दक्षिणा: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Adding category Category:शब्द संदर्भ कोश (को हटा दिया गया हैं।))
m (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==")
Line 11: Line 11:
|शोध=
|शोध=
}}
}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>

Revision as of 09:28, 21 March 2011

यज्ञ करने वाले पुरोहितों को दिये गये दान को (शुल्क) को दक्षिणा कहते हैं। ऐसे अवसरों पर 'गाय' ही प्राय: शुल्क होती थी। दानस्तुति तथा ब्राह्मणों में इसका और भी विस्तार हुआ है, जैसे गाय, अश्व, भैंस, ऊँट आभूषण आदि। इसमें भूमि का समावेश नहीं है, क्योंकि भूमि पर सारे कुटुम्ब का अधिकार होता था और बिना सभी सदस्यों की अनुमति के इसका दान नहीं किया जा सकता था।

अतएव भूमि अदेय समझी गयी। किंतु मध्य युग आते-आते भूमि भी राजा द्वारा दक्षिणा में दी जाने लगी। फिर भी इसका अर्थ था भूमि से राज्य को जो आय होती थी, उसका दान। प्रत्येक धार्मिक अथवा मांगलिक कृत्य के अंत में पुरोहित ऋत्विज् अथवा ब्राह्मणों को दक्षिणा देना आवश्यक समझा जाता है। इसके बिना शुभ कार्य का सुफल नहीं मिलता, ऐसा विश्वास है। ब्रह्मचर्य अथवा अध्ययन समाप्त होने पर शिष्य द्वारा आचार्य को दक्षिणा देने का विधान गृह्मसूत्रों में पाया जाता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ