बड़गाँव समझौता: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "{{लेख प्रगति" to "{{प्रचार}} {{लेख प्रगति")
No edit summary
Line 4: Line 4:
[[कर्नल काकबर्न]] के नेतृत्व में अंग्रेज़ों की एक सेना ने कमिश्नर कर्नल करनाक के साथ [[पूना]] की ओर कूच किया, किन्तु रास्तें में उसे पश्चिमी घाट स्थित [[तेल गाँव]] नामक स्थान पर मराठों की विशाल सेना का मुक़ाबला करना पड़ा। अंग्रेज़ी सेना की कई स्थानों पर हार हुई और उसे मराठों ने चारों तरफ़ से घेर लिया। ऐसी स्थिति में कर्नल करनाक हिम्मत हार गया और उसके ज़ोर देने पर ही कमांडिंग अफ़सर कर्नल काकबर्न ने '''बड़गाँव समझौते''' पर हस्ताक्षर कर दिये।
[[कर्नल काकबर्न]] के नेतृत्व में अंग्रेज़ों की एक सेना ने कमिश्नर कर्नल करनाक के साथ [[पूना]] की ओर कूच किया, किन्तु रास्तें में उसे पश्चिमी घाट स्थित [[तेल गाँव]] नामक स्थान पर मराठों की विशाल सेना का मुक़ाबला करना पड़ा। अंग्रेज़ी सेना की कई स्थानों पर हार हुई और उसे मराठों ने चारों तरफ़ से घेर लिया। ऐसी स्थिति में कर्नल करनाक हिम्मत हार गया और उसके ज़ोर देने पर ही कमांडिंग अफ़सर कर्नल काकबर्न ने '''बड़गाँव समझौते''' पर हस्ताक्षर कर दिये।
===समझौते की शर्तें===  
===समझौते की शर्तें===  
इस समझौते के अनुसार तय हुआ कि कम्पनी की बम्बई सरकार 1773 ई. के बाद जीते गये समस्त इलाके मराठों को लौटा देगी और अपने वचनों का पालन करने की गारंटी के रूप में कुछ [[अंग्रेज़]] अफ़सरों को बंधक के रूप में मराठों के सुपुर्द कर देगी, [[राघोबा]] को, जिसको [[पेशवा]] की गद्दी पर बिठाने के उद्देश्य से अंग्रेज़ों ने लड़ाई छेड़ी थी, उसे मराठों को सौंप देगी, [[बंगाल]] से मदद के लिए आराही ब्रिटिश कुमुक वापस लौटा दी जायेगी और [[भड़ौंच]] से प्राप्त राजस्व का एक हिस्सा [[महादजी शिन्दे]] को दिया जायेगा। सैनिक स्थिति अंग्रेज़ों के इतने अनुकूल नहीं थी कि वे इस प्रकार की शर्तें स्वीकार करते। गवर्नर-जनरल ने इस समझौते को अस्वीकृत कर दिया और समझौते करने वाले अंग्रेज़ अधिकारियों को नौकरी से बर्ख़ास्त कर दिया।
इस समझौते के अनुसार तय हुआ कि कम्पनी की बम्बई सरकार 1773 ई. के बाद जीते गये समस्त इलाके मराठों को लौटा देगी और अपने वचनों का पालन करने की गारंटी के रूप में कुछ [[अंग्रेज़]] अफ़सरों को [[बंधक]] के रूप में मराठों के सुपुर्द कर देगी, [[राघोबा]] को, जिसको [[पेशवा]] की गद्दी पर बिठाने के उद्देश्य से अंग्रेज़ों ने लड़ाई छेड़ी थी, उसे मराठों को सौंप देगी, [[बंगाल]] से मदद के लिए आराही ब्रिटिश कुमुक वापस लौटा दी जायेगी और [[भड़ौंच]] से प्राप्त राजस्व का एक हिस्सा [[महादजी शिन्दे]] को दिया जायेगा। सैनिक स्थिति अंग्रेज़ों के इतने अनुकूल नहीं थी कि वे इस प्रकार की शर्तें स्वीकार करते। गवर्नर-जनरल ने इस समझौते को अस्वीकृत कर दिया और समझौते करने वाले अंग्रेज़ अधिकारियों को नौकरी से बर्ख़ास्त कर दिया।
===राघोबा की चतुराई===
===राघोबा की चतुराई===
राघोबा ने महादजी शिन्दे की शरण लेकर अपनी प्राणरक्षा की और अंग्रेज़ों को भी इस परेशानी से बचा लिया। अंग्रेज़ों ने बुद्धिमत्ता दिखाते हुए समझौते की शर्तों के अनुसार भड़ौंच से प्राप्त राजस्व का एक भाग शिन्दे को देकर उसके साथ अच्छे सम्बन्ध स्थापित कर लिये।  
राघोबा ने महादजी शिन्दे की शरण लेकर अपनी प्राणरक्षा की और अंग्रेज़ों को भी इस परेशानी से बचा लिया। अंग्रेज़ों ने बुद्धिमत्ता दिखाते हुए समझौते की शर्तों के अनुसार भड़ौंच से प्राप्त राजस्व का एक भाग शिन्दे को देकर उसके साथ अच्छे सम्बन्ध स्थापित कर लिये।  

Revision as of 10:40, 24 January 2011

प्रथम मराठा युद्ध (1776-82 ई.) के दौरान भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी की सरकार की ओर से कर्नल करनाक के द्वारा जनवरी 1779 ई. में किया गया।

अंग्रेज़ी सेना की हार

कर्नल काकबर्न के नेतृत्व में अंग्रेज़ों की एक सेना ने कमिश्नर कर्नल करनाक के साथ पूना की ओर कूच किया, किन्तु रास्तें में उसे पश्चिमी घाट स्थित तेल गाँव नामक स्थान पर मराठों की विशाल सेना का मुक़ाबला करना पड़ा। अंग्रेज़ी सेना की कई स्थानों पर हार हुई और उसे मराठों ने चारों तरफ़ से घेर लिया। ऐसी स्थिति में कर्नल करनाक हिम्मत हार गया और उसके ज़ोर देने पर ही कमांडिंग अफ़सर कर्नल काकबर्न ने बड़गाँव समझौते पर हस्ताक्षर कर दिये।

समझौते की शर्तें

इस समझौते के अनुसार तय हुआ कि कम्पनी की बम्बई सरकार 1773 ई. के बाद जीते गये समस्त इलाके मराठों को लौटा देगी और अपने वचनों का पालन करने की गारंटी के रूप में कुछ अंग्रेज़ अफ़सरों को बंधक के रूप में मराठों के सुपुर्द कर देगी, राघोबा को, जिसको पेशवा की गद्दी पर बिठाने के उद्देश्य से अंग्रेज़ों ने लड़ाई छेड़ी थी, उसे मराठों को सौंप देगी, बंगाल से मदद के लिए आराही ब्रिटिश कुमुक वापस लौटा दी जायेगी और भड़ौंच से प्राप्त राजस्व का एक हिस्सा महादजी शिन्दे को दिया जायेगा। सैनिक स्थिति अंग्रेज़ों के इतने अनुकूल नहीं थी कि वे इस प्रकार की शर्तें स्वीकार करते। गवर्नर-जनरल ने इस समझौते को अस्वीकृत कर दिया और समझौते करने वाले अंग्रेज़ अधिकारियों को नौकरी से बर्ख़ास्त कर दिया।

राघोबा की चतुराई

राघोबा ने महादजी शिन्दे की शरण लेकर अपनी प्राणरक्षा की और अंग्रेज़ों को भी इस परेशानी से बचा लिया। अंग्रेज़ों ने बुद्धिमत्ता दिखाते हुए समझौते की शर्तों के अनुसार भड़ौंच से प्राप्त राजस्व का एक भाग शिन्दे को देकर उसके साथ अच्छे सम्बन्ध स्थापित कर लिये।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ