अब्दुल हक़: Difference between revisions

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==रचनाएँ==
==रचनाएँ==
उनकी रचनाओं में मरहूम दिल्ली कॉलेज, मरहठी पर [[फारसी भाषा|फारसी]] का असर, उर्दू नशब व नुमा में सूफियाए किराम का थाम, नुसरती, कवायद-ए-उर्दू, मुकद्दमात-ए-अब्दुल हक़ और खुतबात-ए-अब्दुल हक़ प्रसिद्ध हैं।<ref>सं.गं._अब्दुल लतीफ़ : औहरे अब्दुल हक़; रामबाबू सक्सेना : तारीखे-अदबे उर्दू; डा. एजाएज हुसेन : मुखतसर तारीख़ अदबे उर्दू।</ref>
उनकी रचनाओं में मरहूम दिल्ली कॉलेज, मरहठी पर [[फारसी भाषा|फारसी]] का असर, उर्दू नशब व नुमा में सूफियाए किराम का थाम, मौलाना नुसरती, तारीख़-ए-इस्कंदरी, कवायद-ए-उर्दू, मुकद्दमात-ए-अब्दुल हक़ और खुतबात-ए-अब्दुल हक़ प्रसिद्ध हैं।<ref>सं.गं._अब्दुल लतीफ़ : औहरे अब्दुल हक़; रामबाबू सक्सेना : तारीखे-अदबे उर्दू; डा. एजाएज हुसेन : मुखतसर तारीख़ अदबे उर्दू।</ref>


==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

Revision as of 05:54, 8 January 2020

अब्दुल हक़ का जन्म हापुड़ में 1869 ई. में हुआ, शिक्षा अधिकतर अलीगढ़ में प्राप्त की और वहीं से 1894 ई. में बी.ए. पास किया। 1896 ई. में हैदराबाद राज में नौकरी मिल गई। लिखने की रुचि विद्यार्थी जीवन से ही थी।

कार्यक्षेत्र

1896 ई. में एक पत्रिका 'अफ़सर' निकाली। दक्षिण भारत में रहने के कारण इसका अवसर मिला कि वह प्रारंभिक 'दक्खिनी उर्दू' की खोज करें। इनमें उनकों बड़ी सफलता मिली। जब वह 1911 ई. में अंजुमने तरक्की उर्दू के मंत्री बनाए गए तब उनके गवेषणापूर्ण कामों में और उन्नति हुई। उस्मानिया विश्वविद्यालय में अनुवाद का जो विभाग बना उसकी देखरेख भी अब्दुल हक़ के ही हाथ में दी गई। 1921 ई. से उन्होंने 'उर्दू' नाम से एक बहुत ही उच्च कोटि की आलोचनात्मक और खोजपूर्ण पत्रिका निकाली जो आज भी निकल रही है। कुछ समय तक वह उस्मानिया विश्वविद्यालय में उर्दू विभाग के अध्यक्ष भी रहे।[1]

1936 ई. में वह दिल्ली चले आए। कुछ समय तक महात्मा गांधी के हिंदुस्तानी आंदोलन के साथ भी रहे। 1937 ई. में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उन्हें 'ऑनरेरी डाक्ट्रेट' मिली। भारतवर्ष का बँटवारा होने के बाद मौलाना अब्दुल हक़[2] पाकिस्तान चले गए। वहाँ भी 'अंजुमने-तरक्की उर्दू' का संचालन इन्होंने ही किया।

रचनाएँ

उनकी रचनाओं में मरहूम दिल्ली कॉलेज, मरहठी पर फारसी का असर, उर्दू नशब व नुमा में सूफियाए किराम का थाम, मौलाना नुसरती, तारीख़-ए-इस्कंदरी, कवायद-ए-उर्दू, मुकद्दमात-ए-अब्दुल हक़ और खुतबात-ए-अब्दुल हक़ प्रसिद्ध हैं।[3]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 172 |
  2. जिनको कुछ लोग 'बाबा-ए-उर्दू' भी कहने लगे थे
  3. सं.गं._अब्दुल लतीफ़ : औहरे अब्दुल हक़; रामबाबू सक्सेना : तारीखे-अदबे उर्दू; डा. एजाएज हुसेन : मुखतसर तारीख़ अदबे उर्दू।

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