स्वांगीकरण: Difference between revisions
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'''रुधिर के प्लाज्मा''' में हर समय [[ग्लूकोज]], लाइपोप्रोटीन्स, वसीय [[अम्ल]], ग्लिसरॉल, फॉस्फोलिपिड्स, अमीनो अम्ल, यूरिया, जल, [[लवण (रसायन विज्ञान)|लवण]], नाइट्रोजनीय समाक्षार, [[विटामिन]] आदि उपस्थित रहते हैं। इनमें '''यूरिया''' को [[वृक्क]] नलिकाएँ ग्रहण करके मूत्र के रूप में त्याग देती हैं। अन्य [[पदार्थ|पदार्थों]] को शरीर की सभी कोशाएँ अपनी – अपनी आवश्यकता के अनुसार "कच्चे माल" के रूप | '''रुधिर के प्लाज्मा''' में हर समय [[ग्लूकोज]], लाइपोप्रोटीन्स, वसीय [[अम्ल]], ग्लिसरॉल, फॉस्फोलिपिड्स, अमीनो अम्ल, यूरिया, जल, [[लवण (रसायन विज्ञान)|लवण]], नाइट्रोजनीय समाक्षार, [[विटामिन]] आदि उपस्थित रहते हैं। इनमें '''यूरिया''' को [[वृक्क]] नलिकाएँ ग्रहण करके मूत्र के रूप में त्याग देती हैं। अन्य [[पदार्थ|पदार्थों]] को शरीर की सभी कोशाएँ अपनी – अपनी आवश्यकता के अनुसार "कच्चे माल" के रूप में ग्रहण करती हैं। कोशाओं में पहुँचते ही ये पदार्थ जारण या जटिल पदार्थों के संश्लेषण से सम्बन्धित प्रतिक्रियाओं में भाग लेते हैं। अर्थात कोशाद्रव्य के ही अंश बनकर इसमें विलीन हो जाते हैं। इस प्रक्रिया को पदार्थों का '''स्वांगीकरण''' कहते हैं और स्वांगीकृत पदार्थों को '''मेटाबोलाइट्स''' कहते हैं। | ||
'''जल''' कोशिकाओं में मुख्यतः '''घोलक''' का काम करता है। जल कुछ पदार्थों के संश्लेषण में भी भाग लेता है। आवश्यकता से अधिक जल मूत्र निर्माण में भाग लेता है। | '''जल''' कोशिकाओं में मुख्यतः '''घोलक''' का काम करता है। जल कुछ पदार्थों के संश्लेषण में भी भाग लेता है। आवश्यकता से अधिक जल मूत्र निर्माण में भाग लेता है। |
Revision as of 08:07, 20 February 2011
(अंग्रेज़ी:Assimilation) स्वांगीकरण अधिकांश जीव जंतुओं के शरीर का आवश्यक अंग हैं। इस लेख में मानव शरीर से सबंधित उल्लेख है। स्वांगीकरण जन्तुओं के पोषण की पाँच अवस्थाओं में से एक हैं। पचे हुए भोजन का अवशोषण होकर रुधिर में मिलना और फिर कोशिकाओं में मिलकर जीवद्रव्य में आत्मसात हो जाने की क्रिया को स्वांगीकरण कहते हैं। कोशिकाओं के अन्दर इस पचे हुए भोजन के ऑक्सीकरण होने से ऊर्जा उत्पन्न होती है। भोजन की अधिक मात्रा को ग्लाइकोजन अथवा वसा के रूप में शरीर के अन्दर यकृत आदि में भविष्य के उपयोग के लिए संचित कर लिया जाता है।
रुधिर के प्लाज्मा में हर समय ग्लूकोज, लाइपोप्रोटीन्स, वसीय अम्ल, ग्लिसरॉल, फॉस्फोलिपिड्स, अमीनो अम्ल, यूरिया, जल, लवण, नाइट्रोजनीय समाक्षार, विटामिन आदि उपस्थित रहते हैं। इनमें यूरिया को वृक्क नलिकाएँ ग्रहण करके मूत्र के रूप में त्याग देती हैं। अन्य पदार्थों को शरीर की सभी कोशाएँ अपनी – अपनी आवश्यकता के अनुसार "कच्चे माल" के रूप में ग्रहण करती हैं। कोशाओं में पहुँचते ही ये पदार्थ जारण या जटिल पदार्थों के संश्लेषण से सम्बन्धित प्रतिक्रियाओं में भाग लेते हैं। अर्थात कोशाद्रव्य के ही अंश बनकर इसमें विलीन हो जाते हैं। इस प्रक्रिया को पदार्थों का स्वांगीकरण कहते हैं और स्वांगीकृत पदार्थों को मेटाबोलाइट्स कहते हैं।
जल कोशिकाओं में मुख्यतः घोलक का काम करता है। जल कुछ पदार्थों के संश्लेषण में भी भाग लेता है। आवश्यकता से अधिक जल मूत्र निर्माण में भाग लेता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ