संबंधित हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-185,प्रश्न-28 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -[[झारखंड]] | ||
+ | -[[उत्तराखंड]] | ||
- | +[[गोवा]] | ||
-[[छत्तीसगढ़]] | |||
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{ | {प्रसिद्ध [[देवगढ़]] का मंदिर [[उत्तर प्रदेश]] के किस नगर के समीप है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-207,प्रश्न-168 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -[[आगरा]] | ||
+ललितपुर | +ललितपुर | ||
-कानपुर | -[[कानपुर]] | ||
-गढ़ मुक्तेश्वर | -गढ़ मुक्तेश्वर | ||
||प्रसिद्ध देवगढ़ मंदिर ललितपुर जिले में बेतवा नदी के तट पर स्थित है। देवगढ़ स्थित दशावतार मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यहां पर प्रमुख जैन मंदिर भी है। प्रसिद्ध देवगढ़ मंदिर गुप्त काल में बना जिसका निर्माण लगभग | ||प्रसिद्ध देवगढ़ मंदिर ललितपुर जिले में [[बेतवा नदी]] के तट पर स्थित है। देवगढ़ स्थित दशावतार मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यहां पर प्रमुख जैन मंदिर भी है। प्रसिद्ध देवगढ़ मंदिर गुप्त काल में बना जिसका निर्माण लगभग 470 ई. (5 वीं शताब्दी) में प्रारंभ हुआ माना जाता है। | ||
{'पट चित्रण' कहां की कला है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-19,प्रश्न-378 | {'पट चित्रण' कहां की कला है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-19,प्रश्न-378 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-उत्तर | -[[उत्तर प्रदेश]] | ||
-बिहार | -[[बिहार]] | ||
-गुजरात | -[[गुजरात]] | ||
+उड़ीसा | +[[उड़ीसा]] | ||
||'पट चित्रण' उड़ीसा (वर्तमान में ओडिशा) की कला है। यह भगवान जगन्नाथ तथा जगन्नाथ मंदिर पर आधारित पेंटिंग है। यह चित्र अधिकतर कपड़ों पर ही बनाए जाते हैं। | ||'पट चित्रण' [[उड़ीसा]] (वर्तमान में ओडिशा) की कला है। यह भगवान जगन्नाथ तथा जगन्नाथ मंदिर पर आधारित पेंटिंग है। यह चित्र अधिकतर कपड़ों पर ही बनाए जाते हैं। | ||
{निम्नमें से से कौन-सी प्रागैतिहासिक गुफा मध्य प्रदेश में स्थित नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-19,प्रश्न-13 | {निम्नमें से से कौन-सी प्रागैतिहासिक गुफा मध्य प्रदेश में स्थित नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-19,प्रश्न-13 | ||
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-सिंधनपुर | -सिंधनपुर | ||
-आदमगढ़ | -[[आदमगढ़]] | ||
-भीमबेटका | -[[भीमबेटका गुफ़ाएँ|भीमबेटका]] | ||
+लखनिया | +लखनिया | ||
||सिंघनपुर, आदमगढ़ और भीमबेटका की प्रागैतिहासिक गुफाएं मध्य प्रदेश में स्थित हैं। वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ को मध्य प्रदेश से अलग कर नया राज्य बनाया गया। वर्तमान में सिंघनपुर, छत्तीसगढ़ राज्य में है। लखनिया गुफा उत्तर प्रदेश में स्थित है। | ||सिंघनपुर, आदमगढ़ और भीमबेटका की प्रागैतिहासिक गुफाएं मध्य प्रदेश में स्थित हैं। वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ को मध्य प्रदेश से अलग कर नया राज्य बनाया गया। वर्तमान में सिंघनपुर, [[छत्तीसगढ़]] राज्य में है। लखनिया गुफा उत्तर प्रदेश में स्थित है। | ||
{'गीत गोविन्द' और 'कल्पसूत्र' किस धर्म की सचित्र रचना थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-43,प्रश्न-22 | {'[[गीत गोविन्द]]' और '[[कल्पसूत्र]]' किस धर्म की सचित्र रचना थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-43,प्रश्न-22 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-बौद्ध धर्म | -[[बौद्ध धर्म]] | ||
+जैन धर्म | +[[जैन धर्म]] | ||
-हिंदू धर्म | -[[हिंदू धर्म]] | ||
-वैष्णव धर्म | -[[वैष्णव धर्म]] | ||
||गीत गोविंद जयदेव की काव्य रचना है। यह वैष्णव धर्म से संबंधित है। इसमें श्रीकृष्ण की गोपिकाओं के साथ रासलीला, राधा विषाद वर्णन, कृष्ण के लिए व्याकुलता, उपालंभ वचन, कृष्ण की राधा के लिए उत्कंठा आदि का वर्णन है। कल्पसूत्र जैन धर्म से संबंधित ग्रंथ है। गीत गोविन्द तथा कल्पसूत्र जैन धर्म से संबंधित ग्रंथ है। गीत गोविन्द तथा कल्पसूत्र में पाई गई सचित्र रचनाएं जैन शैली अथवा अपभ्रंश शैली की उदारहरण हैं। | ||[[गीत गोविंद]] [[जयदेव]] की काव्य रचना है। यह वैष्णव धर्म से संबंधित है। इसमें [[श्रीकृष्ण]] की गोपिकाओं के साथ रासलीला, राधा विषाद वर्णन, कृष्ण के लिए व्याकुलता, उपालंभ वचन, कृष्ण की राधा के लिए उत्कंठा आदि का वर्णन है। कल्पसूत्र जैन धर्म से संबंधित ग्रंथ है। गीत गोविन्द तथा कल्पसूत्र जैन धर्म से संबंधित ग्रंथ है। गीत गोविन्द तथा कल्पसूत्र में पाई गई सचित्र रचनाएं जैन शैली अथवा अपभ्रंश शैली की उदारहरण हैं। | ||
{किसने कबूतर के पंख को काटकर चित्रकारों से उसका चित्र बनवाया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-66,प्रश्न-69 | {किसने कबूतर के पंख को काटकर चित्रकारों से उसका चित्र बनवाया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-66,प्रश्न-69 |
Revision as of 12:19, 2 January 2018
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