अचक्षु दर्शनावरणीय: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('जैन शास्त्रकारों ने जीवन के 8 मूल कर्म माने हैं उनमे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
Line 3: Line 3:
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
* पुस्तक- पौराणिक कोश |लेखक- राणा प्रसाद शर्मा | पृष्ठ संख्या- 560
* पुस्तक- पौराणिक कोश |लेखक- राणा प्रसाद शर्मा | पृष्ठ संख्या- 561
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{जैन धर्म शब्दावली}}
{{जैन धर्म शब्दावली}}

Latest revision as of 12:17, 12 April 2018

जैन शास्त्रकारों ने जीवन के 8 मूल कर्म माने हैं उनमें दर्शनावरणीय कर्म के 9 भेदों में यह एक है। जैन धर्म में प्रचलित इस शब्द का प्रयोग हिन्दी साहित्य में किया गया है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • पुस्तक- पौराणिक कोश |लेखक- राणा प्रसाद शर्मा | पृष्ठ संख्या- 561

संबंधित लेख

जैन धर्म शब्दावली

त्रिरत्न तड़ितकुमार ढुढ़िया चक्रेश्वरी चन्द्रप्रभ चंडकौशिक गोपालदारक गुण व्रत गवालीक खरतरगच्छ कृष्ण (जैन) कुंभ (जैन) काश्यप (जैन) कायोत्सर्ग कंदीत आदेयकर्म अस्तेय असुर कुमार अविरति अवसर्पिणी अवधिदर्शन अरुणोद (जैन) अद्धामिश्रित वचन अतिरिक्तकंबला अतिपांडुकंबला अतिथि संविभाग अच्युत (जैन) अच्छुप्ता अचक्षु दर्शनावरणीय अंतराय